
मैहर देवी मंदिर में चल रहे अवैध कार्यों और इनकी कमान संभालने वाले स्वयंभू इंजीनियर की सच्चाई अब सबके सामने आ रही है। यह व्यक्ति अवैध तरीकों से अपने नेटवर्क के सहारे मंदिर की अटूट संपत्ति का मालिक बन बैठा है। अब हम आपको उस स्रोत के बारे में बताएंगे, जो इस अवैध साम्राज्य की आय का सबसे बड़ा आधार है।
गर्भगृह चढ़ौती से करोड़ों की कमाई
साल 2001-2002 में, मंदिर समिति ने गर्भगृह में चढ़ौती का ठेका 97 लाख रुपये में दिया था, यानी प्रतिदिन लगभग 26,500 रुपये की आय होती थी। उस समय देवी दर्शन के लिए 10-20 लाख श्रद्धालु सालाना आते थे। लेकिन 2002-2003 में ठेका प्रथा बंद कर दी गई। इसके बाद समिति के हिस्सेदारों और कर्मचारियों की बैठकों से गर्भगृह की आय एक करोड़ रुपये पार कर गई थी।
लेकिन अधिनियम लागू होने के बाद, जैन प्रशासक के कार्यभार संभालने के साथ ही गर्भगृह की आय में लगातार गिरावट आई। वर्तमान में, गर्भगृह में बैठने वाले कर्मचारियों के लिए बोली लगाई जाती है। जो कर्मचारी सबसे अधिक बोली लगाता है, उसे गर्भगृह में बैठने की अनुमति दी जाती है। यह बोली हजारों रुपये प्रतिदिन तक जाती है।
चढ़ौती में आई अनियमितता
दान पेटी में श्रद्धालुओं द्वारा डाले गए कीमती सामान और नकद धनराशि अक्सर रिकॉर्ड से गायब हो जाती है। इस संबंध में चोरी की शिकायतें भी दर्ज हो चुकी हैं। दान में दिए गए कीमती आभूषणों के गायब होने की खबरें सोशल मीडिया पर भी प्रकाशित हुई थीं।
ठेके में धांधली
मंदिर के विभिन्न ठेकों, जैसे बंधा, फोटोग्राफी, कैंटीन निर्माण आदि में भी बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की गई। ठेके केवल नाममात्र के ठेकेदारों को दिए गए, जबकि असल निर्माण कार्य और निरीक्षण इस स्वयंभू इंजीनियर द्वारा किया जाता रहा। ठेकेदारों द्वारा श्रमिक कल्याण उपकर और सामग्री आपूर्ति से जुड़े करों में भी अनियमितता बरती गई, जिससे शासन को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ।
रोपवे में भ्रष्टाचार
रोपवे संचालन और किराए को लेकर भी विवाद रहा है। नियमों के विपरीत किराया बढ़ाने का कार्य इस इंजीनियर के इशारों पर किया गया। प्रशासनिक अधिकारियों ने भी इस अनियमितता को नजरअंदाज किया।
अनुबंधों में हेरफेर
मंदिर के ठेकों और अनुबंधों को नियमों में फेरबदल कर इस अवैध नेटवर्क के सदस्यों को फायदा पहुंचाया गया। इसके कारण कई मामलों में न्यायालय में याचिकाएं दाखिल की गईं, जो अभी भी लंबित हैं।
अनियमितताओं के पीछे ‘मकुना प्यादा’
इस अवैध साम्राज्य में मकुना प्यादा नाम का एक व्यक्ति भी शामिल है, जिसने अपने राजनीतिक प्रभाव का इस्तेमाल कर मंदिर में अवैध नियुक्तियां और अनियमितताएं कीं। यह व्यक्ति अधिकारियों को गुमराह कर शासन के फंड का दुरुपयोग करता रहा है।
हिंदू धर्म को कमजोर करने की साजिश
इस स्वयंभू इंजीनियर और उसके गैर-हिंदू प्यादों ने मंदिर के संविधान और नियमों के साथ खिलवाड़ किया है। उच्च न्यायालय में गलत जानकारी देकर अवैध व्यक्तियों को मंदिर में स्थापित कराने का प्रयास किया गया। इन गतिविधियों से मंदिर की पवित्रता और हिंदू धर्म को कमजोर करने की साजिश रची गई है।
समिति से अपील
यह महत्वपूर्ण है कि जिला प्रशासन, प्रशासक, और वरिष्ठ अधिकारी इन सभी अनियमितताओं का गंभीरता से अवलोकन करें। अगर कार्रवाई नहीं होती है, तो कम से कम इन भ्रष्ट मठाधीशों को संरक्षण न दिया जाए, जो धर्म और श्रद्धालुओं के साथ विश्वासघात कर रहे हैं।
यह समय है कि मंदिर प्रशासन को इन अवैध गतिविधियों से मुक्त कर, श्रद्धालुओं के विश्वास को बहाल किया जाए।