
ओडिशा हाईकोर्ट ने जालसाजी के एक मामले में ऐसा फैसला सुनाया है, जिसने सबको चौंका दिया है। कोर्ट ने आरोपी महिला को जमानत तो दी, लेकिन साथ ही उसके लिए एक अनोखी शर्त भी रख दी — उसे दो महीने तक ICICI बैंक परिसर की सुबह 8 से 10 बजे तक सफाई करनी होगी।
यह मामला 1.05 करोड़ रुपये के लोन फ्रॉड से जुड़ा है, जिसमें आरोपी महिला और उसके साथी ने भुवनेश्वर की तीन संपत्तियों को गिरवी रखकर बैंक से ऋण लिया था। लेकिन लोन चुकता करने से पहले ही गिरवी रखी गई संपत्तियों में से एक को तीसरे पक्ष को बेच दिया गया। जब उस व्यक्ति ने बैंक से संपर्क किया, तो ICICI बैंक ने फौरन धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज कराई।
कोर्ट का फैसला: अपराध और जवाबदेही का नया संतुलन
महिला की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि उसे कटक रिंग रोड स्थित ICICI बैंक शाखा परिसर की लगातार दो महीने तक सफाई करनी होगी। यह कार्य सुबह 8 बजे से 10 बजे के बीच किया जाएगा। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि बैंक को स्वयं महिला की सेवा लेने का अनुरोध करना होगा।
महिला जमानत के दौरान किसी अन्य आपराधिक गतिविधि में शामिल नहीं हो सकती और पूरे कार्यकाल में स्थानीय पुलिस यह सुनिश्चित करेगी कि वह ईमानदारी से काम करे और कोई गड़बड़ी न हो।
जालसाजी के आरोप गंभीर, लेकिन फैसला और चर्चा उससे भी बड़ी
यह मामला वर्ष 2018 से जुड़ा है, जब महिला और उसके साथी ने तीन बार में कुल ₹1.05 करोड़ का ऋण लिया था। भारतीय दंड संहिता की धाराएं 420 (धोखाधड़ी), 467 (जालसाजी), 468 (धोखाधड़ी के इरादे से जालसाजी), 471 (जाली दस्तावेज का इस्तेमाल), और 120-B (आपराधिक साजिश) के तहत आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने आरोपी महिला को 5 फरवरी को गिरफ्तार किया था।
एक मिसाल बनता हुआ फैसला
हाईकोर्ट के इस फैसले की पूरे देश में चर्चा हो रही है। जहां एक तरफ यह सजा समाजसेवा के माध्यम से अपराध पर एक नई दृष्टिकोण को दर्शाती है, वहीं इससे यह संदेश भी गया है कि अदालतें अब सिर्फ जेल नहीं, जवाबदेही भी तय कर रही हैं।
इस फैसले से न सिर्फ आरोपी महिला को सबक मिलेगा, बल्कि उन लोगों को भी चेतावनी है जो सोचते हैं कि आर्थिक अपराधों में सज़ा से बचा जा सकता है।

VIKAS TRIPATHI
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