उत्तर प्रदेश की सियासत में एक बार फिर जुबानी जंग तेज हो गई है। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी सरकार में मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने सोमवार को समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव पर तीखा प्रहार किया। उन्होंने कहा कि “अखिलेश सत्ता में लौटने के लिए रात-रात भर जागते हैं, लेकिन हमने और अन्य क्षेत्रीय दलों ने उनके लिए पहले ही ‘नो एंट्री’ का बोर्ड टांग दिया है।”
“अखिलेश के लिए सत्ता के दरवाजे बंद”
जौनपुर के खेतासराय क्षेत्र में आयोजित तीन अलग-अलग कार्यकर्ता बैठकों में भाग लेने पहुंचे ओमप्रकाश राजभर ने कहा कि संजय निषाद (निषाद पार्टी), अनुप्रिया पटेल (अपना दल-एस), जयंत चौधरी (रालोद) और उन्होंने मिलकर तय कर लिया है कि अखिलेश यादव को फिर से सत्ता में आने का कोई मौका नहीं मिलेगा।
“सपा अध्यक्ष सत्ता के लिए बेचैन हैं, लेकिन अब उनका रास्ता हमने रोक दिया है।”
पार्टी को बूथ स्तर तक मजबूत करने का आह्वान
राजभर ने कार्यकर्ताओं को संगठन को जमीनी स्तर पर और मजबूत करने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि आने वाले चुनावों में सुभासपा को निर्णायक भूमिका निभानी है और इसके लिए हर कार्यकर्ता को अपने-अपने बूथ पर सक्रिय होना होगा।
“सपा सरकार में 800 दंगे, बीजेपी शासन में शांति”
राजभर ने सपा शासन पर निशाना साधते हुए कहा कि सपा के कार्यकाल में 800 से ज्यादा दंगे हुए, जबकि भाजपा सरकार के पिछले 8 सालों में एक भी दंगा नहीं हुआ। उन्होंने जनता से अपील की कि वे इस फर्क को समझें।
“सपा का ट्रैक रिकॉर्ड हिंसा से भरा है, जबकि भाजपा सरकार में कानून का राज है।”
इटावा और प्रयागराज घटनाओं पर सख्त रुख
हाल ही में इटावा और प्रयागराज में हुई घटनाओं पर प्रतिक्रिया देते हुए राजभर ने स्पष्ट किया कि कानून को हाथ में लेने की अनुमति किसी को नहीं है। उन्होंने दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की।
“बीजेपी में सब ठीक है”
जब उनसे पूछा गया कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को “मित्र” कहकर संबोधित किया, तो इस पर राजभर ने कहा कि “भारतीय जनता पार्टी में सब कुछ ठीक है।” उन्होंने अटकलों को दरकिनार करते हुए भाजपा में अंदरूनी मतभेदों की संभावना को खारिज किया।
ओमप्रकाश राजभर का यह बयान न केवल 2027 के विधानसभा चुनावों से पहले राजनीतिक ध्रुवीकरण को तेज करने का संकेत है, बल्कि यह भी साफ करता है कि भाजपा के सहयोगी दल अब सपा और अखिलेश यादव को सीधे तौर पर टारगेट कर रहे हैं। यह बयानबाज़ी आने वाले समय में उत्तर प्रदेश की राजनीति को और गरमा सकती है।