लखनऊ | 5 जुलाई 2025 — कांग्रेस नेता राहुल गांधी की कथित ब्रिटिश नागरिकता को लेकर दाखिल जनहित याचिका में शुक्रवार को एक नया मोड़ आ गया। याचिकाकर्ता एस. विग्नेश शिशिर ने इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ में एक रिव्यू पिटीशन (पुनर्विचार याचिका) दायर करते हुए लंदन, वियतनाम और उज्बेकिस्तान से मिले नए वीडियो और दस्तावेजी साक्ष्य प्रस्तुत किए हैं।
शिशिर के मुताबिक, भारत सरकार के गृह मंत्रालय के विदेशी नागरिकता अनुभाग ने ब्रिटिश सरकार को पत्र लिखकर राहुल गांधी की नागरिकता संबंधी जानकारी और पासपोर्ट की मांग की थी। इसके जवाब में ब्रिटेन ने बताया है कि संबंधित सूचनाएं भारतीय दूतावास के माध्यम से भारत सरकार को भेज दी गई हैं।
सीबीआई और अन्य एजेंसियों ने शुरू की जांच
याचिकाकर्ता ने यह भी दावा किया है कि अब सीबीआई (CBI) ने भी इस प्रकरण में स्वतंत्र जांच शुरू कर दी है। वहीं चुनाव आयोग, प्रवर्तन निदेशालय (ED), आयकर विभाग, रिटर्निंग ऑफिसर रायबरेली, लोकसभा सचिवालय समेत कई प्रमुख संस्थाओं को इस याचिका में पक्षकार बनाया गया है।
शिशिर ने जोर देकर कहा कि यह अब सिर्फ एक कानूनी याचिका नहीं बल्कि एक राष्ट्रीय महत्व का संवैधानिक प्रश्न बन चुका है — “भारत सरकार को अब यह स्पष्ट करना होगा कि राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता समाप्त की जाएगी या नहीं।”
हाई कोर्ट पहले ही दे चुका है सख्त निर्देश
ज्ञात हो कि 14 मई 2025 को हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया था कि वह राहुल गांधी की नागरिकता को लेकर निर्णायक कार्रवाई करे। इसके बाद गृह मंत्रालय ने ब्रिटेन को पत्र लिखकर राहुल गांधी की नागरिकता की स्थिति स्पष्ट करने को कहा था। अब ब्रिटेन से जवाब आने के बाद इस मामले ने गंभीर राजनीतिक और कानूनी रूप ले लिया है।
क्या हैं आरोप?
याचिकाकर्ता, जो कर्नाटक के वकील और बीजेपी नेता हैं, ने 1 जुलाई 2024 को याचिका दाखिल कर आरोप लगाया था कि राहुल गांधी ब्रिटिश नागरिक हैं, और उन्होंने यह तथ्य नामांकन पत्र में छिपाया। शिशिर ने 1955 के भारतीय नागरिकता अधिनियम की धारा 9(2) का हवाला देते हुए राहुल गांधी की नागरिकता रद्द करने की मांग की थी।
इसके अलावा, उन्होंने राहुल गांधी के निर्वाचन को अमान्य घोषित करने की भी मांग की थी, यह कहते हुए कि उन्होंने मतदाताओं और चुनाव आयोग से अपनी वास्तविक नागरिकता को छिपाया।
हाई कोर्ट ने बताया था राष्ट्रीय महत्व का विषय
21 अप्रैल 2025 को हुई सुनवाई के दौरान, हाई कोर्ट ने इस मामले को “राष्ट्रीय महत्व का प्रश्न” करार देते हुए केंद्र सरकार को 10 दिनों में स्पष्ट जवाब देने का निर्देश दिया था। अदालत ने सरकार की स्थिति रिपोर्ट को अपर्याप्त मानते हुए सख्त लहजे में कहा था कि ऐसे गंभीर मुद्दों में देरी स्वीकार्य नहीं है।
कोर्ट का स्पष्ट निर्देश था — “बताइए, राहुल गांधी भारतीय नागरिक हैं या नहीं?”