Sexual Harassment Case Against Brij Bhushan Sharan Singh: नई दिल्ली, 16 जनवरी 2025: भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के पूर्व प्रमुख और पूर्व भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ एक नाबालिग पहलवान द्वारा दर्ज कराई गई यौन उत्पीड़न की शिकायत पर दिल्ली की अदालत 15 अप्रैल को अपना फैसला सुना सकती है। अदालत को यह तय करना है कि दिल्ली पुलिस द्वारा दायर की गई क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार किया जाए या नहीं।
मामले की पृष्ठभूमि
यह मामला तब सुर्खियों में आया जब एक नाबालिग पहलवान ने बृजभूषण शरण सिंह पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया। पुलिस ने मामले की जांच के बाद 15 जून 2023 को अदालत में एक रिपोर्ट दायर की थी, जिसमें शिकायत को रद्द करने की सिफारिश की गई थी। रिपोर्ट में कहा गया था कि नाबालिग के पिता ने बदले की भावना से यह शिकायत दर्ज कराई थी और इसमें कोई ठोस सबूत नहीं मिला है।
अदालत में हुई अब तक की कार्यवाही
1 अगस्त 2023 को इस मामले में अदालत में इन-चैंबर कार्यवाही हुई थी। उस दौरान नाबालिग पहलवान ने कोर्ट को बताया कि वह पुलिस की क्लोजर रिपोर्ट से संतुष्ट है और इसका विरोध नहीं करती। हालांकि, अदालत ने इस मामले पर अंतिम फैसला सुरक्षित रखा।
गुरुवार, 15 जनवरी 2025 को इस मामले की सुनवाई अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश गोमती मनोचा की अदालत में होनी थी, लेकिन न्यायाधीश की अनुपस्थिति के कारण इसे स्थगित कर दिया गया। अब अदालत 15 अप्रैल को अपना आदेश सुना सकती है।
क्लोजर रिपोर्ट में पुलिस के दावे
दिल्ली पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में POCSO अधिनियम के तहत लगाए गए प्रावधानों को हटाने की सिफारिश की है। रिपोर्ट में कहा गया है:
- नाबालिग पहलवान के पिता ने व्यक्तिगत कारणों और कथित अन्याय का बदला लेने के लिए यह शिकायत दर्ज कराई थी।
- शिकायत में लगाए गए आरोपों की पुष्टि करने वाले कोई सबूत नहीं मिले हैं।
आरोप और सजा का प्रावधान
यदि POCSO अधिनियम के तहत लगाए गए आरोप सिद्ध होते, तो आरोपी को कम से कम तीन साल की सजा का प्रावधान है। हालांकि, पुलिस की रिपोर्ट के मुताबिक इस मामले में लगाए गए आरोप प्रमाणित नहीं हुए।
अन्य शिकायतें और आरोप
बृजभूषण शरण सिंह पर छह अन्य महिला पहलवानों ने भी यौन उत्पीड़न और पीछा करने का आरोप लगाया है। यह मामला अलग से चल रहा है। हालांकि, बृजभूषण शरण सिंह ने सभी आरोपों को खारिज करते हुए इसे साजिश बताया है।
क्या होगा आगे?
अब अदालत को तय करना है कि:
- पुलिस की क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार किया जाए।
- मामले में आगे की जांच का आदेश दिया जाए।
नजरें अब 15 अप्रैल 2025 की सुनवाई पर हैं, जहां अदालत का फैसला इस विवादित मामले की दिशा तय करेगा।
VIKAS TRIPATHI
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