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नई दिल्ली: 98वें अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में शुक्रवार को दिल्ली में एक भावुक दृश्य देखने को मिला, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एनसीपी (एसपी) नेता शरद पवार की मदद के लिए आगे बढ़कर उन्हें सहारा दिया। पीएम मोदी ने न सिर्फ पवार को अपने हाथों से पकड़कर कुर्सी तक पहुंचाया, बल्कि उनके लिए बोतल से पानी निकालकर ग्लास में भी भरा। इस आत्मीयता भरे क्षण को देखकर पूरा हॉल तालियों से गूंज उठा।
सम्मेलन का हुआ भव्य शुभारंभ
पीएम मोदी ने इस मराठी साहित्य सम्मेलन का शुभारंभ किया, जिसमें महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित थे। मंच पर जब शरद पवार पहुंचे, तो पीएम मोदी ने तुरंत आगे बढ़कर उनकी मदद की और उन्हें कुर्सी तक पहुंचाया। इसके अलावा, दीप प्रज्वलन के दौरान भी प्रधानमंत्री मोदी ने शरद पवार को आगे बुलाकर उनके साथ मिलकर दीप जलाया।
मराठी साहित्य की पीएम मोदी ने की प्रशंसा
अपने उद्घाटन भाषण में पीएम मोदी ने मराठी साहित्य की भरपूर प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि मराठी साहित्य ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम और समाज सुधार आंदोलनों में अहम भूमिका निभाई है।
शरद पवार ने भी पीएम मोदी को सराहा
अपने संबोधन में शरद पवार ने भी प्रधानमंत्री मोदी की सराहना करते हुए कहा कि मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिलाने में पीएम मोदी की भूमिका महत्वपूर्ण रही है। उन्होंने इस बात पर खुशी जताई कि 70 वर्षों के बाद यह साहित्य सम्मेलन फिर से दिल्ली में आयोजित हो रहा है।
उन्होंने कहा,
“मराठी साहित्य ने हमेशा स्वतंत्रता, समाज सुधार और राष्ट्र निर्माण की अलख जगाई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यहां आना इस सम्मेलन के लिए गर्व की बात है।”
साहित्य और राजनीति का गहरा संबंध
शरद पवार ने कहा कि साहित्य और राजनीति का आपस में गहरा संबंध है। उन्होंने महिलाओं के साहित्यिक योगदान की सराहना करते हुए कहा कि अब तक केवल चार महिलाओं को सम्मेलन का अध्यक्ष बनने का अवसर मिला है, लेकिन इस बार तारा भवालकर को यह सम्मान प्राप्त हुआ है।
पीएम मोदी को लेकर पवार का आभार
शरद पवार ने कहा,
“प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का इस सम्मेलन में आना यह दर्शाता है कि वे साहित्य और संस्कृति को कितना महत्व देते हैं। मैं उनके प्रति आभार व्यक्त करता हूं।”
इस सम्मेलन में महाराष्ट्र और दिल्ली के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक संबंधों पर भी चर्चा हुई। कुल मिलाकर, यह आयोजन न केवल मराठी साहित्य के महत्व को उजागर करने वाला बना, बल्कि इसमें पीएम मोदी और शरद पवार के बीच आत्मीय संबंधों की झलक भी देखने को मिली।
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VIKAS TRIPATHI
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