
नोएडा शहर में स्वच्छता सर्वेक्षण 2025 की तैयारियां पूरे जोश के साथ चल रही हैं। हर गली, हर चौक पर बड़े-बड़े बैनर लगे हैं, जिन पर चमकदार अक्षरों में लिखा है – “नोएडा बनेगा नंबर वन!” लेकिन सच्चाई के आईने में झांकें, तो ये नारा एक मजाकिया तंज जैसा लगता है।
सड़कों के गड्ढे, कचरे के पहाड़, टूटी हुई डिवाइडर और बदहाल फुटपाथ तो अपनी जगह हैं, लेकिन शहर में घूमते आवारा पशु इस अभियान को एक नया एडवेंचर टच देते हैं। गाय, सांड और कुत्तों के झुंड ने अब शहर की सड़कों को अपनी निजी जागीर समझ लिया है। लोग सड़क पर निकलते वक्त ये नहीं सोचते कि ट्रैफिक जाम होगा, बल्कि ये सोचते हैं कि सांड का मूड कैसा है!
सड़क पर रोमांचक सफर: गड्ढे और सांड के साथ

नोएडा की सड़कों पर गड्ढों का ऐसा स्वागत है कि हर ड्राइवर को लगता है जैसे वो किसी ऑफ-रोड रेस में भाग ले रहा है। और अगर कहीं से अचानक सांड महाराज प्रकट हो जाएं, तो सफर और भी रोमांचक हो जाता है। ड्राइवर को न सिर्फ गड्ढों से बचना होता है, बल्कि गौ माता के मनोभाव भी भांपने पड़ते हैं।
कई बार तो ऐसा लगता है कि सांडों ने रॉडियो शो का अभ्यास शुरू कर दिया हो। अचानक भागते हुए सांडों की टोली देखकर लोग अपनी कारों को बैक गियर में डालने में ही भलाई समझते हैं।
कचरे के पहाड़: नोएडा का नया लैंडमार्क

नोएडा के हर सेक्टर में कचरे के ढेर अब किसी आधुनिक कला के प्रदर्शन जैसे नजर आते हैं। लोग इन्हें देखकर अनुमान लगाते हैं कि यह कचरा पहाड़ किस गली या मोहल्ले का प्रतिनिधित्व कर रहा है। और अगर किस्मत अच्छी हो, तो कचरे के ऊपर बैठे कुछ आवारा कुत्ते भी मिल सकते हैं, जो अपनी सुरक्षाबल की भूमिका में नजर आते हैं।
पर्यावरण प्रेमियों के लिए यह एक अनोखी जगह है, जहां वे “वेस्ट मैनेजमेंट” की वास्तविक स्थिति को देख सकते हैं। बच्चों के लिए यह किसी एडवेंचर पार्क से कम नहीं है, जहां वे कचरे की बदबू में अपने फेफड़ों की सहनशक्ति बढ़ा सकते हैं।
डिवाइडर और फुटपाथ: कला का टूटा हुआ नमूना

शहर के डिवाइडर और फुटपाथ अब आधुनिक कला के उत्कृष्ट उदाहरण बन चुके हैं। कुछ डिवाइडर तो इतने कलात्मक रूप में टूटे हैं कि उन्हें देखकर ऐसा लगता है जैसे किसी फेमस आर्टिस्ट ने अपनी कूची चलाई हो।
फुटपाथों पर उगी घास और झाड़ियां अब ग्रीन सिटी प्रोजेक्ट का हिस्सा मानी जा सकती हैं। और अगर आप सोच रहे हैं कि फुटपाथ पर चलना सुरक्षित होगा, तो जरा संभलकर — क्योंकि यहां भी आपको कूड़े के पहाड़ों के बीच आराम फरमाते आवारा पशु मिल सकते हैं।

जनता से स्वच्छता में सहयोग की गुहार
अब जब स्वच्छता सर्वेक्षण सिर पर है, तो नोएडा प्राधिकरण ने जनता से अपील की है कि वे इस अभियान में अपना योगदान दें। जनता से उम्मीद की जा रही है कि वे:
• गड्ढों को प्राकृतिक झील समझकर निहारें।
• आवारा सांडों को शहर की लोकल सेलिब्रिटी मानकर सेल्फी लें।
• कचरे के पहाड़ को वेस्ट मैनेजमेंट की ओपन एयर प्रदर्शनी के रूप में सराहें।

स्वच्छता रेटिंग: आशाएं और सपने
प्राधिकरण को पूरा विश्वास है कि इस साल नोएडा स्वच्छता सर्वेक्षण में एक टॉप रेटिंग लेकर आएगा। इसके लिए कुछ नवाचार भी अपनाए जा रहे हैं:
• कचरे के ढेर को टाइम्स स्क्वायर जैसी लाइटिंग से सजाया जाएगा।
• गड्ढों में पानी भरकर उन्हें अर्बन लेक का दर्जा दिया जाएगा।
• सांडों और कुत्तों के झुंड को शहरी जैव विविधता का हिस्सा मानते हुए पर्यटन स्थल घोषित किया जाएगा।
कचरे और सांडों पर खड़ी उम्मीदें
इस पूरे अभियान का सार यही है कि नोएडा प्राधिकरण जनता की कल्पनाशक्ति पर पूरा भरोसा कर रहा है। अगर जनता गड्ढों को झील, कचरे को प्राकृतिक संरचना और सांडों को सड़क सुरक्षा विशेषज्ञ माने, तो रेटिंग अपने आप ही बढ़ जाएगी।
तो आइए, इस महान सफाई महोत्सव में शामिल हों और मिलकर नोएडा को कचरा मुक्त नहीं, बल्कि कचरा सहिष्णु शहर बनाने की दिशा में एक कदम आगे बढ़ाएं!

VIKAS TRIPATHI
भारत देश की सभी छोटी और बड़ी खबरों को सामने दिखाने के लिए “पर्दाफास न्यूज” चैनल को लेके आए हैं। जिसके लोगो के बीच में करप्शन को कम कर सके। हम देश में समान व्यवहार के साथ काम करेंगे। देश की प्रगति को बढ़ाएंगे।