
गाजीपुर। कासिमाबाद तहसील के लेखपाल श्याम सुंदर को 5 हजार रुपये रिश्वत लेते हुए एंटी करप्शन वाराणसी की टीम ने गुरुवार को रंगेहाथ गिरफ्तार कर लिया। यह कार्रवाई ओम इंटरनेशनल स्कूल के पास तिराहे पर की गई। शिकायतकर्ता द्वारा लगाए गए आरोपों की पुष्टि के बाद टीम ने लेखपाल को फंसाने के लिए जाल बिछाया और उसे रिश्वत लेते हुए पकड़ा।
शिकायत का मामला
शिकायतकर्ता चंद्रजीत यादव, जो पिपनार थाना मरदह के निवासी हैं, ने आरोप लगाया कि उनके नाली और चकमार्ग की पैमाइश करने के नाम पर लेखपाल श्याम सुंदर ने 5 हजार रुपये की रिश्वत की मांग की।
चंद्रजीत ने यह शिकायत वाराणसी स्थित एंटी करप्शन कार्यालय में दर्ज कराई।
जांच शुरू होने के बाद टीम ने लेखपाल को रंगेहाथ पकड़ने के लिए योजना बनाई।
गिरफ्तारी का घटनाक्रम

एंटी करप्शन टीम ने गुरुवार को तिराहे के पास लेखपाल श्याम सुंदर को चिह्नित कर रखा था। जैसे ही उसने रिश्वत के पैसे लिए, टीम ने उसे तुरंत पकड़ लिया।
गिरफ्तारी के दौरान लेखपाल ने भागने और टीम से बचने की कोशिश की, लेकिन अंततः उसे टीम ने दबोच लिया।
लेखपाल को सीधे शहर कोतवाली लाया गया, जहां आगे की कानूनी प्रक्रिया पूरी की गई।
लेखपाल को बचाने पहुंचे समर्थक
गिरफ्तारी की खबर फैलते ही दर्जनों लोग कोतवाली पहुंच गए।
ग्रामीणों का दावा था कि लेखपाल श्याम सुंदर निर्दोष है और उसे फर्जी मामले में फंसाया जा रहा है।
समर्थकों ने कहा कि न तो उसने रिश्वत मांगी और न ही ली।
टीम का नेतृत्व और सदस्यों की भूमिका
इस कार्रवाई का नेतृत्व ट्रैप टीम प्रभारी एसएचओ उमाशंकर यादव ने किया। टीम में शामिल अधिकारी और कर्मचारी:
राजेश यादव, मैनेजर सिंह
मुख्य आरक्षी शैलेन्द्र कुमार राय, सुमित कुमार भारती, विनोद कुमार
आरक्षी अजीत सिंह, आशीष शुक्ला, अजय कुमार यादव, सूरज गुप्ता, वीरेन्द्र प्रताप सिंह
चालक अश्वनी पांडेय और विनय कुमार।
पिछले मामलों का संदर्भ
यह पहली बार नहीं है जब एंटी करप्शन टीम ने जिले में रिश्वत के मामलों में कार्रवाई की हो।
इससे पहले टीम ने जिले के विभिन्न तहसीलों में तीन अन्य लेखपालों को भी रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया था।
इन कार्रवाइयों ने राजस्व विभाग के कर्मचारियों के बीच हड़कंप मचा दिया है।
प्रभाव और अगली कार्रवाई
गिरफ्तारी के बाद लेखपाल के खिलाफ कागजी कार्रवाई पूरी कर ली गई।
टीम ने रिश्वत के पैसे और अन्य साक्ष्यों को जब्त किया है, जिससे मामले को मजबूत बनाया जा सके।
आगे की जांच में यह साफ होगा कि लेखपाल श्याम सुंदर पर लगे आरोप कितने सही हैं।