
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को प्रसिद्ध सूफी कवि और विद्वान अमीर खुसरो की स्मृति में आयोजित ‘जहान-ए-खुसरो’ के 25वें संस्करण में भाग लिया और सूफी परंपरा की बहुलवादी संस्कृति की जमकर प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि सूफी संत केवल मस्जिदों और दरगाहों तक सीमित नहीं रहे, बल्कि उन्होंने कुरान की आयतों के साथ-साथ वेदों के वचन भी सुने।
खुसरो ने भारत को बताया दुनिया में सबसे महान
पीएम मोदी ने 13वीं सदी में जन्मे अमीर खुसरो के योगदान को याद करते हुए कहा कि उन्होंने भारत को दुनिया के अन्य देशों से महान, यहां के विद्वानों को सबसे श्रेष्ठ और संस्कृत को दुनिया की सबसे उत्तम भाषा बताया था। उन्होंने कहा कि भारत की दार्शनिक और गणितीय खोजों ने पूरी दुनिया को प्रभावित किया है।
सूफी संगीत भारत की साझी विरासत
सूफी कलाकारों के प्रदर्शन के बाद पीएम मोदी ने कहा कि सूफी संगीत भारत की साझी विरासत है, जिसे सभी धर्मों के लोग मिलकर जीते हैं। उन्होंने सूफी संतों की बहुलवादी सोच को सराहा और कहा कि भारत की मिट्टी ने इस परंपरा को गहराई से आत्मसात किया।
सूफी संतों का योगदान और हिंदुस्तान की तहजीब
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में निजामुद्दीन औलिया, रसखान और रूमी जैसे सूफी संतों और कवियों का भी उल्लेख किया, जो मुस्लिम परिवारों में जन्मे थे, लेकिन उन्होंने भगवान कृष्ण को समर्पित भक्ति कविताएं भी लिखीं।
उन्होंने कहा,
“हमारा हिंदुस्तान जन्नत का वह बागीचा है, जहां तहजीब का हर रंग फला-फूला है। यहां की मिट्टी के मिजाज में ही कुछ खास बात है। शायद यही वजह है कि जब सूफी परंपरा हिंदुस्तान आई, तो उसे भी लगा कि वह अपनी ही जमीन से जुड़ गई है।”
पीएम मोदी ने इस आयोजन को भारत की सांस्कृतिक समृद्धि और धार्मिक सौहार्द्र का प्रतीक बताया और कहा कि खुसरो ने खुद हिंदुस्तान की तुलना जन्नत से की थी।