Friday, November 14, 2025
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उज्जैन की तकिया मस्जिद विध्वंस मामला: हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका

उज्जैन | उज्जैन स्थित 200 साल पुरानी तकिया मस्जिद को गिराए जाने के मामले में अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया गया है। मस्जिद में नियमित रूप से नमाज अदा करने वाले 13 नमाजियों की ओर से यह याचिका दायर की गई है। याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि मध्य प्रदेश सरकार ने महाकालेश्वर मंदिर परिसर के पार्किंग क्षेत्र के विस्तार के नाम पर इस ऐतिहासिक मस्जिद को मनमाने ढंग से ध्वस्त कर दिया।

200 साल पुरानी मस्जिद, 1985 से वक्फ संपत्ति

याचिका के अनुसार, तकिया मस्जिद का निर्माण लगभग 200 वर्ष पहले हुआ था और वर्ष 1985 में इसे विधिवत रूप से वक्फ संपत्ति के रूप में दर्ज किया गया था। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि जनवरी 2025 तक मस्जिद में नियमित रूप से नमाज पढ़ी जा रही थी। लेकिन जनवरी में प्रशासन ने बिना किसी वैध आदेश या पर्याप्त कानूनी प्रक्रिया के मस्जिद को ध्वस्त कर दिया।

कई कानूनों के उल्लंघन का आरोप

सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि इस विध्वंस कार्रवाई ने कई केंद्रीय कानूनों का उल्लंघन किया है, जिनमें शामिल हैं:

पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991,

वक्फ अधिनियम, 1995 (अब एकीकृत वक्फ प्रबंधन अधिनियम, 1995),

और भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्थापन में उचित मुआवजा और पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम, 2013

याचिकाकर्ताओं ने यह भी आरोप लगाया है कि भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया में गंभीर अनियमितताएँ हुईं और प्रभावित पक्षों को उचित सुनवाई का अवसर नहीं दिया गया।

क्या है तकिया मस्जिद विवाद?

उज्जैन की निज़ामुद्दीन कॉलोनी में स्थित तकिया मस्जिद विवाद महाकालेश्वर मंदिर विस्तार परियोजना से जुड़ा है। इस परियोजना के तहत मंदिर परिसर को 2.5 हेक्टेयर से बढ़ाकर करीब 40 हेक्टेयर तक विस्तारित किया जा रहा है — यानी इसका आकार लगभग 7 गुना किया जा रहा है।

इस विस्तार के दौरान प्रशासन ने मस्जिद के साथ आसपास के लगभग 257 मकानों को भी ध्वस्त कर दिया। मुस्लिम पक्ष का कहना है कि मस्जिद वक्फ संपत्ति थी और धार्मिक स्थल के रूप में संरक्षित थी, जबकि प्रशासन का तर्क है कि यह निर्माण अवैध अतिक्रमण की श्रेणी में आता था।

आगे की राह

अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुँच चुका है, जहाँ याचिकाकर्ता मस्जिद के विध्वंस को असंवैधानिक और अवैध करार देने की मांग कर रहे हैं। अदालत में इस पर सुनवाई की तारीख जल्द तय होने की संभावना है।

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