अयोध्या में एक बार फिर ऐतिहासिक क्षण आने वाला है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आगामी 25 नवंबर को श्रीराम जन्मभूमि मंदिर पर ध्वज स्थापना (ध्वजारोहण) करेंगे। यह आयोजन उसी भव्यता और आस्था के साथ मनाया जाएगा, जैसी प्राण प्रतिष्ठा के दौरान देखी गई थी।
यह समारोह न केवल राम मंदिर निर्माण की पूर्णता का प्रतीक होगा, बल्कि इसके साथ ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नए अभियान “विकसित उत्तर प्रदेश” की शुरुआत भी इसी दिन से होगी।
ध्वज स्थापना के साथ शुरू होगा नया अभियान
कार्यक्रम के बाद भाजपा “विकसित उत्तर प्रदेश अभियान” के तहत राज्य में हुई ऐतिहासिक प्रगति और भविष्य की योजनाओं को जनता तक पहुंचाएगी।
जानकारी के अनुसार, इस अभियान के लिए 50 लाख से अधिक सुझाव पहले ही प्राप्त हो चुके हैं।
इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी जेवर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का निरीक्षण भी करेंगे। यह आयोजन राम विवाह पंचमी की तिथि के साथ मेल खा रहा है, जिससे इसकी धार्मिक और सांस्कृतिक महत्ता और बढ़ जाती है।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी इससे पहले भी 5 अगस्त 2020 को भूमिपूजन और 22 जनवरी 2024 को प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल हो चुके हैं।
समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा ने दी जानकारी
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा ने प्रधानमंत्री के दौरे की पुष्टि करते हुए कहा,
“25 नवंबर को होने वाला यह समारोह ऐतिहासिक होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को राम मंदिर ध्वजारोहण समारोह के लिए आमंत्रित किया गया है और उन्होंने इसमें शामिल होने की सहमति दी है। यह ध्वज स्थापना न केवल मंदिर निर्माण के पूर्ण होने का प्रतीक होगी, बल्कि दुनिया को यह संदेश भी देगी कि आस्था और प्रतीक्षा का वर्षों पुराना सपना अब साकार हो गया है।”
उन्होंने बताया कि मुख्य मंदिर का निर्माण लगभग पूरा हो चुका है।
बाहरी दीवार का निर्माण अंतिम चरण में है।
शेषावतार मंदिर, सप्त मंडपम और पुष्करणी (पवित्र तालाब) का कार्य पूरा हो चुका है।
श्रद्धालुओं के लिए जूता-रखने की सुविधा भी लगभग तैयार है, जिसे नवंबर तक पूरी तरह कार्यरत करने की उम्मीद है।
भव्य उपस्थिति और विशेष आमंत्रण
समाचार एजेंसियों के अनुसार, भाजपा के कई वरिष्ठ नेता और देशभर से आए धार्मिक संत-महात्मा इस आयोजन में मौजूद रहेंगे।
इसी दिन प्रधानमंत्री मोदी दुनिया के सबसे बड़े स्काउट और गाइड जंबूरी के प्रतिभागियों को भी आमंत्रित करेंगे, जिसमें 35,000 से अधिक कैडेटों के शामिल होने की उम्मीद है।
आस्था, विकास और राजनीति का संगम
25 नवंबर का यह दिन अयोध्या के लिए एक बार फिर इतिहास में दर्ज होगा — जब राम मंदिर के शिखर पर ध्वज फहराने के साथ न केवल आस्था का प्रतीक स्थापित होगा, बल्कि राजनीतिक और विकासात्मक अभियान का नया अध्याय भी शुरू होगा।














