
वेटिकन सिटी की तरह पवित्र, गुजरात के अरब सागर में स्थित बेट द्वारका द्वीप इन दिनों चर्चा में है। यहां भगवान श्रीकृष्ण के प्राचीन मंदिरों के साथ-साथ सामाजिक और धार्मिक संतुलन से जुड़ी कई जटिलताएं सामने आ रही हैं।
क्या है मामला?
गुजरात वक्फ बोर्ड ने बेट द्वारका के दो द्वीपों पर मालिकाना हक का दावा करते हुए अदालत में आवेदन दिया था। उनका तर्क था कि यहां की कुछ जमीनें वक्फ की संपत्ति हैं। यह मामला जब गुजरात हाई कोर्ट पहुंचा, तो अदालत ने इस पर आश्चर्य जताते हुए पूछा – “भगवान श्रीकृष्ण की नगरी पर कोई कैसे दावा कर सकता है?” अंततः कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया।
बदलती जनसंख्या और सामाजिक परिवर्तन
बेट द्वारका, जो ओखा नगरपालिका के अंतर्गत आता है, एक समय में मुख्य रूप से हिंदू बहुल क्षेत्र था। मछली पकड़ना यहाँ के लोगों का मुख्य पेशा था। समय के साथ, बाहर से आए मुस्लिम समुदाय के लोग भी यहाँ बसने लगे और मछली व्यवसाय में शामिल हो गए। स्थानीय समाज की सहमति से यह शांति से होता रहा, लेकिन समय के साथ मछली कारोबार और नाव सेवाओं पर व्यापक नियंत्रण बदलता गया।

स्थानीय लोगों का दावा है कि धीरे-धीरे हिन्दू मछुआरे बेरोजगार हो गए और आर्थिक दबाव में द्वीप छोड़कर बाहर जाना पड़ा। कुछ नाव मालिकों ने भिन्न-भिन्न किराया वसूलने की भी शिकायतें सामने रखी हैं, जिनका असर यात्रियों और श्रद्धालुओं पर पड़ा।
श्रद्धालुओं की कठिनाई और मंदिरों की घेराबंदी
स्थानीय समाजसेवियों का कहना है कि श्रद्धालुओं से नाव किराए के नाम पर अधिक शुल्क लिया जाने लगा, जिससे द्वारका आने वाले लोगों की संख्या में गिरावट आई। इससे भगवान श्रीकृष्ण के प्राचीन मंदिर के चारों ओर अव्यवस्थित निर्माण और धार्मिक संतुलन में बदलाव देखा गया।
सुरक्षा एजेंसियों का संज्ञान और सरकार की कार्रवाई
सरकार और सुरक्षा एजेंसियों ने इन घटनाओं को संज्ञान में लिया। यह पाया गया कि कुछ बाहरी तत्वों द्वारा द्वीप पर अवैध निर्माण किए जा रहे थे, जिससे भारत की आंतरिक सुरक्षा पर असर पड़ सकता था। इसके बाद कई अवैध मजारें और निर्माण हटाए गए।
नया विकास: ओखा-बेट द्वारका सी लिंक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर बेट द्वारका को मुख्य भूमि से जोड़ने के लिए एक भव्य सी लिंक ब्रिज बन रहा है, जिससे आवाजाही आसान होगी और एक समुदाय विशेष द्वारा सेवा क्षेत्र पर निर्भरता घटेगी। इससे श्रद्धालुओं और पर्यटकों को राहत मिलेगी और क्षेत्रीय संतुलन भी सुनिश्चित किया जा सकेगा।

• बेट द्वारका की स्थिति धार्मिक, सामाजिक और सामरिक रूप से अत्यंत संवेदनशील है।
• सभी समुदायों के बीच संतुलन, न्यायिक प्रक्रिया और विकास आवश्यक है।
• जनसंख्या परिवर्तन और भूमि विवादों के पीछे की प्रक्रिया को समझना ज़रूरी है, ताकि भविष्य में ऐसे विवादों से निपटने के लिए स्पष्ट नीतियां बनाई जा सकें।
सावधानी: यह विषय संवेदनशील है। किसी भी प्रकार की भ्रामक सूचना, भड़काऊ भाषा या अफवाह फैलाने से बचना चाहिए। शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व ही भारत की असली पहचान है।

VIKAS TRIPATHI
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