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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने कर्ज में डूबी रियल्टी कंपनी सुपरटेक लिमिटेड की 16 आवासीय परियोजनाओं को पूरा करने के एनसीएलएटी के आदेश पर रोक लगा दी है। इन परियोजनाओं को एनबीसीसी (नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन) द्वारा पूरा किया जाना था, लेकिन शीर्ष अदालत के फैसले के बाद अब यह प्रक्रिया ठप हो गई है।
क्या है मामला?
एनसीएलएटी ने 12 दिसंबर, 2024 को एनबीसीसी को उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा और कर्नाटक में फैली 49,748 घरों वाली 16 आवासीय परियोजनाओं को पूरा करने की जिम्मेदारी सौंपी थी। इस फैसले के तहत करीब 27,000 घर खरीदारों को अपने सपनों का घर मिलने की उम्मीद थी। इन परियोजनाओं की कुल लागत लगभग 9,500 करोड़ रुपए आंकी गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने क्यों लगाई रोक?
मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने एनसीएलएटी के आदेश को चुनौती देने वाली दो अपीलों पर सुनवाई करते हुए यह निर्णय दिया। कोर्ट ने कहा कि वह जांच करेगी कि एनसीएलएटी ने एनबीसीसी को परियोजना प्रबंधन सलाहकार बनाते समय दिवाला और ऋण शोधन अक्षमता संहिता (IBC) की प्रक्रिया का पालन किया या नहीं।
सुपरटेक के चेयरमैन आरके अरोड़ा की प्रतिक्रिया
सुपरटेक समूह के चेयरमैन आरके अरोड़ा ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हुए कहा कि,
“एनसीएलएटी ने एनबीसीसी को भूमि प्राधिकरणों और ऋणदाताओं जैसे अन्य पक्षों के हितों की अनदेखी कर मनमाने ढंग से सुपरटेक की परियोजनाओं को अपने हाथ में लेने की अनुमति दी थी। हम सभी हितधारकों – घर खरीदारों, बैंकों और भूमि प्राधिकरणों के लिए एक संतुलित समाधान चाहते हैं।”
एनसीएलएटी ने निर्माण कार्य शुरू करने का दिया था आदेश
एनसीएलएटी ने एनबीसीसी को 31 मार्च, 2025 से पहले काम शुरू करने और एक महीने के भीतर कॉन्ट्रैक्ट देने का निर्देश दिया था। इसके तहत 1 मई, 2025 से निर्माण कार्य शुरू करने का आदेश दिया गया था। साथ ही, हर परियोजना के लिए एक निगरानी कमेटी और परियोजना-वार कोर्ट कमेटी गठित करने की बात कही गई थी।
अब क्या होगा आगे?
सुप्रीम कोर्ट की रोक के बाद एनबीसीसी द्वारा सुपरटेक की परियोजनाओं के अधिग्रहण की प्रक्रिया फिलहाल ठप हो गई है। अब यह देखना होगा कि कोर्ट इस मामले में क्या अंतिम फैसला सुनाती है और क्या घर खरीदारों को जल्द राहत मिलेगी या नहीं।
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VIKAS TRIPATHI
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