नोएडा — शहर की कंक्रीट रफ्तार के बीच एक अनोखा पारिस्थितिक-पर्यटन स्थल तैयार हो रहा है। सेक्टर-44 और सेक्टर-95 के बीच, महामाया फ्लाईओवर के पास नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे और ओखला बर्ड सेंचुरी के पास करीब 18.27–20 एकड़ में फैले नोएडा जंगल ट्रेल पार्क को सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल में विकसित किया गया है। नाम भी आकर्षक है — “Waste to Wildlife Project” — और मकसद साफ़: शहर के बीच में रीसाइक्लिंग, इको-टूरिज्म और नाइट-सफारी का संगम देना।
कबाड़ से कला: 700-800 वन्य मूर्तियाँ और रिसाइक्लिंग का संदेश
पार्क में करीब 500 टन स्क्रैप, प्लास्टिक और कबाड़ का उपयोग कर 700–800 जीवों व पक्षियों की मूर्तियाँ बनाई गयी हैं — शेर, चीता, हाथी, गैंडा, डायनासोर, पेंग्विन, जिराफ, पांडा, मगरमच्छ, मोर आदि।
मूर्तियों को वार्निश कलर और नाइट-लाइटिंग से सजाया गया है, जिससे रात में पूरा ट्रेल एक जादुई जंगल-दृश्य का रूप ले लेता है।
यह परियोजना न सिर्फ़ आकर्षण है बल्कि रीसाइक्लिंग व वेस्ट-मैनेजमेंट का जीवंत पाठ भी पढ़ाती है।
चार थीम, तीन ज़ोन — प्रकृति का विविध अनुभव
थीम-आधारित जोन: वॉटर जोन, जंगल जोन, डेजर्ट जोन और पोलर रीजन — अलग-अलग प्राकृतिक परिदृश्य (ट्रॉपिकल रेनफॉरेस्ट, ग्रासलैंड, वेटलैंड, आइसलैंड-ओशियन आदि) का अनुभव कराते हैं।
क्षेत्र विभाजन (बड़े-बड़े जोन):
ज़ोन-A (4.05 एकड़): 1,000 सीट क्षमता वाला एम्फीथिएटर, फूड-कोर्ट व प्रदर्शनी क्षेत्र, पार्किंग (8 बस व 76 कार)
ज़ोन-B (8.77 एकड़): ट्रॉपिकल रेनफॉरेस्ट, ग्रासलैंड, वेटलैंड—नाइट जंगल सफारी का मुख्य हिस्सा
ज़ोन-C (5.45 एकड़): आइसलैंड-ओशियन व पोलर रीजन — पेंग्विन व बर्फीली दुनिया का तमाशा
सभी जोनों को फ़ुट-ओवर ब्रिज और अंडरपास से जोड़ा गया है ताकि विज़िटिंग रूट सहज और सुरक्षीत रहे।
दिल्ली-NCR का पहला नाइट-सफारी अनुभव
पार्क में ओपन जीप और ई-कार्ट से सफारी, ज़िपलाइन, रॉक-क्लाइम्बिंग, बच्चों के लिए प्ले एरिया और पिकनिक-स्पॉट जैसी गतिविधियाँ होंगी।
आउटडोर फर्नीचर भी पुनर्नवीनीकरण सामग्री से निर्मित है।
पार्क में करीब 500 वाहन पार्किंग की सुविधा उपलब्ध होगी।
प्रवेश शुल्क मात्र ₹100 (न्यूनतम) रखा गया है; चुनिंदा एडवेंचर एक्टिविटीज़ पर अलग शुल्क होगा।
हरित शिक्षा और बड़े-स्तर पर पेड़-पौधे
परियोजना को सिर्फ़ मनोरंजन नहीं बल्कि पर्यावरणीय शिक्षा का केंद्र भी बनाया गया है — खासकर बच्चों और युवाओं के लिए।
पार्क में लगभग 3.5 लाख पौधे लगाए जा चुके हैं — इससे यह क्षेत्र NCR के हरे-भरे क्षेत्रों में शामिल होगा और स्थानीय जैवविविधता को बढ़ावा मिलेगा।
निर्माण-स्थिति, संचालन व वित्तीय मॉडल
परियोजना PPP मॉडल में नोएडा प्राधिकरण और Z-Tech द्वारा विकसित की गयी है; निर्माण-लागत अनुमानित ₹15–20 करोड़ के स्तर पर बताया जा रहा है।
Z-Tech पार्क का संचालन व रखरखाव संभालेगी; राजस्व का एक हिस्सा नोएडा प्राधिकरण को मिलेगा।
95% निर्माण पूरा, और ट्रायल रन 20 जून 2025 से शुरू हो चुका है। अनुमान है कि सितंबर 2025 में इसका भव्य उद्घाटन राजकीय तौर पर किया जाएगा — सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उद्घाटन कर सकते हैं।
स्थानीय अर्थव्यवस्था व इको-टूरिज्म पर असर
पार्क से स्थानीय पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा — दिल्ली, नोएडा, ग्रेटर नोएडा और फरीदाबाद के निवासियों के लिए यह आसान डे-आउट विकल्प बनेगा।
एम्प्लॉयमेंट, छोटे वेंडर्स और स्थानीय हॉर्टिकल्चर को लाभ मिलने की संभावना है।
वाहनों के जाम कम होने और हरित आवरण बढ़ने से पर्यावरणीय प्रभाव भी सकारात्मक रहेगा।
क्या खास है — संक्षेप में
कबाड़ से कला: वेस्ट मैटेरियल से बनी सैकड़ों मूर्तियाँ।
नाइट-सफारी: NCR में पहला कन्फ़िगर-नाइट जंगल ट्रेल।
एडवेंचर + शिक्षा: ज़िपलाइन, रॉक-क्लाइम्बिंग, एंव बायो-एजुकेशन सत्र।
सस्टेनेबिलिटी: 3.5 लाख पेड़ और रिसाइकल्ड-फ़र्नीचर।
लागत/प्रवेश: सुलभ प्रवेश शुल्क, आकर्षक इंफ्रास्ट्रक्चर, लोकल पार्टनरशिप।
नोएडा प्राधिकरण के होर्टिकल्चर निदेशक आनन्द मोहन का कहना है:
“यह प्रोजेक्ट नोएडा की पहचान को एक नया आयाम देगा — शहर में इको-टूरिज्म, पर्यावरण शिक्षा और रीसाइक्लिंग के बेहतरीन संदेश को एक साथ जोड़ेगा।”
आख़िरकार
नोएडा जंगल ट्रेल पार्क शहरी-पर्यटन का नया मॉडल पेश करता है — जहाँ मनोरंजन, पर्यावरण-संरक्षण और सामाजिक-शिक्षा एक साथ मिलते हैं। शहर में दिनभर की भागदौड़ से एक सांस लेने के लिए यह पार्क जल्द ही NCR के निवासियों और पर्यटकों का पसंदीदा गंतव्य बन सकता है।