गाजीपुर: सादात थाना एक बार फिर विवादों में घिर गया है। इस बार थानाध्यक्ष कौशलेंद्र प्रताप सिंह पर आरोप लगे हैं कि उन्होंने एक पक्ष की दीवार गिरवाने के लिए रिश्वत ली और पीड़ित को धमकियां दीं। इस मामले में पीड़ित ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक शिकायत पहुंचाई, जिसके बाद पुलिस में हलचल मच गई है।
क्या है पूरा मामला?
सोमवार को जिले में दो पुलिस विवाद सामने आए। पहला मामला रामपुर मांझा थाना क्षेत्र का था, जहां एक वाहन चालक द्वारा आत्महत्या किए जाने के बाद परिजनों ने पुलिस पर रिश्वत लेकर प्रताड़ित करने का आरोप लगाया। जबकि दूसरा विवाद सादात थाना से जुड़ा है, जहां पीड़ित ने मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर शिकायत दर्ज कराई।
मुख्यमंत्री को भेजी गई शिकायत
राजेश सिंह, जो कि बरहपार नसरतपुर गांव के निवासी हैं, ने आरोप लगाया कि वह अपनी आबादी की ज़मीन पर दीवार खड़ी कर रहे थे, तभी हरिकृष्ण सिंह और उनके दो पुत्रों (अभिषेक और अंकित सिंह) के साथ सादात थाना प्रभारी कौशलेंद्र प्रताप सिंह, एसआई हरिहर प्रसाद मिश्र और चार अन्य पुलिसकर्मी मौके पर पहुंचे।
राजेश सिंह ने आरोप लगाया कि पुलिसकर्मियों ने गालियां दीं, रिश्वत ली और उनकी 7 फीट ऊंची दीवार गिरवा दी। इसके अलावा, उन्होंने आरोप लगाया कि 82 वर्षीय वृद्ध मां को धक्का दिया और गंभीर धाराओं में फंसाने की धमकी दी।
वीडियो वायरल, पुलिस पर रिश्वत का आरोप
इस घटना का एक वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें पुलिसकर्मी एक व्यक्ति को पकड़ते हुए दिखाई दे रहे हैं, और दूसरी ओर, दीवार गिराई जा रही है। वीडियो में एक व्यक्ति यह कहते हुए सुनाई देता है, “पुलिस पैसा लेकर दीवार गिरवा रही है”। यह वीडियो सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गया है।
लेखपाल का उलटा बयान
इसी बीच, लेखपाल दिनेश चंद्र ने राजेश सिंह के खिलाफ तहरीर दी, जिसमें आरोप लगाया गया कि राजेश सिंह ने सड़क पर दीवार खड़ी करके रास्ता बंद करने की कोशिश की। जब पुलिस और राजस्व विभाग की टीम ने इसे रोका, तो उन्होंने सरकारी काम में बाधा डालने और दुर्व्यवहार करने का आरोप लगाया। इसके बाद उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया।
पुलिस और प्रशासन का पक्ष
क्षेत्राधिकारी (सीओ) अनिल कुमार ने कहा कि यह मामला अवैध दीवार निर्माण का था। उन्होंने बताया कि पुलिस ने कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए हस्तक्षेप किया। रिश्वत लेने और दीवार गिरवाने का कोई मामला नहीं था।
वहीं, थानाध्यक्ष कौशलेंद्र प्रताप सिंह ने सभी आरोपों को निराधार बताते हुए कहा कि लेखपाल की तहरीर पर राजेश सिंह और 7-8 अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है।
मुख्य सवाल बरकरार
मामला चाहे जो भी हो, लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर किसके आदेश पर दीवार गिराई गई? क्या पुलिस को यह अधिकार था कि वह किसी निजी संपत्ति की दीवार गिराने में भूमिका निभाए? इस सवाल का अभी तक कोई स्पष्ट जवाब नहीं आया है, और यह मुद्दा अभी भी चर्चा का विषय बना हुआ है। पुलिस की मौजूदगी में किसी की दिवाल एक गिराए फिर तो सवाल उठना लाजमी है। वीडियो में यह साफ देखा जा सकता है एक पक्ष को जहां पुलिस पूरी तरह से रोकने में जुटी है वहीं दूसरा पक्ष दिवाल गिराने में जुटा हुआ है।