
मुंबई: महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे ने गुड़ी पड़वा के अवसर पर आयोजित रैली में बड़ा बयान देते हुए औरंगजेब की कब्र, हिंदुत्व, ऐतिहासिक समझ, और पानी संकट जैसे मुद्दों पर तीखी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि लोगों का ध्यान असली मुद्दों से भटकाया जा रहा है और समाज में इतिहास को लेकर सतही बहस छेड़ी जा रही है।
“हमें पानी की चिंता नहीं, हमें औरंगजेब की पड़ी है!”
राज ठाकरे ने मराठवाड़ा और महाराष्ट्र में पानी संकट पर जोर देते हुए कटाक्ष किया कि देश में मूलभूत समस्याओं की चर्चा नहीं हो रही है, बल्कि औरंगजेब की कब्र हटनी चाहिए या नहीं, इसी पर बहस हो रही है। उन्होंने कहा,
“अब अचानक औरंगजेब की याद क्यों आ रही है? क्या हमें मराठवाड़ा की समस्या की चिंता नहीं होनी चाहिए?”
“फिल्म देखकर जागने वाले हिंदू किसी काम के नहीं”
मनसे प्रमुख ने हाल ही में रिलीज़ हुई फिल्म ‘छावा’ पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि फिल्म देखकर जागने वाले हिंदू बेकार हैं। उन्होंने तंज कसते हुए कहा,
“थिएटर से बाहर निकलते ही यह जोश खत्म हो जाता है। क्या आपको विक्की कौशल की वजह से छत्रपति संभाजी महाराज की समझ आई? क्या अक्षय खन्ना के औरंगजेब बनने के बाद आप औरंगजेब को समझने लगे?”
उन्होंने लोगों से व्हाट्सएप पर इतिहास पढ़ने के बजाय किताबें पढ़ने का आह्वान किया।
“औरंगजेब का जन्म गुजरात में हुआ था”
इतिहास के संदर्भ में औरंगजेब के जन्मस्थान पर बोलते हुए राज ठाकरे ने कहा कि बहुत से लोग यह नहीं जानते कि औरंगजेब का जन्म गुजरात के दाहोद गांव में हुआ था। उन्होंने आरोप लगाया कि राजनीतिक दल इतिहास के जरिए जाति और वर्ग के बीच विभाजन की राजनीति कर रहे हैं।
“राजनीति के लिए इतिहास का इस्तेमाल हो रहा है, न कि सही जानकारी देने के लिए,” उन्होंने कहा।
“शिवाजी महाराज एक विचार हैं”
राज ठाकरे ने छत्रपति शिवाजी महाराज को एक विचार बताते हुए कहा कि उनकी विरासत से पहले इस भारतीय प्रांत की स्थिति अलग थी।
“शिवाजी महाराज से पहले सभी जातियों के लोग किसी न किसी के अधीन काम कर रहे थे। उनके पिता आदिलशाही में थे, फिर निजामशाही में गए। वक्त अलग था, लेकिन अब स्थिति बदली है।”
गंगा और कुंभ पर सफाई: “मेरा मकसद अपमान नहीं, बल्कि नदियों की दुर्दशा पर ध्यान दिलाना था”
अपनी गंगा और कुंभ पर की गई टिप्पणी को लेकर आलोचनाओं का जवाब देते हुए राज ठाकरे ने स्पष्ट किया कि उनका मकसद हिंदू धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं था।
“हमारी नदियां हमारी माताएं हैं, लेकिन उनकी हालत दयनीय है। राजीव गांधी और नरेंद्र मोदी ने गंगा सफाई के दावे किए, लेकिन हकीकत यह है कि लाखों लोग गंगा में स्नान करने के बाद बीमार हो जाते हैं।”
उन्होंने बताया कि अब तक 33 हजार करोड़ रुपये खर्च होने के बावजूद गंगा नदी की हालत सुधरी नहीं। उन्होंने सवाल किया,
“अगर धर्म हमारी प्राकृतिक संपत्तियों की रक्षा करने से रोक रहा है, तो वह धर्म किस काम का?”
“धर्म की राजनीति नहीं, असली मुद्दों पर ध्यान दें”
राज ठाकरे ने नदियों की सफाई पर धर्म आधारित राजनीति की निंदा की और कहा कि महाराष्ट्र में भी नदियों की स्थिति दयनीय है। उन्होंने कहा,
“हम असली मुद्दों से ध्यान भटका रहे हैं। हमें पानी की समस्या पर बात करनी चाहिए, जंगलों की कटाई पर चर्चा करनी चाहिए, न कि सिर्फ औरंगजेब की कब्र पर विवाद खड़ा करना चाहिए।”
राज ठाकरे के इस बयान के बाद महाराष्ट्र की राजनीति में नई बहस शुरू हो गई है।