
नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर में धारा 370 हटने के बाद बीते पांच सालों में राज्य सरकार ने आतंकवाद के नेटवर्क को खत्म करने में शानदार काम किया है। अब सुरक्षा एजेंसियों के निशाने पर वे लोग भी आ रहे हैं जो घाटी में सरकारी नौकरी पर कब्जा जमाए हुए हैं और स्लीपर सेल की तरह आतंकियों की मदद करते हैं। इसी कड़ी में, शनिवार को जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने पुलिसकर्मियों सहित अन्य विभागों में काम करने वाले छह सरकारी कर्मचारियों पर कार्रवाई की। इन सभी को पद से बर्खास्त कर दिया गया है।
सरकार के आधिकारिक बयान में कहा गया, “पुलिसकर्मियों सहित छह अधिकारी ड्रग्स की बिक्री के जरिए टेरर फंडिंग में संलिप्त पाए गए। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने इन कर्मचारियों को बर्खास्त करने के लिए भारतीय संविधान के अनुच्छेद 311(2)(सी) का इस्तेमाल किया है।” बयान के अनुसार, “जांच से पता चला है कि वे पाकिस्तान की आईएसआई और उसकी जमीन से संचालित आतंकवादी समूहों द्वारा संचालित नार्को-टेरर नेटवर्क का हिस्सा थे।”
2019 के बाद तेज हुई कार्रवाई…
जम्मू-कश्मीर सरकार उन दोषी सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर रही है, जो केंद्र शासित प्रदेश (जम्मू-कश्मीर) में आतंकवाद और अलगाववादी अभियानों को समर्थन देने में लिप्त पाए गए हैं। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 311(2)(सी) के तहत यह सक्रिय कार्रवाई 2019 के बाद शुरू हुई है, जब आर्टिकल 370 को निरस्त कर दिया गया था।
इंटेलिजेंस क्लीयरेंस के बिना अब नहीं होगा प्रमोशन…
अब सरकारी अधिकारियों के लिए यह अनिवार्य हो गया है कि वे प्रमोशन से पहले खुफिया विभाग से क्लीयरेंस लें। ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि अलगाववादी और ऐसी गतिविधियों में लिप्त लोग सिविल सेवाओं और पुलिस में प्रवेश न कर सकें, जिससे राष्ट्रीय एकता और सुरक्षा को खतरा न पहुंचे।