
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख डॉ. मोहन भागवत ने भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के नवनिर्मित कार्यालय ‘यशवंत’ का दीप प्रज्वलन कर विधिवत शुभारंभ किया। यह कार्यालय देश के प्रतिष्ठित विचारक और ABVP के मार्गदर्शक यशवंतराव केलकर के नाम पर समर्पित है, जिन्होंने संगठन की नींव मजबूत करने और छात्र राजनीति में राष्ट्रवादी विचारधारा को स्थापित करने में ऐतिहासिक भूमिका निभाई।
कार्यक्रम का माहौल और उपस्थिति
दिल्ली स्थित इस भव्य उद्घाटन समारोह में बड़ी संख्या में गणमान्य अतिथियों की मौजूदगी रही। दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता, भारतीय जनता पार्टी के कई वरिष्ठ नेता, सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि, ABVP के वर्तमान एवं पूर्व पदाधिकारी, और सैकड़ों कार्यकर्ता कार्यक्रम का हिस्सा बने।
कार्यक्रम की शुरुआत वेद मंत्रोच्चार और दीप प्रज्वलन से हुई, जिससे आयोजन को आध्यात्मिक ऊर्जा और परंपरागत गरिमा प्राप्त हुई।
मोहन भागवत का संबोधन
RSS प्रमुख ने यशवंतराव केलकर को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा:
“यशवंतराव केलकर केवल संगठनकर्ता नहीं थे, वे एक विचारधारा थे, जिन्होंने विद्यार्थियों को केवल शिक्षा ही नहीं, चरित्र, राष्ट्रभक्ति और संगठन भावना भी दी। ‘यशवंत’ कार्यालय उसी विचार की जीवंत अभिव्यक्ति है।”
भागवत ने विद्यार्थियों से राष्ट्र निर्माण में अग्रसर होने की अपील करते हुए कहा कि ABVP को आज की पीढ़ी को विचारशील, अनुशासित और राष्ट्र के प्रति उत्तरदायी नागरिक बनाने का अभियान और तेज़ करना चाहिए।
‘यशवंत’ कार्यालय: केवल भवन नहीं, एक प्रेरणा स्थल
‘यशवंत’ कार्यालय न सिर्फ एक संगठनात्मक केंद्र है, बल्कि यह भावी पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणास्थली के रूप में विकसित किया गया है। कार्यालय में आधुनिक सुविधाओं के साथ-साथ विचार गोष्ठियों, शैक्षणिक संवाद, और प्रशिक्षण शिविरों के लिए विशेष व्यवस्थाएं की गई हैं। यह परिसर ABVP की विचारधारा और संगठन की सांस्कृतिक जड़ों को जीवंत रखने का एक प्रयास है।
सांस्कृतिक प्रस्तुतियों और स्मृतिचिन्ह भेंट
समारोह के दौरान ABVP कार्यकर्ताओं ने राष्ट्रभक्ति पर आधारित नृत्य, संगीत और नाट्य प्रस्तुति दी, जिसे दर्शकों ने खूब सराहा। कार्यक्रम के अंत में मुख्य अतिथियों को स्मृति-चिन्ह भेंट कर उनका सम्मान किया गया।
संघ-परिवार का संदेश: राष्ट्र निर्माण में छात्रशक्ति की भूमिका अहम
इस आयोजन ने स्पष्ट कर दिया कि ABVP केवल एक छात्र संगठन नहीं, बल्कि भारत के भविष्य की बुनियाद रखने वाला वह स्तंभ है, जो विद्यार्थियों को राष्ट्रहित के विचार से जोड़ता है।