
Rohingya refugees jammu kashmir crisis CM Omar Abdullah Central Govt: जम्मू-कश्मीर में रोहिंग्या शरणार्थी वर्तमान में जम्मू, सांबा और कश्मीर घाटी के आसपास के क्षेत्रों में बसे हुए हैं। इनमें से कुछ के पास संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त (UNHCR) द्वारा जारी शरणार्थी कार्ड हैं, लेकिन ये कार्ड भारत में रहने के लिए वैध अधिकार प्रदान नहीं करते। इसके बावजूद, इनकी आर्थिक और सामाजिक स्थिति अत्यंत दयनीय बनी हुई है।
रोहिंग्या: एक बड़ा मुद्दा
रोहिंग्या शरणार्थी जम्मू-कश्मीर में एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन चुके हैं। इस पर मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने केंद्र सरकार से अंतिम निर्णय लेने की अपील की है। उन्होंने कहा कि यदि रोहिंग्या को वापस भेजा जा सकता है तो केंद्र को कदम उठाना चाहिए, और अगर ऐसा संभव नहीं है, तो उन्हें भूख और ठंड से मरने के लिए नहीं छोड़ा जा सकता।
उमर अब्दुल्ला का यह बयान तब आया, जब जम्मू के राजस्व विभाग ने 409 रोहिंग्या परिवारों की बिजली और पानी की आपूर्ति बंद कर दी। ये परिवार सात अलग-अलग क्लस्टरों में रहते हैं, जहां अधिकतर ने अस्थायी झुग्गियां बना रखी हैं और इसके लिए वे जमीन मालिकों को किराया भी देते हैं। विभाग ने ऐसे 18 जमीन मालिकों पर भी कार्रवाई की है।
जम्मू-कश्मीर में रोहिंग्याओं की संख्या
एक रिपोर्ट के अनुसार, जम्मू-कश्मीर में वर्तमान में 13,700 से अधिक रोहिंग्या शरणार्थी रहते हैं। इनमें से अधिकांश जम्मू और सांबा जिलों में बसे हुए हैं। 2008 से 2016 के बीच इनकी संख्या में 6,000 से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई। जनवरी 2017 में अकेले जम्मू और सांबा जिलों में 6,000 से अधिक रोहिंग्या थे, और अब यह संख्या और बढ़ चुकी है।
रोहिंग्याओं की स्थिति
रोहिंग्या शरणार्थी अभी भी झुग्गियों और तंबुओं में रहने को मजबूर हैं। कुछ ने अस्थायी घर बनाए हैं, जिनके लिए उन्हें जमीन मालिकों को किराया देना पड़ता है। रोजगार के अभाव में ये लोग मजदूरी, कचरा बीनने और सफाई जैसे कार्यों से अपनी आजीविका चला रहे हैं। जो थोड़े पढ़े-लिखे हैं, वे दुकानों में सहायक के रूप में काम कर रहे हैं।
UNHCR का शरणार्थी दर्जा और भारत की स्थिति
UNHCR ने 12 साल और उससे अधिक उम्र के रोहिंग्याओं को शरणार्थी कार्ड जारी किया है। हालांकि, भारत सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह कार्ड भारत में कोई कानूनी महत्व नहीं रखता। भारत में रोहिंग्याओं के पास वैध यात्रा दस्तावेज न होने के कारण उन्हें अवैध प्रवासी माना जाता है।
जेल में बंद रोहिंग्या और निर्वासन की स्थिति
गृह मंत्रालय के निर्देश पर 2021 में जम्मू-कश्मीर में अवैध रोहिंग्या शरणार्थियों पर कार्रवाई शुरू हुई। हिरासत में लिए गए रोहिंग्याओं को कठुआ जिले की हीरानगर जेल में रखा गया। यहां बंद रोहिंग्याओं की संख्या 270 से अधिक है। हालांकि, अब तक केवल दो रोहिंग्याओं को ही निर्वासित किया जा सका है।
सुप्रीम कोर्ट और निर्वासन का मामला
2021 में एक रोहिंग्या शरणार्थी ने सुप्रीम कोर्ट से हिरासत में लिए गए शरणार्थियों की रिहाई और उन्हें म्यांमार न भेजने का अनुरोध किया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शरणार्थियों को निर्वासित करने के लिए प्रक्रिया का पालन आवश्यक है।
उमर अब्दुल्ला और भाजपा का रुख
उमर अब्दुल्ला ने केंद्र से रोहिंग्या शरणार्थियों के लिए ठोस नीति बनाने की अपील की और पड़ोसी देशों से बेहतर संबंध बनाने पर जोर दिया। वहीं, भाजपा ने रोहिंग्याओं के जम्मू में बसने को एक बड़ी साजिश करार देते हुए इसकी सीबीआई जांच की मांग की है।
रोहिंग्या शरणार्थियों का मुद्दा न केवल मानवीय संकट है, बल्कि एक संवेदनशील राजनीतिक और सामाजिक चुनौती भी बन गया है, जिसके समाधान के लिए सटीक नीति की आवश्यकता है।