
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने देश में परिसीमन को लेकर उठ रहे विवादों और आशंकाओं पर अपनी स्थिति स्पष्ट की है। संघ के सह सरकार्यवाह अरुण कुमार ने कहा कि परिसीमन को लेकर अनावश्यक आशंका जताई जा रही है, जबकि इस पर अभी तक कोई नया कानून नहीं आया है। उन्होंने कहा कि समाज में सबको साथ लेकर चलने की जरूरत है और अविश्वास खड़ा करने से बचना चाहिए।
परिसीमन पर RSS का क्या कहना है?
RSS की कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में चल रही तीन दिवसीय बैठक के दौरान परिसीमन के मुद्दे पर चर्चा हुई। इस मौके पर अरुण कुमार ने मीडिया से बात करते हुए कहा—
✅ परिसीमन के लिए पहले एक कानून बनता है, उसके बिना यह संभव नहीं।
✅ भारत में पहला परिसीमन अधिनियम 1979 में आया था, फिर 2002 में एक नया अधिनियम लाया गया।
✅ 2002 के बाद परिसीमन को फ्रीज कर दिया गया, यानी कोई नया परिसीमन नहीं किया गया।
✅ अभी कोई नया परिसीमन कानून पास नहीं हुआ, फिर इस पर विवाद क्यों खड़ा किया जा रहा है?
“परिसीमन से पहले जनसंख्या गणना होती है”
संघ के वरिष्ठ नेता अरुण कुमार ने स्पष्ट किया कि—
🔹 परिसीमन से पहले जनगणना (Census) होती है, जिसके बाद नया परिसीमन अधिनियम आता है।
🔹 अभी तक जनगणना नहीं हुई है और न ही कोई नया अधिनियम लाया गया है।
🔹 तो फिर इस मुद्दे पर विवाद क्यों खड़ा किया जा रहा है?
उन्होंने यह भी कहा कि जो लोग परिसीमन के नाम पर डर फैला रहे हैं, उन्हें आत्मविश्लेषण करना चाहिए कि वे सही कर रहे हैं या नहीं।
बीजेपी अध्यक्ष की नियुक्ति में देरी पर RSS का जवाब
बीजेपी में नए अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर हो रही देरी पर भी सवाल उठे, जिस पर अरुण कुमार ने स्पष्ट किया—
📌 संघ से जुड़े 32 संगठन पूरी तरह स्वतंत्र और स्वायत्त हैं।
📌 हर संगठन की अपनी निर्वाचन प्रक्रिया होती है, जिसमें संघ का कोई हस्तक्षेप नहीं होता।
📌 बीजेपी अध्यक्ष का चुनाव उनकी आंतरिक प्रक्रिया का हिस्सा है, इस पर जल्द निर्णय होगा।
📌 संघ और बीजेपी के बीच किसी तरह का टकराव नहीं है।
बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले को लेकर RSS का सख्त रुख
RSS की बैठक में बांग्लादेश में हिंदू समाज पर हो रहे हमलों को लेकर एक प्रस्ताव पारित किया गया। इस प्रस्ताव में कहा गया—
📍 भारत को बांग्लादेशी हिंदुओं के समर्थन में मजबूती से खड़ा होना चाहिए।
📍 हिंदुओं पर हो रहे हमलों को किसी भी राजनीतिक मुद्दे से नहीं जोड़ना चाहिए।
📍 संयुक्त राष्ट्र (UN) को इस मामले में दखल देना चाहिए।
RSS ने बांग्लादेश सरकार से भी हिंदुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील की।
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की परिसीमन पर प्रतिक्रिया
आरएसएस का बयान ऐसे समय में आया है जब तमिलनाडु में मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने परिसीमन पर बैठक बुलाई थी। स्टालिन ने परिसीमन पर कहा—
🔸 हम परिसीमन के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन यह निष्पक्ष और पारदर्शी होना चाहिए।
🔸 केवल जनसंख्या के आधार पर परिसीमन नहीं होना चाहिए।
🔸 वर्तमान राजनीतिक और सामाजिक संरचना को ध्यान में रखते हुए ही परिसीमन किया जाना चाहिए।
स्टालिन ने यह भी कहा कि जनसंख्या के आधार पर परिसीमन करने से कुछ राज्यों के अधिकारों पर असर पड़ सकता है, इसलिए इस पर संतुलित और न्यायसंगत निर्णय लेना जरूरी है।
परिसीमन पर क्यों बढ़ रही है बहस?
परिसीमन से जुड़े विवाद का मुख्य कारण यह है कि अगर जनसंख्या के आधार पर लोकसभा और विधानसभा सीटों का पुनर्गठन किया जाता है, तो उत्तर भारत के अधिक जनसंख्या वाले राज्यों को ज्यादा सीटें मिल सकती हैं, जबकि दक्षिण भारत के राज्यों को सीटों में कमी का सामना करना पड़ सकता है।
🟢 उत्तर भारत के पक्ष में: परिसीमन से उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों की सीटें बढ़ सकती हैं।
🔴 दक्षिण भारत की चिंता: तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, तेलंगाना जैसे राज्यों को संभावित नुकसान हो सकता है।
RSS के बयान के बाद यह मुद्दा और गर्मा सकता है क्योंकि राजनीतिक दल इस पर अलग-अलग रुख अपना रहे हैं।
क्या परिसीमन 2026 में होगा?
संविधान के अनुसार, परिसीमन को 2026 के बाद लागू किया जा सकता है। हालांकि, इस पर अभी तक कोई आधिकारिक निर्णय नहीं लिया गया है।
अगर परिसीमन लागू होता है, तो इसका असर 2029 के लोकसभा चुनावों में दिख सकता है।
अगर यह नहीं होता, तो वर्तमान स्थिति बनी रहेगी और सीटों का बंटवारा 2002 के परिसीमन के अनुसार ही रहेगा।
🔹 निष्कर्ष: परिसीमन पर आगे क्या होगा?
✅ RSS ने परिसीमन पर अनावश्यक आशंका न फैलाने की अपील की है।
✅ विपक्षी दलों, खासकर दक्षिण भारत के नेताओं ने निष्पक्ष परिसीमन की मांग की है।
✅ बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे हमलों को लेकर RSS ने UN से हस्तक्षेप की मांग की है।
✅ बीजेपी अध्यक्ष की नियुक्ति पर RSS ने साफ किया कि यह पार्टी की आंतरिक प्रक्रिया है।
अब देखने वाली बात यह होगी कि सरकार परिसीमन को लेकर क्या कदम उठाती है और यह मुद्दा 2024 के चुनावों में कितना अहम बनता है।
आपकी क्या राय है? क्या परिसीमन जरूरी है या इससे कुछ राज्यों को नुकसान होगा? कमेंट करके अपनी राय दें!

VIKAS TRIPATHI
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