महाराष्ट्र के पुणे में सरकारी जमीन से जुड़ी बहुचर्चित डील भले ही रद्द कर दी गई हो, लेकिन मामले में विभागीय कार्रवाई अभी भी जारी है। अब मुद्रांक विभाग के डिस्ट्रिक्ट रजिस्ट्रार (DR) ने डिप्टी सीएम अजित पवार के बेटे पार्थ पवार से जुड़ी अमीडिया कंपनी पर बड़ी कार्रवाई करते हुए 21 करोड़ रुपये सरकारी खाते में जमा करने का आदेश दिया है। इस कार्रवाई से कंपनी को बड़ा झटका लगा है।
क्यों लिया गया यह एक्शन?
डिस्ट्रिक्ट रजिस्ट्रार के मुताबिक, जमीन सौदे की प्रक्रिया के दौरान दस्तावेज दर्ज करते समय कंपनी ने लेटर ऑफ इंटेंट दिखाकर मुद्रांक शुल्क में छूट ली थी। लेकिन नियमों के अनुसार, इरादा पत्र (LoI) के साथ नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) जमा करना अनिवार्य होता है। कंपनी यह दस्तावेज देने में विफल रही।
डीआर का कहना है कि LoI नियमों के तहत मान्य नहीं माना गया, इसलिए कंपनी को 60% मुद्रांक शुल्क के आधार पर पूरी राशि भरनी होगी। माना जा रहा है कि सरकार से अनुमति मिलने के बाद विभाग ने यह सख्त कदम उठाया है।
कंपनी की तरफ से पेश वकील ने दावा किया था कि सभी शुल्क नियमों के अनुसार भरे गए हैं, लेकिन DR ने कंपनी के 20 से अधिक तर्कों को खारिज कर दिया और 21 करोड़ रुपये की वसूली का आदेश जारी किया।
शिवसेना ने उठाए सवाल
इस कार्रवाई के बाद शिवसेना नेता संजय निरुपम ने सरकार पर हमला बोला। उन्होंने कहा—
“जब डील रद्द हो चुकी है, तो फिर टाइम ड्यूटी क्यों वसूली जा रही है? डील को पूरी तरह कैंसिल करने में देरी क्यों हो रही है?”
कांग्रेस का आरोप: “सिर्फ दिखावा, कार्रवाई नहीं”
कांग्रेस प्रवक्ता भरत सिंह ने सरकार पर तीखा हमला करते हुए कहा—
“जब अजित पवार 70,000 करोड़ के घोटाले में बरी हो सकते हैं तो उनके बेटे पार्थ पवार भी बरी हो जाएंगे। यह सिर्फ दिखाने भर की कार्रवाई है। फडणवीस सरकार पार्थ पवार को बचाने में जुटी है क्योंकि उन पर कार्रवाई हुई तो सरकार की छवि खराब होगी।”














