Tuesday, July 1, 2025
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सुप्रीम कोर्ट का सख्त आदेश: ‘शेख अली की गुमटी’ से अतिक्रमण हटेगा, MCD को दो हफ्ते में खाली करना होगा कार्यालय

नई दिल्ली, 8 अप्रैल 2025
सुप्रीम कोर्ट ने लोधी युग के ऐतिहासिक स्मारक ‘शेख अली की गुमटी’ को अतिक्रमण से मुक्त कराने के लिए कड़ा रुख अपनाते हुए केंद्र सरकार और दिल्ली नगर निगम (MCD) को स्मारक के आसपास से सभी अतिक्रमण हटाने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने साथ ही एमसीडी को दो सप्ताह के भीतर अपने इंजीनियरिंग विभाग का कार्यालय खाली कर भूमि एवं विकास कार्यालय (L&DO) को सौंपने का आदेश भी दिया है।

न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने मंगलवार को सुनवाई के दौरान यह निर्देश जारी किए। अदालत ने दिल्ली पुलिस और यातायात पुलिस के उपायुक्तों को आदेश के पालन की निगरानी सुनिश्चित करने को भी कहा है।

RWA को 40 लाख रुपये हर्जाना देने का आदेश, 14 मई तक की डेडलाइन

पीठ ने डिफेंस कॉलोनी रेज़िडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (RWA) को स्मारक पर अनधिकृत कब्जे के लिए ₹40 लाख का मुआवज़ा अदा करने का निर्देश दिया था, जो अब तक जमा नहीं किया गया है। कोर्ट ने उन्हें अंतिम अवसर देते हुए 14 मई तक राशि जमा करने का निर्देश दिया है।

ASI को फटकार और पुनरुद्धार समिति गठित करने का निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने स्मारक की सुरक्षा में लापरवाही बरतने पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने सवाल किया—

“आप किस तरह के अधिकारी हैं? क्या आपको प्राचीन धरोहरों की रक्षा का अपना कर्तव्य याद नहीं?”

पीठ ने दिल्ली पुरातत्व विभाग को स्मारक के संरक्षण और मरम्मत के लिए विशेषज्ञों की एक समिति गठित करने का निर्देश भी दिया है। साथ ही भूमि एवं विकास कार्यालय को साइट शांतिपूर्वक सौंपने को कहा गया है।

स्वप्ना लिडल को सर्वेक्षण की जिम्मेदारी

कोर्ट ने भारतीय राष्ट्रीय कला एवं सांस्कृतिक विरासत न्यास (INTACH) की दिल्ली शाखा की पूर्व संयोजक स्वप्ना लिडल की रिपोर्ट का संज्ञान लेते हुए उन्हें स्मारक के निरीक्षण, क्षति के मूल्यांकन और पुनरुद्धार योजना तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी है।

RWA ने 15वीं सदी की धरोहर को ‘ऑफिस’ बना लिया था

पीठ ने बताया कि सीबीआई की जांच में सामने आया कि RWA 15वीं सदी की इस संरचना का उपयोग अपने कार्यालय के रूप में कर रही थी। RWA ने अपने कब्जे को यह कहकर सही ठहराया कि ‘असामाजिक तत्व स्मारक को नुकसान पहुँचा सकते हैं।’ कोर्ट ने इस तर्क को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि यह ऐतिहासिक विरासत पर सीधा अतिक्रमण है।

राजीव सूरी की याचिका से खुला मामला

यह मामला डिफेंस कॉलोनी निवासी राजीव सूरी द्वारा दाखिल याचिका से जुड़ा है, जिसमें उन्होंने प्राचीन स्मारक एवं पुरातत्व स्थल एवं अवशेष अधिनियम, 1958 के तहत इस संरचना को संरक्षित घोषित किए जाने की मांग की थी। याचिका पर सुनवाई के दौरान ही स्मारक पर अवैध कब्जे और अधिकारियों की निष्क्रियता का मामला उजागर हुआ।

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