
दुकानों पर नेम प्लेट को लेकर मचे घमासान के बीच सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दुकान मालिकों को अपना नाम बताने की जरूरत नहीं है। दो जजों की बेंच ने एक एनजीओ की याचिका पर सुनवाई करते हुए दुकानों के बाहर नेम प्लेट लगाने के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी। साथ ही उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश सरकार को नोटिस भी जारी किया है।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दुकानों के बाहर नेम प्लेट लगाना स्वैच्छिक है। किसी को मजबूर नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि यह जरूरी नहीं है कि दुकानों के बाहर दुकानदार का नाम लिखा ही हो। बस यह लिखा होना जरूरी है कि वहां मांसाहारी खाना मिलता है या शाकाहारी। सुप्रीम कोर्ट एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स नाम के एनजीओ की याचिका पर सुनवाई कर रहा था। आपको बता दें कि इसी मसले पर तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर रखी है, जो अभी सुनवाई के लिए लिस्ट नहीं हो पाई है।
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की जिन दो जजों की बेंच ने नेम प्लेट विवाद पर सुनवाई की, उसमें जस्टिस हृषिकेश रॉय और जस्टिस एसवी भट्टी शामिल थे। आइए जानते हैं ये दोनों जज कौन हैं।
कौन हैं जस्टिस हृषिकेश रॉय?
जस्टिस हृषिकेश रॉय का जन्म 1 फरवरी 1960 को हुआ। शुरुआती पढ़ाई-लिखाई के बाद वह कानून की पढ़ाई करने दिल्ली आ गए। दिल्ली यूनिवर्सिटी के कैंपस लॉ सेंटर में दाखिला लिया और साल 1982 में एलएलबी की पढ़ाई पूरी की। दिलचस्प बात यह है कि सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हृषिकेश रॉय क्लासमेट रह चुके हैं। CJI चंद्रचूड़ भी कैंपस लॉ सेंटर में 1982 बैच के ही स्टूडेंट थे।

जस्टिस हृषिकेश रॉय ने लॉ की पढ़ाई के बाद वकालत की प्रैक्टिस शुरू की। वह लंबे समय तक गुवाहाटी हाई कोर्ट और दिल्ली हाई कोर्ट में वकालत की प्रैक्टिस करते रहे। अक्टूबर 2006 में गुवाहाटी हाई कोर्ट के एडिशनल जज नियुक्त हुए। फिर यहीं परमानेंट जज बने। यहां से उनका तबादला केरल हाई कोर्ट में बतौर एक्टिंग चीफ जस्टिस हुआ। फिर केरल हाई कोर्ट के 35वें चीफ जस्टिस बने। साल 2019 में जस्टिस हृषिकेश रॉय का तबादला सुप्रीम कोर्ट में हुआ।
फिल्म भी बना चुके हैं जस्टिस रॉय
बहुत कम लोग जानते हैं कि जस्टिस हृषिकेश रॉय की फिल्म मेकिंग में भी दिलचस्पी है। उन्होंने ‘शाको’ और ‘अपने अजनबी’ नाम की फिल्में भी बनाई हैं। ये कानूनी सहायता पर केंद्रित अवेयरनेस फिल्में थीं। उनकी फिल्म ‘शाको’ तमाम मध्यस्थता कार्यक्रमों में दिखाई जाती है।
कौन हैं जस्टिस एसवी भट्टी?
अब बात करते हैं दूसरे जज जस्टिस एसवी भट्टी की। मूल रूप से आंध्र प्रदेश के चित्तूर के रहने वाले जस्टिस भट्टी का जन्म 6 मई 1962 को हुआ। उन्होंने बेंगलुरु के जगतगुरु रेणुकाचार्य कॉलेज से लॉ की डिग्री ली। कानून की पढ़ाई के बाद 21 जनवरी 1987 को बार काउंसिल ऑफ आंध्र प्रदेश में एनरोलमेंट कराया और बतौर वकील प्रैक्टिस शुरू कर दी। जस्टिस भट्टी साल 2000 से 2003 के बीच सरकार की तरफ से स्पेशल प्लीडर भी रहे। साल 2013 में उन्हें आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट का एडिशनल जज नियुक्त किया गया। बाद में उनका तबादला केरल हाई कोर्ट हो गया।
जस्टिस भट्टी 24 फरवरी 2023 को केरल हाई कोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस बने। फिर करीब 4 महीने बाद ही परमानेंट चीफ जस्टिस नियुक्त हुए। केरल हाई कोर्ट का चीफ जस्टिस बनने के कुछ दिन के अंदर ही जस्टिस भट्टी का नाम कॉलेजियम ने सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति के लिए प्रस्तावित किया और 12 जुलाई 2023 को कानून मंत्रालय ने उनका नाम मंजूर कर लिया।