Wednesday, October 8, 2025
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“कुत्तों से सुरक्षा — लेकिन इंसानियत भी बरकरार”: सुप्रीम कोर्ट के नए निर्देशों पर समझदार और दिलचस्प रिपोर्ट

नई दिल्ली, रिपोर्ट: सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों के मामलों में एक संतुलित — और अब तक के अनुभवों से परिपक्व — रवैये की रूपरेखा दी है। अब न केवल नसबंदी, कृमिनाशक और टीकाकरण को प्राथमिकता मिलेगी, बल्कि व्यवहारिक रूप से खतरनाक पाए जाने वाले कुत्तों के लिए कड़ी कार्रवाई का भी रास्ता साफ़ किया गया है। न्यायालय ने स्पष्ट कर दिया है कि अधिकारियों को वैज्ञानिक तरीके से कार्रवाई करने दी जानी चाहिए और किसी भी तरह के गैरज़रूरी हस्तक्षेप पर रोक रहेगी।

क्या नया है — साधारण शब्दों में

स्थानीय प्रशासन और पशुचिकित्सकों को निर्देश है कि संदिग्ध कुत्तों को पहले पकड़े, फिर नसबंदी/कृमिनाशक (deworming) और टीकाकरण कराकर वहीँ वापस छोड़ें जहां से पकड़ा गया था — ताकि इलाके में संतुलन बना रहे।

परन्तु अगर किसी कुत्ते में पागलपन (रेबीज) के लक्षण या लगातार खतरनाक व्यवहार दिखे तो उसे वापस नहीं छोड़ा जाएगा; ऐसे कुत्तों के खिलाफ सख्त कदम उठाये जा सकेंगे।

स्थानीय अधिकारियों के काम में किसी व्यक्ति या संस्था का दखल न हो — ताकि काम बिना बाधा और वैज्ञानिक तरीके से पूरा हो सके।

पलक झपकते पहचानें — पागल/हिंसक कुत्तों के लक्षण

पागल कुत्तों की पहचान केवल अफवाह पर नहीं होती — इसके लिए व्यवहारिक और शारीरिक लक्षण देखे जाते हैं, जैसे:

बिना वजह अचानक बढ़ती आक्रामकता;

भौंकने में असामान्य बदलाव या आवाज़ का बदल जाना;

मुंह से झाग निकलना या अत्यधिक लार टपकना;

लड़खड़ाना, असामान्य चलना या आसपास को पहचान न पाना;

जबड़े का ढीला होना, आँखों में खालीपन या भ्रम।

रेबीज-शंकित कुत्तों की जांच-प्रक्रिया

जब किसी कुत्ते में रेबीज के संकेत मिलें तो एक विशेष पैनल द्वारा उसका आकलन किया जाएगा — पैनल में स्थानीय प्रशासन द्वारा नियुक्त पशु चिकित्सक और पशु-कल्याण संगठन का प्रतिनिधि शामिल होगा।

यदि पैनल को शक हुआ तो कुत्ते को अलग रखा जाएगा और करीब 10 दिनों तक निगरानी की जाएगी।

इस दौरान कई बार देखा जाता है कि पैनित (संक्रमित) पशु प्राकृतिक कारणों से मर सकते हैं — इसलिए वैज्ञानिक तरीके से ही अंतिम निर्णय लिया जाता है।

“हिंसक कुत्तों” की नई कैटेगरी

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी माना कि कुछ कुत्ते ऐसे होते हैं जिनकी प्रवृत्ति सामान्य खतरे से अलग, बार-बार काटने वाली या लगातार घातक आक्रामकता दिखाने वाली होती है — इन्हें “हिंसक कुत्ते” की श्रेणी में रखा जा सकता है और इनके लिए अलग नीतियाँ लागू की जाएँगी।

नागरिकों के लिए सीधे और व्यावहारिक सुझव

किसी संदिग्ध/आक्रमक कुत्ते के नज़दीक न जाएँ; बच्चों को भी सतर्क रखें।

अगर किसी ने काटा है तो तुरन्त घाव की सफाई कराएँ और नज़दीकी स्वास्थ्य केंद्र पर रेबीज के इलाज/टीके के लिए संपर्क करें।

स्थानीय निकाय (नगर निगम / पॉलिटेक्निक सेवा) या पशु-कल्याण संगठनों को सूचना दें — स्वयं हिंसक कदम न उठाएँ।

अपने पालतू कुत्तों का समय पर टीकाकरण और नसबंदी कराएँ — यह समुदाय की सुरक्षा का हिस्सा है।

इंसानियत और सुरक्षा का संतुलन

सुप्रीम कोर्ट का निर्देश साफ़ संदेश देता है: जनस्वास्थ्य व सुरक्षा सर्वोपरि, लेकिन पशु-कल्याण और वैज्ञानिक परीक्षणों को भी नजरअंदाज नहीं किया जाएगा। नियम यह सुनिश्चित करते हैं कि समुदाय में न केवल लोग सुरक्षित रहें बल्कि अनावश्यक रूप से जानवरों को नुकसान पहुँचाने के बजाय दिये गए वैज्ञानिक मार्गदर्शन के रूप में समस्या का समाधान हो।

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VIKAS TRIPATHI
VIKAS TRIPATHIhttp://www.pardaphaas.com
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