
66 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने लगाई संगम में डुबकी, कुंभ बना वैश्विक आश्चर्य
प्रयागराज। दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों में शुमार प्रयागराज महाकुंभ 2025 का ऐतिहासिक समापन हो गया। 45 दिनों तक चले इस महासंगम में 66 करोड़ 21 लाख श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई। महाशिवरात्रि के अवसर पर एक ही दिन में 1 करोड़ 44 लाख लोगों ने संगम तट पर स्नान कर इस आयोजन को और भव्य बना दिया।
महाकुंभ के दौरान पूरे विश्व की निगाहें प्रयागराज पर टिकी रहीं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुंभ के महत्व पर जोर देते हुए अपने ब्लॉग में इसे “नए युग की शुरुआत” बताया। उन्होंने लिखा कि, “जब एक राष्ट्र अपनी चेतना को जागृत करता है, जब वह गुलामी की मानसिकता से बाहर निकलकर आत्मगौरव के साथ आगे बढ़ता है, तब ऐसे ही दृश्य उपस्थित होते हैं।”

महाकुंभ बना प्रबंधन और नीतिगत अध्ययन का विषय
इतिहास के इस विराट आयोजन को आधुनिक प्रबंधन (मैनेजमेंट) और नीति विशेषज्ञों (पॉलिसी एक्सपर्ट्स) के लिए अध्ययन का एक नया केंद्र माना जा रहा है। बिना औपचारिक निमंत्रण और पूर्व निर्धारित समय के, करोड़ों श्रद्धालु अपने आप संगम पहुंचे और इसे एक अभूतपूर्व जनआंदोलन बना दिया।
प्रधानमंत्री ने कुंभ के आयोजन को विश्व स्तरीय प्रबंधन का उदाहरण बताते हुए कहा कि, “अगर किसी को भीड़ के कारण असुविधा हुई है तो मैं उन सभी से क्षमा चाहता हूं।”
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का दौरा और सफाई अभियान
महाकुंभ के समापन पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मेला क्षेत्र का दौरा किया। उन्होंने अपने मंत्रियों और प्रशासनिक अधिकारियों के साथ अरैल घाट पर स्वच्छता अभियान चलाया, पूजा की और सफाई कर्मियों की जमकर सराहना की।

सीएम योगी ने कहा,
“महाकुंभ सिर्फ आस्था का नहीं, बल्कि भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक शक्ति का प्रतीक है। पीएम मोदी के विजन के कारण यह वैश्विक स्तर पर पहुंचा।”
उन्होंने बताया कि 66 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं को त्रिवेणी में स्नान का सौभाग्य मिला। प्रयागराज महाकुंभ ने आस्था और अर्थव्यवस्था (आर्थिकी) के क्षेत्र में भी नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं।
महाकुंभ के भव्य आयोजन में 7500 करोड़ रुपये खर्च
महाकुंभ के सफल आयोजन के लिए केंद्र और राज्य सरकार ने करीब 7500 करोड़ रुपये खर्च किए। इस दौरान नई सड़कों, फ्लाईओवरों और धार्मिक स्थलों के विकास पर विशेष ध्यान दिया गया।
मुख्य आकर्षण:
✅ हनुमान मंदिर कॉरिडोर
✅ भरद्वाज आश्रम कॉरिडोर
✅ नागवासुकी मंदिर कॉरिडोर
✅ श्रृंगवेरपुर कॉरिडोर
✅ द्वादश माधव कॉरिडोर
इसके अलावा, 1 लाख सरकारी कर्मियों, पुलिस प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग और अन्य विभागों के अधिकारियों ने मिलकर इस आयोजन को सफल बनाया।
परिवहन और सुविधाओं के असाधारण प्रबंध
• 3.25 करोड़ श्रद्धालु यूपी परिवहन विभाग की बसों से पहुंचे।
• 6 लाख वाहनों की पार्किंग व्यवस्था की गई।
• 1 लाख टेंट श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए लगाए गए।
• 8,000 आश्रम और संस्थाओं के शिविर स्थापित किए गए।
• 30 पांटून ब्रिज और 12 किमी में फैले स्नान घाट बनाए गए।
• 7 नए पक्के स्नान घाट तैयार किए गए।
विश्व स्तरीय आयोजन और मीडिया की भूमिका
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हिंदी और विदेशी मीडिया को धन्यवाद देते हुए कहा कि,
“जिस तरह मां गंगा की धारा बहती रही, वैसे ही मीडिया कर्मी दिन-रात इस आयोजन को कवर करते रहे।”
महाकुंभ 2025: अमेरिका की आबादी से दोगुना जनसैलाब संगम में उमड़ा
📊 महाकुंभ में श्रद्धालुओं की संख्या ने कई देशों की कुल आबादी को पीछे छोड़ा:
देश | जनसंख्या (करोड़ में) |
---|---|
🇮🇳 भारत | 146 करोड़ |
🇨🇳 चीन | 142 करोड़ |
🇺🇸 अमेरिका | 35 करोड़ |
🇵🇰 पाकिस्तान | 24 करोड़ |
🇷🇺 रूस | 14 करोड़ |
🏹 महाकुंभ 2025 | 66+ करोड़ |
66 करोड़ से अधिक श्रद्धालु संगम में पहुंचे, जो अमेरिका की कुल आबादी से लगभग दोगुना है!

महाकुंभ पर राजनीतिक विवाद: विपक्ष ने बनाई दूरी?
महाकुंभ भले ही आधिकारिक रूप से समाप्त हो गया हो, लेकिन इस पर राजनीति तेज हो गई है। बीजेपी नेताओं ने विपक्षी दलों से सवाल किया कि कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और अन्य विपक्षी नेताओं में से कई ने महाकुंभ में भाग क्यों नहीं लिया?
बीजेपी नेता रामदास आठवले ने कहा:
“राहुल गांधी और उद्धव ठाकरे कुंभ में नहीं गए। अगर वे हिंदू हैं, तो उन्हें वहां जाना चाहिए था। अगर वे नहीं गए, तो इसका मतलब है कि वे हिंदू धर्म का सम्मान नहीं करते।”
हालांकि, कुछ विपक्षी नेता कुंभ में शामिल हुए। कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार त्रिवेणी संगम पहुंचे और फिर ईशा फाउंडेशन में महाशिवरात्रि का आयोजन किया। कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह भी प्रयागराज पहुंचे और मध्य प्रदेश में बागेश्वर धाम के कार्यों की प्रशंसा की।
कांग्रेस नेता अजय राय ने कहा:
“हम राहुल गांधी के सिपाही हैं, हमने कुंभ में स्नान कर लिया, यानी पूरे संगठन ने स्नान कर लिया।”
महाकुंभ 2025 न केवल भारत की सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक बना, बल्कि प्रबंधन और नीतिगत अध्ययन के लिए एक केस स्टडी भी बन गया। प्रयागराज कुंभ ने वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान स्थापित की और इसके अभूतपूर्व आयोजन ने दुनिया को चौंका दिया।
अब, जब कुंभ समाप्त हो गया है, इसके आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक प्रभाव पर चर्चाएं जारी रहेंगी। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या महाकुंभ की सफलता भारतीय राजनीति और समाज में कोई नया अध्याय लिखेगी?

VIKAS TRIPATHI
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