विनेश फोगाट का पेरिस ओलंपिक में गोल्ड जीतने का सपना चकनाचूर हो गया, जब उन्हें 50 किग्रा वेट कैटेगरी के गोल्ड मेडल मैच से पहले 100 ग्राम वजन अधिक होने के कारण डिस्क्वालिफाई कर दिया गया। इससे न केवल विनेश, बल्कि करोड़ों भारतीय प्रशंसकों का दिल टूट गया।
विनेश ने जिस तरह से अपने अभियान की शुरुआत की थी, वह उन्हें खिताब की सबसे बड़ी दावेदार बनाता था। उन्होंने पहले राउंड में दुनिया की नंबर 1 पहलवान, जापान की युई सुसाकी को आखिरी 10 सेकंड में शानदार दांव लगाकर हराया। इस जीत के साथ ही विनेश ने सुसाकी के 82 मैचों के अजेय रिकॉर्ड को तोड़ा, जिसने उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कभी हार का सामना नहीं करने दिया था।
हालांकि, विनेश की डिस्क्वालिफिकेशन के बाद, सुसाकी ने रेपेशाज राउंड में शानदार वापसी की और यूक्रेन की ओक्साना लिवाच को हराकर ब्रॉन्ज मेडल जीता। टोक्यो ओलंपिक की गोल्ड मेडलिस्ट सुसाकी ने इस बार ब्रॉन्ज मेडल जीतने के बाद फैंस से माफी मांगी और अपने सपोर्टर्स के प्रति आभार व्यक्त किया।
सुसाकी ने कहा कि उनके समर्थकों ने उन्हें हार के बावजूद सपोर्ट किया और उन पर विश्वास बनाए रखा। इससे उन्हें आगे बढ़ने की प्रेरणा मिली और उन्होंने अगले दो ओलंपिक में गोल्ड जीतने का संकल्प लिया। 25 साल की सुसाकी अब लॉस एंजिलिस और ब्रिस्बेन ओलंपिक में गोल्ड मेडल हासिल करने का लक्ष्य लेकर चल रही हैं।
यह कहानी न केवल खेल के उतार-चढ़ाव को दर्शाती है, बल्कि इसमें हार से उबरकर एक बार फिर से खड़े होने की प्रेरणा भी छिपी है। विनेश और सुसाकी दोनों ने अपने-अपने संघर्षों के बावजूद अपने सपनों को पूरा करने की उम्मीद नहीं छोड़ी है, जो युवा एथलीट्स के लिए एक बड़ी प्रेरणा है।
VIKAS TRIPATHI
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