नई दिल्ली — अमेरिका द्वारा भारत पर लागू किए गए 50% टैरिफ के ऐलान के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने 19–20 अगस्त को राजधानी दिल्ली में एक अहम बैठकर बुलाई है। संघ की यह आपातस्तरीय बैठक आंतरिक तौर पर असर का आकलन करने और आगे की रणनीति तय करने के लिए बुलायी गयी है — इसमें संघ का पूरा शीर्ष नेतृत्व और आर्थिक समूह के प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे।
कब और कौन-कौन शामिल होंगे
बैठक 19 और 20 अगस्त को दिल्ली में आयोजित होगी। इसमें आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की मौजूदगी अपेक्षित है। साथ ही सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले, सभी छह सह–सरकार्यवाह तथा अखिल भारतीय और क्षेत्रीय पदाधिकारी शिरकत करेंगे। संघ के आर्थिक विंग व उनसे जुड़े अनुषांगिक संगठनों — जैसे लघु उद्योग भारती, सहकार भारती, स्वदेशी जागरण मंच, भारतीय मजदूर संघ, किसान संघ — के 50–60 वरिष्ठ प्रतिनिधि भी बैठक में शामिल होंगे। सूत्रों के अनुसार कुछ वरिष्ठ भाजपा नेता और केंद्रीय स्तर के अधिकारी भी आमंत्रित किए जा सकते हैं।
बैठक का एजेंडा — क्या होगा मंथन
आरएसएस के इस माइंड-स्टॉर्मिंग सेशन में मुख्य रूप से ये विषय शीर्ष प्राथमिकता पर रहेंगे:
अमेरिका के टैरिफ निर्णय के आर्थिक प्रभाव का त्वरित मूल्यांकन (किस सेक्टर पर कितना प्रभाव पड़ेगा)
व्यापार-आश्रित उद्योगों और एमएसएमई पर संभावित जोखिम और बचाव-रणनीतियाँ
आपूर्ति श्रृंखलाओं का वैकल्पिककरण, निर्यात बाजार में विविधीकरण व आयात विकल्प तलाशना
घरेलू उद्योग संरक्षण और लागत घटाने के उपाय (इम्पोर्ट सब्स्टीट्यूशन)
कूटनीतिक व सामजिक संदेश — सरकार को सुझाए जाने वाले समन्वयात्मक कदम और सार्वजनिक-आगाहिकता अभियान
संघ के आर्थिक समूहों के माध्यम से उद्योगों/किसानों/किरदारों के साथ संवाद-तैयारी तथा आवश्यक्तानुसार सरकार को ज्ञापन
आरएसएस का रुख और पृष्ठभूमि
आरएसएस ने पहले ही अमेरिका के टैरिफ निर्णय की तीखी निंदा कर दी है; अपने प्रकाशनों में संघ ने कहा कि टैरिफ और व्यापार युद्ध वैश्विक राजनीति में नए प्रकार के दबाव-हथियार बन गए हैं और कुछ परिदृश्यों में यह वैश्विक अस्थिरता तथा आतंकवाद को बढ़ावा देने जैसा है — यह वही तर्क है जिसे बैठक में और स्पष्ट किया जाएगा। संघ के आर्थिक समूह ने इस कदम को राष्ट्रीय संप्रभुता व आर्थिक हितों पर हमला बताया है और उसका असर रोकने के लिए व्यापक रणनीति तैयार करने का आग्रह किया है।
संभावित परिणाम और अपेक्षित दायित्व
बैठक के बाद संघ से निम्नलिखित कदमों की उम्मीद की जा रही है:
केंद्र सरकार को सिफारिशें और नीति-स्तरीय सुझाव देने वाला एक समेकित अवलोकन रिपोर्ट तैयार करना
संबंधित उद्योगों तथा किसान संगठनों के साथ समन्वय बढ़ाना और तत्काल राहत-पैकेज/नियामक सुझावों पर दबाव डालना
स्वदेशी’ और छोटे उद्यमियों के लिए वैकल्पिक बाजार व आपूर्ति-रणनीतियाँ सुझाना
जन-आंदोलन या जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से व्यापारिक/राजनीतिक संदेश का प्रसार (यदि आवश्यक हुआ)
क्यों अहम है यह बैठक
यह बैठक सिर्फ एक संगठनात्मक चर्चा नहीं — बल्कि ऐसे समय में हो रही है जब उच्चस्तरीय राजनयिक व व्यापारी निर्णय भारत की आर्थिक दिशा प्रभावित कर सकते हैं। संघ का ऐक्शन-प्लान सरकार और कारोबारी समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण इनपुट बन सकता है, खासकर तब जब ट्रेड-विरोधी उपायों का दीर्घकालिक प्रभाव कामकाज, रोज़गार और ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाला हो।
नोट: बैठक के अधिकारिक निष्कर्ष और आरएसएस की तरफ से जारी समेकित टिप्पणी मिलने पर विस्तृत रिपोर्ट दी जाएगी।