नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बेंगलुरु सेंट्रल लोकसभा सीट की वोटर लिस्ट में कथित गड़बड़ी को लेकर दायर उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें एसआईटी (विशेष जांच टीम) से जांच की मांग की गई थी। इस मामले में कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने बीजेपी और चुनाव आयोग पर मिलीभगत का आरोप लगाया था।
क्या थी याचिका की मांग?
याचिका में मांग की गई थी कि एक पूर्व जज की अध्यक्षता में एसआईटी गठित की जाए, जो वोटर लिस्ट में कथित हेराफेरी की जांच करे। इसके साथ ही यह भी अनुरोध किया गया था कि जब तक कोर्ट के निर्देशों का पालन और स्वतंत्र ऑडिट पूरा नहीं हो जाता, तब तक वोटर लिस्ट में किसी भी तरह का संशोधन या अंतिम रूप देने की प्रक्रिया को रोका जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने याचिकाकर्ता से कहा कि वे अपनी शिकायत चुनाव आयोग (ECI) के समक्ष रखें।
पीठ ने स्पष्ट कहा—
“हमने याचिकाकर्ता के वकील की दलीलें सुनी हैं। यह याचिका जनहित याचिका के रूप में दाखिल की गई है, लेकिन हम इस पर विचार करने के इच्छुक नहीं हैं। याचिकाकर्ता चाहे तो चुनाव आयोग के सामने अपनी बात रख सकते हैं।”
चुनाव आयोग ने याचिका नहीं स्वीकार की
याचिकाकर्ता के वकील रोहित पांडे ने कोर्ट को बताया कि उन्होंने पहले ही चुनाव आयोग को अभ्यावेदन दिया था, लेकिन आयोग ने उसे स्वीकार नहीं किया। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया था कि आयोग को इस पर निर्धारित समय सीमा में फैसला लेने का निर्देश दिया जाए, मगर कोर्ट ने यह मांग भी ठुकरा दी।
राहुल गांधी के आरोप क्या थे?
याचिका में राहुल गांधी की उस प्रेस कॉन्फ्रेंस का भी उल्लेख किया गया है, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि भारतीय जनता पार्टी और चुनाव आयोग के बीच मिलीभगत से बड़े पैमाने पर आपराधिक धोखाधड़ी की गई है।
राहुल गांधी ने इसे “वोट चोरी (Vote Theft)” करार दिया था और कहा था कि कर्नाटक के कुछ निर्वाचन क्षेत्रों में वोटर लिस्ट में भारी गड़बड़ी की गई है। कांग्रेस की ओर से इस आरोप को साबित करने के लिए डेटा एनालिसिस का हवाला भी दिया गया था।
अब आगे क्या?
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद अब मामला पूरी तरह से चुनाव आयोग के अधिकार क्षेत्र में चला गया है। कोर्ट ने यह साफ किया कि वोटर लिस्ट में किसी भी तरह की शिकायत या अनियमितता के मामले में प्राथमिक जिम्मेदारी चुनाव आयोग की है, न कि अदालत की।