
भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 7 से 10 अप्रैल तक पुर्तगाल और स्लोवाकिया की राजकीय यात्रा पर रहेंगी। यह यात्रा कई मायनों में ऐतिहासिक है—27 वर्षों बाद कोई भारतीय राष्ट्रपति पुर्तगाल की यात्रा पर जा रहा है और 29 साल बाद स्लोवाकिया की यात्रा होगी। राष्ट्रपति मुर्मू का यह दौरा भारत और यूरोपीय संघ के बीच गहराते सहयोग और रणनीतिक साझेदारी को नई दिशा देगा।
पुर्तगाल के साथ कूटनीतिक संबंधों की स्वर्ण जयंती पर विशेष मुलाकातें
राष्ट्रपति मुर्मू पुर्तगाल के राष्ट्रपति मार्सेलो रेबेलो डी सूसा के निमंत्रण पर 7-8 अप्रैल को लिस्बन में राजकीय यात्रा पर रहेंगी। इस दौरान वह प्रधानमंत्री लुइस मोंटेनेग्रो, नेशनल असेंबली के अध्यक्ष जोस पेड्रो अगुइर-ब्रैंको और भारतीय समुदाय के सदस्यों से मुलाकात करेंगी। विदेश सचिव तन्मय लाल ने बताया कि यह यात्रा भारत-पुर्तगाल राजनयिक संबंधों की 50वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में हो रही है, जिसे दोनों देशों के लिए एक ऐतिहासिक अवसर माना जा रहा है।
स्लोवाकिया में निवेश, रणनीति और सहयोग की नई संभावनाएं
यात्रा के दूसरे चरण में राष्ट्रपति मुर्मू स्लोवाकिया जाएंगी, जहां वह राष्ट्रपति पीटर पेलेग्रिनी और प्रधानमंत्री रॉबर्ट फिको के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगी। प्रतिनिधिमंडल स्तर की बातचीत के अलावा वह भारतीय समुदाय को भी संबोधित करेंगी। स्लोवाकिया में लगभग 6,000 भारतीय प्रवासी रहते हैं, जो ऑटोमोबाइल, आईटी और इंजीनियरिंग जैसे क्षेत्रों में सक्रिय हैं। स्लोवाक कंपनियों द्वारा भारत में स्टील, रक्षा और आईटी हार्डवेयर में निवेश की दिशा में भी यह यात्रा महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
भारत-यूरोपीय संघ संबंधों में मिलेगी नई धार
यह दौरा ऐसे समय पर हो रहा है जब हाल ही में यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन और उनके आयोग के सदस्य भारत के दौरे पर आए थे। उस दौरान भारत-ईयू मुक्त व्यापार समझौते (FTA) को इसी वर्ष अंतिम रूप देने की घोषणा हुई थी। राष्ट्रपति मुर्मू की यात्रा इस साझेदारी को और मजबूती प्रदान करेगी।
भारतीय छात्रों की मदद पर जताया जाएगा आभार
विदेश मंत्रालय के अनुसार, राष्ट्रपति मुर्मू स्लोवाकिया को उस मदद के लिए भी धन्यवाद देंगी जो उन्होंने 2022 में यूक्रेन युद्ध के दौरान भारतीय छात्रों की सुरक्षित वापसी में दी थी। यह मानवीय सहयोग दोनों देशों के बीच भरोसे और मित्रता की मिसाल बन चुका है।
यह राजकीय यात्रा भारत के ‘एक्ट ईस्ट’ और ‘रीच वेस्ट’ नीति के तहत कूटनीतिक प्रयासों को एक नया आयाम देगी। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की यह पहल भारत की वैश्विक भूमिका को और मजबूती प्रदान करेगी।