Delhi Election 2025 CONGRESS AAP Arvind Kejriwal Rahul Gandi:दिल्ली में कांग्रेस के दिग्गज नेताओं के कार्यक्रम लगातार रद्द हो रहे हैं, और राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, और मल्लिकार्जुन खरगे के बीच की दूरी को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं। ऐसा माना जा रहा है कि कांग्रेस अब भी आम आदमी पार्टी (AAP) से गठबंधन की उम्मीद लगाए बैठी है, इसीलिए दिल्ली के कार्यक्रमों से दूरी बनाई जा रही है।
दिल्ली में सत्ता में वापसी के लिए कांग्रेस बेताब नजर आ रही है। अपनी खोई सियासी जमीन को वापस पाने के लिए कांग्रेस ने 8 नवंबर को राजघाट से ‘दिल्ली न्याय यात्रा’ की शुरुआत की थी, जो एक महीने तक चली और 7 दिसंबर को रोहिणी में समाप्त हुई। हालांकि, इस यात्रा में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी जैसे बड़े नेताओं का दूर-दूर तक कोई अता-पता नहीं था।
दिल्ली में कांग्रेस के कार्यक्रमों से दूरी
कांग्रेस के बड़े नेता दिल्ली की सियासत में सक्रिय नहीं नजर आ रहे। राहुल गांधी और प्रियंका गांधी संसद की कार्यवाही में शामिल होते रहे, और वे संभल तथा अदानी विवाद पर धरना-प्रदर्शन भी करते रहे, लेकिन न्याय यात्रा में उनका कोई योगदान नहीं दिखा। कांग्रेस के नेताओं का मानना है कि राहुल-प्रियंका के बिना पार्टी दिल्ली की सियासी लड़ाई में प्रभावी तरीके से वापसी नहीं कर सकती। अगर दिल्ली की लड़ाई को त्रिकोणीय बनाना है, तो गांधी परिवार को मैदान में उतरना होगा।
क्या कांग्रेस और AAP के बीच पक रही है सियासी खिचड़ी?
कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच गठबंधन की संभावनाओं को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं। कांग्रेस और AAP ने 2024 के लोकसभा चुनाव में गठबंधन किया था, लेकिन दोनों दलों के रिश्ते चुनाव परिणामों के बाद बिगड़ गए थे। इसके बावजूद, राहुल गांधी और कांग्रेस के बड़े नेताओं का दिल्ली की सियासत में सक्रिय न होना गठबंधन की चर्चाओं को हवा दे रहा है।
हाल ही में शरद पवार के आवास पर अरविंद केजरीवाल और पवार की मुलाकात को गठबंधन की संभावना से जोड़ा जा रहा है। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि राहुल गांधी ने दिल्ली कार्यक्रम को रद्द किया और अगले दिन केजरीवाल और पवार की बैठक हुई, जो गठबंधन की चर्चा को और पुख्ता कर रही है।
राहुल गांधी की मैदान में न उतरने की रणनीति
राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे को अगर दिल्ली की सियासत में उतार दिया जाता है, तो उन्हें बीजेपी के साथ-साथ AAP को भी निशाना बनाना होगा। दिल्ली में पिछले 11 साल से आम आदमी पार्टी की सरकार है और केंद्र में बीजेपी काबिज है। अगर कांग्रेस के बड़े नेता एक बार दिल्ली में सक्रिय होते हैं, तो AAP के साथ गठबंधन की संभावनाएं खत्म हो जाएंगी।
इसलिए, कांग्रेस अभी राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को चुनावी मैदान में उतारने से बच रही है। पार्टी गठबंधन के दरवाजे खुले रखना चाहती है और इसलिए न्याय यात्रा के समापन कार्यक्रमों में भाग नहीं लिया।
केजरीवाल के लिए आसान नहीं दिल्ली चुनाव
इस बार दिल्ली विधानसभा चुनाव अरविंद केजरीवाल के लिए मुश्किल भरे होंगे। पिछले पांच सालों में AAP के कुछ वरिष्ठ नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे, उन्हें जेल भी जाना पड़ा, और केजरीवाल को सीएम पद से इस्तीफा देकर अतिशी को कमान सौंपनी पड़ी। इसके बावजूद, केजरीवाल किसी भी कसर को छोड़ने के मूड में नहीं हैं और एंटी इनकंबेंसी फैक्टर से बचने के लिए अपने नेताओं के टिकट काटने या सीट बदलने की योजना बना रहे हैं।
कांग्रेस की चुनावी रणनीति
कांग्रेस के नेताओं का मानना है कि अगर वे अकेले चुनाव लड़ते हैं, तो कोई बड़ा लाभ नहीं होगा। मुस्लिम और दलित वोटों का समर्थन AAP की ओर जा चुका है, जिससे कांग्रेस कमजोर हो गई है। इस स्थिति में, कांग्रेस के नेता यह मानने लगे हैं कि गठबंधन के बिना कोई हल नहीं निकलने वाला, क्योंकि दिल्ली की चुनावी लड़ाई अब बीजेपी और AAP के बीच केंद्रित हो गई है।
VIKAS TRIPATHI
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