
श्रीलंका ने 23 फरवरी को भारत के 32 मछुआरों को गिरफ्तार कर लिया, जिससे यह मुद्दा एक बार फिर तमिलनाडु की राजनीति में गरमा गया है। मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने इस मामले को उठाते हुए विदेश मंत्री एस. जयशंकर को एक बार फिर पत्र लिखा है। उन्होंने गिरफ्तार मछुआरों और जब्त की गई नौकाओं की रिहाई के लिए संयुक्त कार्य समूह (जॉइंट वर्किंग ग्रुप) बुलाने की मांग की है।
पुराना विवाद, अब तक नहीं निकला स्थायी हल
भारत और श्रीलंका के बीच मजबूत रिश्तों के बावजूद मछुआरों की गिरफ्तारी और रिहाई का विवाद दशकों पुराना है। मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने पत्र में कहा कि श्रीलंकाई सरकार पर लगातार दबाव बनाने के बावजूद भारतीय मछुआरों की गिरफ्तारियां नहीं रुक रही हैं।
स्टालिन ने कुछ चौंकाने वाले आंकड़े भी जारी किए:
- 2025 में अब तक आठ अलग-अलग घटनाओं में 119 भारतीय मछुआरे गिरफ्तार किए जा चुके हैं।
- श्रीलंकाई नौसेना ने 16 मछली पकड़ने वाली नौकाओं को जब्त कर लिया है।
गिरफ्तारियों से प्रभावित हो रही मछुआरों की आजीविका
मुख्यमंत्री ने विदेश मंत्री से आग्रह किया कि वे इस समस्या का स्थायी समाधान निकालने और मछुआरों की रिहाई सुनिश्चित करने के लिए तुरंत संयुक्त कार्य समूह बुलाएं। उन्होंने कहा कि इन गिरफ्तारियों के कारण मछुआरों के परिवारों की आजीविका गंभीर रूप से प्रभावित हो रही है।
पहले भी उठा चुके हैं यह मुद्दा
यह पहली बार नहीं है जब स्टालिन ने इस मामले को उठाया है। 9 जनवरी 2025 को भी उन्होंने विदेश मंत्री एस. जयशंकर को पत्र लिखकर श्रीलंका की हिरासत में मौजूद मछुआरों और उनकी नौकाओं की रिहाई सुनिश्चित करने के लिए कूटनीतिक प्रयासों की मांग की थी।
8 जनवरी को श्रीलंकाई नौसेना ने 10 भारतीय मछुआरों को गिरफ्तार किया था, जिनमें से 6 तमिलनाडु के निवासी थे।
तमिलनाडु सरकार के अनुसार, श्रीलंका के कब्जे में अब भी 210 भारतीय मछली पकड़ने वाली नावें हैं। इस मुद्दे पर केंद्र सरकार से तत्काल ठोस कदम उठाने की मांग की जा रही है।
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