
Delhi BJP Mission 24 percent of Purvanchali voters: दिल्ली में आगामी चुनावों के मद्देनजर पूर्वांचली वोटरों को लेकर आम आदमी पार्टी (AAP) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बीच सियासी घमासान तेज हो गया है। जहां AAP ने BJP पर पूर्वांचली वोटरों के नाम मतदाता सूची से हटाने का आरोप लगाया है, वहीं BJP ने पूर्वांचली वोटरों को साधने के लिए खास रणनीति तैयार की है।
AAP के आरोप और BJP की प्रतिक्रिया
AAP सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल ने BJP पर निशाना साधते हुए कहा कि पार्टी जानबूझकर पूर्वांचली मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से हटा रही है। इसके जवाब में BJP ने मनोज तिवारी और बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी को चुनावी मैदान में उतारा है। BJP ने दावा किया है कि वह रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ मुहिम चला रही है और पूर्वांचली समुदाय के लिए विशेष योजनाएं बना रही है।
BJP का पूर्वांचली प्लान
पूर्वांचली वोटरों पर 24% का प्रभाव रखने वाले दिल्ली के इन मतदाताओं को साधने के लिए BJP ने बड़े स्तर पर अभियान शुरू किया है।
- लिट्टी-चोखा पर चर्चा अभियान: पूर्वांचली मतदाताओं को जोड़ने के लिए चाय पर चर्चा की तर्ज पर यह नया अभियान शुरू किया जाएगा।
- पूर्वांचली मोर्चा सक्रिय: बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के दिग्गज नेताओं को चुनाव प्रचार में उतारा जा रहा है।
- सांस्कृतिक और संवाद कार्यक्रम: बीजेपी पूर्वांचली स्वाभिमान सम्मेलन, लाभार्थी संपर्क अभियान, और मकर संक्रांति महोत्सव जैसे कार्यक्रम आयोजित करेगी।
बिहार और यूपी के नेताओं की भूमिका
BJP ने बिहार और उत्तर प्रदेश से 150 से अधिक विधायक, सांसद और मंत्रियों को मैदान में उतारने का फैसला किया है। इसके साथ ही 25,000 से अधिक कार्यकर्ता पूर्वांचली समाज से संपर्क करेंगे। इसके जरिए BJP दिल्ली की 17 पूर्वांचली बहुल विधानसभा सीटों पर पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रही है।
पूर्वांचली वोटरों का महत्व
दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों में से 17 सीटें पूर्वांचली बहुल हैं। इन सीटों पर बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश और झारखंड के मतदाताओं की संख्या 30 से 50 प्रतिशत तक है।
- साल 2015 और 2020 के विधानसभा चुनावों में पूर्वांचली वोटरों का बड़ा हिस्सा AAP के पक्ष में गया था।
- BJP इस बार सियासी समीकरण बदलने के लिए बूथ स्तर पर पांच पूर्वांचली कमल मित्र तैयार कर रही है।
विशेषज्ञों की राय
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पूर्वांचली समाज को केवल सांस्कृतिक कार्यक्रमों से नहीं, बल्कि राजनीतिक भागीदारी देकर ही BJP को लाभ मिल सकता है। पूर्वांचली समुदाय के नेताओं को पार्टी में अधिक प्रतिनिधित्व देने से उनकी मांगों और जरूरतों को बेहतर ढंग से पूरा किया जा सकता है।AAP और BJP के बीच चल रही इस खींचतान से साफ है कि दिल्ली के पूर्वांचली मतदाता आगामी चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाने वाले हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि कौन-सी पार्टी इस महत्वपूर्ण वोट बैंक को अपने पक्ष में करने में सफल होगी।














