यूपी में डिजिटल अटेंडेंस का विरोध
उत्तर प्रदेश के प्राइमरी स्कूलों के टीचर्स द्वारा डिजिटल अटेंडेंस (हाजरी) को लेकर भारी विवाद चल रहा है। शिक्षक फेस रिकग्निशन सिस्टम यानी चेहरा दिखाकर हाजिरी लगाने का विरोध कर रहे हैं। सरकार के आदेश के बावजूद पूरे यूपी में शिक्षक डिजिटल हाजिरी नहीं लगा रहे हैं और काली पट्टी बांधकर स्कूल में पढ़ा रहे हैं। डिजिटल हाजिरी न देने पर सरकार ने कार्रवाई शुरू कर दी है। बाराबंकी और उन्नाव में डिजिटल हाजिरी न लगाने वाले शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। बाराबंकी में 11000 शिक्षकों की सैलरी काट दी गई है और उन्नाव में 12229 शिक्षकों की सैलरी काटने के आदेश हुए हैं, साथ ही विभागीय कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई है।
डिजिटल अटेंडेंस की व्यवस्था
यूपी सरकार ने स्कूलों को डिजिटल अटेंडेंस के लिए 2,09,863 टैबलेट दिए हैं, जिससे राज्य के 6 लाख 9 हजार शिक्षकों को डिजिटल हाजिरी लगानी होगी। यह व्यवस्था 1 लाख 32 हजार स्कूलों में लागू की जाएगी, जहां 1 करोड़ 80 लाख बच्चे पढ़ते हैं। डिजिटल हाजिरी कक्षा 1 से 8 तक के सरकारी स्कूलों में लगनी है। अभी सरकार ने कक्षा 1 से 5 तक के स्कूलों को टैबलेट और कुछ स्कूलों में सिम दिए हैं, जिससे शिक्षकों को 1 अप्रैल से 30 सितंबर तक सुबह 7:45 से 8 बजे तक और दोपहर 2:15 से 2:30 तक डिजिटल हाजिरी देनी होगी। 1 अक्टूबर से सरकारी स्कूल का समय बदल जाएगा और तब सुबह 8:45 से 9 बजे तक और दोपहर 3:15 से 3:30 तक डिजिटल हाजिरी लगानी होगी। अगर शिक्षक की डिजिटल हाजिरी समय पर नहीं होगी तो उसे अनुपस्थित माना जाएगा। हालांकि, बेसिक शिक्षा विभाग ने विरोध को देखते हुए सुबह 7:45 से 8 बजे के समय में आधे घंटे की छूट दी थी।
शिक्षकों का विरोध
सरकार का यह आदेश 8 जुलाई से लागू हो गया है, लेकिन पूरे यूपी में शिक्षक डिजिटल हाजिरी नहीं लगा रहे हैं और काली पट्टी बांधकर विरोध कर रहे हैं। शिक्षकों का कहना है कि सरकार पहले यह आदेश बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों पर लागू करे। शिक्षकों के संघ का कहना है कि कई स्कूलों में जाने के लिए सड़क नहीं है, लगभग 30% स्कूलों में जाने की सड़क ठीक है और 60% स्कूलों में जाने के लिए सरकारी परिवहन की सुविधा नहीं है। इसकी वजह से कई बार शिक्षक देर से स्कूल पहुंचते हैं। शिक्षकों की छुट्टी कम है, केवल 14 सीएल है जबकि अधिकारियों को 14 सीएल, 31 ईएल और 12 सेकेंड शनिवार की छुट्टी मिलती है। इसके अलावा, स्कूलों की व्यवस्था ठीक नहीं है, सफाई करने वाला नहीं है, शिक्षकों को खुद स्कूल की सफाई करनी होती है, और स्कूल में दिन भर बिजली नहीं आती। ऐसे में पहले स्कूलों को बुनियादी सुविधाएं देनी चाहिए, तब डिजिटल हाजिरी की मांग की जानी चाहिए। वहीं, स्कूलों में दिन भर लाइट नहीं आती, नेटवर्क की समस्या रहती है, ऐसे में डिजिटल हाजिरी कैसे होगी? बच्चों की डिजिटल हाजिरी में ही बहुत समय लगता है।
सरकार का तर्क
सरकार ने कहा कि बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के लिए यह कदम उठाया गया है। शिक्षकों को समय से स्कूल पहुंचना चाहिए। इससे शिक्षकों के साथ-साथ स्कूल में चल रही बाकी योजनाओं पर भी नजर रखी जाएगी। स्कूल में 12 रजिस्टर होते हैं जिनमें बच्चों का विवरण, मिड-डे मील, ड्रेस, कापी-किताब सब का विवरण होता है। अब यह सब डिजिटल फीड करना होगा। जब बच्चों का एडमिशन स्कूल में होगा, तब उनका पूरा ब्यौरा डिजिटल दर्ज किया जाएगा।
हाजिरी लगाने की प्रक्रिया
अभी शिक्षक रजिस्टर में हाजिरी लगाते हैं, आने-जाने का समय लिखते हैं। महीने के आखिर में पूरा विवरण बेसिक शिक्षा विभाग को भेजा जाता है। अब टैबलेट के सामने शिक्षक को अपना चेहरा दिखाना होगा तब अटेंडेंस होगी। टैबलेट और स्मार्टफोन को जियोफेंसिंग से पहचाना जाएगा तब हाजिरी लगेगी।
डिजिटल अटेंडेंस की आवश्यकता
दरअसल, पहले यूपी में बड़े पैमाने पर फर्जी शिक्षक पढ़ा रहे थे। नौकरी पाने के लिए शिक्षक कई तरह की जालसाजी कर रहे थे। पूरे मामले की जांच मुख्यमंत्री ने साल 2019 में यूपी एसटीएफ को दी। एसटीएफ ने करीब 1500 शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई भी की। जांच में पता चला कि एक ही वक्त में एक शिक्षक अलग-अलग जिलों में कई सरकारी स्कूलों में पढ़ा रहा है। 2021 में योगी सरकार ने प्रेरणा एप लॉन्च किया। सरकार का कहना है कि डिजिटल हाजिरी से स्कूलों में गड़बड़ी रुकेगी। सभी शिक्षकों को समय से स्कूल आना और जाना होगा, जिस शिक्षक को नौकरी मिली है, उसी को पढ़ाना होगा और इससे बच्चों को बेहतर शिक्षा दी जा सकेगी।
VIKAS TRIPATHI
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