
नई दिल्ली/श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर के शांत और पर्यटन-प्रिय इलाके पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए क्रूर आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) नामक आतंकी संगठन ने बैसरन क्षेत्र में पर्यटकों पर हमला किया, जिसमें 28 निर्दोष लोगों की जान चली गई और 20 से अधिक लोग घायल हो गए। इनमें कुछ विदेशी नागरिक भी शामिल थे। गृह मंत्री अमित शाह ने शहीदों को श्रद्धांजलि दी है, वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में उच्चस्तरीय बैठकें जारी हैं।
खुफिया एजेंसियों से जुड़ी रिपोर्टों से इस हमले के पीछे की पाकिस्तानी साजिश की पुष्टि हुई है। यहां हम प्रस्तुत कर रहे हैं इस रिपोर्ट से जुड़ी पांच प्रमुख बातें, जो पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के सबूत पेश करती हैं:
1. धर्म के आधार पर निशाना, विदेशी नागरिक भी शिकार
खुफिया सूत्रों के मुताबिक, 22 अप्रैल को TRF के आतंकियों ने बैसरन में धार्मिक पहचान के आधार पर पर्यटकों को निशाना बनाया। यह हमला पूरी तरह से सुनियोजित और वैचारिक नफरत से प्रेरित था। हमले में 28 लोगों की जान चली गई, जिनमें कुछ विदेशी नागरिक भी शामिल हैं। खुफिया इनपुट्स के मुताबिक, इस हमले का संचालन पाकिस्तान में बैठे हैंडलरों के इशारे पर हुआ।
2. 2024 में आतंक का ग्राफ बढ़ा, 60 हमले, 122 मौतें
2024 में अब तक जम्मू-कश्मीर में कुल 60 आतंकी घटनाएं हो चुकी हैं, जिनमें 122 लोगों की जान गई है। इनमें 32 नागरिक, 26 सुरक्षाकर्मी और 64 आतंकवादी शामिल हैं। चिंता की बात यह है कि इन हमलों में अब सिविलियन टारगेटिंग बढ़ गई है, जबकि पहले केवल सुरक्षा बल निशाने पर होते थे। मारे गए आतंकियों में 60% से अधिक पाकिस्तानी नागरिक थे, जो विदेशी आतंकियों की भूमिका को उजागर करता है।
3. पाकिस्तान में चल रहे ट्रेनिंग कैंप, हवाला और फंडिंग नेटवर्क सक्रिय
TRF जैसे संगठनों को पाकिस्तान के भीतर से फंडिंग, ट्रेनिंग और लॉजिस्टिक सपोर्ट दिया जा रहा है। पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) में इनका बेस है, जहां उन्हें हथियार, प्रशिक्षण और रणनीति दी जाती है। हवाला नेटवर्क और क्रिप्टो फंडिंग के जरिए इन्हें आर्थिक सहायता भी दी जाती है। हालिया इंटरसेप्ट की गई बातचीतों और इलेक्ट्रॉनिक ट्रैकिंग से यह भी साबित हुआ है कि पाकिस्तानी ISI के अधिकारी सीधे इस ऑपरेशन में शामिल थे।
4. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निंदा, भारत को मिला वैश्विक समर्थन
इस हमले की अमेरिका, यूरोपीय संघ, रूस, संयुक्त राष्ट्र, UAE और श्रीलंका समेत कई देशों ने कड़ी निंदा की है। उन्होंने भारत के साथ एकजुटता जताते हुए आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक सहयोग पर बल दिया है। कूटनीतिक स्तर पर भारत की स्थिति मज़बूत हुई है, और आने वाले दिनों में और देशों के समर्थन की उम्मीद की जा रही है।
5. आतंक के जरिए सांप्रदायिक तनाव और पर्यटन को नुकसान पहुंचाने की साजिश
यह हमला सांप्रदायिक तनाव भड़काने, पर्यटन उद्योग को चोट पहुंचाने और स्थानीय विकास को बाधित करने की साजिश का हिस्सा था। भारत सरकार ने इसके जवाब में सुरक्षा बलों की तैनाती बढ़ाई है, खुफिया नेटवर्क को सक्रिय किया है, और राजनयिक प्रयास तेज कर दिए हैं। साथ ही, आतंकवाद के प्रायोजकों पर प्रतिबंध, सीमा सुरक्षा का सख्ती से पालन और पीड़ितों को सहायता देने की योजनाएं बनाई जा रही हैं।
🔍 विश्लेषण: क्या फिर से उबल रहा है कश्मीर?
2025 के पहले तीन महीनों में ही आतंकवाद से जुड़ी घटनाओं की तीव्रता और आवृत्ति में भारी इज़ाफा हुआ है। पाकिस्तानी हैंडलरों का TRF जैसे संगठनों के जरिए कश्मीर में स्थिरता भंग करना, भारत के लोकतंत्र और आर्थिक विकास पर हमला है। भारत को अब कूटनीतिक और सैन्य दोनों मोर्चों पर और अधिक सख्त रुख अपनाने की ज़रूरत है।

VIKAS TRIPATHI
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