
Uttar Pradesh Assembly Winter Session: उत्तर प्रदेश विधानसभा का शीतकालीन सत्र, जो 20 जनवरी तक चलने वाला था, अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। इस सत्र में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अनुपूरक बजट और महाकुंभ जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर बयान देना था। लेकिन समाजवादी पार्टी (सपा) और कांग्रेस विधायकों के विरोध और हंगामे के कारण मुख्यमंत्री का भाषण नहीं हो सका।
हंगामे की वजह से दो दिन तक स्थगित रहा सत्र
बुधवार को डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक के बयान के बाद सपा विधायकों ने जोरदार हंगामा किया। इस दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ विधानसभा में अपने बयान की तैयारी कर रहे थे, लेकिन सदन की स्थिति को देखते हुए स्पीकर सतीश महाना ने सत्र स्थगित कर दिया।
गुरुवार को जब सदन शुरू हुआ, तो सीएम योगी को दोपहर 3 बजे अनुपूरक बजट और महाकुंभ पर बयान देना था। लेकिन जैसे ही कार्यवाही शुरू हुई, सपा विधायकों ने गृह मंत्री अमित शाह पर डॉ. भीमराव आंबेडकर के अपमान का आरोप लगाते हुए विरोध शुरू कर दिया।
‘जय भीम’ के नारों से गूंज उठा सदन
सपा विधायकों ने आंबेडकर की तस्वीर लाकर विधानसभा में प्रदर्शन किया। उन्होंने ‘जय भीम’ के नारे लगाते हुए अमित शाह से माफी की मांग की। विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने शांति बनाए रखने की कई बार अपील की, लेकिन जब हंगामा थमने का नाम नहीं लिया, तो संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने सदन को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने का प्रस्ताव दिया।
सीएम योगी का बयान क्यों नहीं हुआ?
योगी सरकार के सात वर्षों में यह पहली बार हुआ है कि अनुपूरक बजट पर मुख्यमंत्री का बयान नहीं हो सका और सदन स्थगित करना पड़ा। यह स्थिति न केवल सरकार के लिए असामान्य है, बल्कि विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच बढ़ते तनाव को भी दर्शाती है।
सपा का आक्रामक विरोध
विधानसभा के अंदर प्रदर्शन कर रहे सपा विधायक आंबेडकर की मूर्ति के नीचे धरने पर भी बैठे। नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय ने कहा, “डॉ. आंबेडकर पीडीए के भगवान हैं और उनका अपमान हम बर्दाश्त नहीं करेंगे। बीजेपी ने उनका अपमान किया है।”
सरकार का पलटवार
सरकार ने विपक्ष पर पलटवार करते हुए कहा कि सपा और कांग्रेस असली मुद्दों से भाग रही हैं। आंबेडकर का नाम लेकर केवल राजनीति की जा रही है।
क्या है सियासी संदेश?
उत्तर प्रदेश में विधानसभा का यह घटनाक्रम राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है। विपक्ष जहां आंबेडकर के अपमान का मुद्दा उठाकर दलित वर्ग के समर्थन को मजबूत करने की कोशिश कर रहा है, वहीं सरकार इसे विपक्ष की राजनीतिक नौटंकी बता रही है।
यह घटनाक्रम साफ करता है कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले विपक्ष और सरकार के बीच सियासी टकराव और गहराने वाला है।