
26/11 मुंबई आतंकी हमले के आरोपी और पाकिस्तानी मूल के कनाडाई नागरिक ताहव्वुर राणा ने भारत प्रत्यर्पण को रोकने के लिए अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। यह याचिका तब आई है जब राणा को अमेरिकी निचली अदालतों में कानूनी लड़ाई हारने के बाद प्रत्यर्पण के खतरे का सामना करना पड़ रहा है।
निचली अदालतों से सुप्रीम कोर्ट तक का मामला
राणा ने पहले सैन फ्रांसिस्को स्थित यूएस कोर्ट ऑफ अपील्स फॉर द नाइंथ सर्किट में अपील की थी, लेकिन वहां भी हार के बाद अब उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में “व्रिट ऑफ सर्टियोरारी” के लिए याचिका दाखिल की है। राणा ने तर्क दिया है कि उन्हें 2008 के मुंबई हमलों से जुड़े आरोपों में पहले ही शिकागो की नॉर्दर्न डिस्ट्रिक्ट ऑफ इलिनोइस कोर्ट में मुकदमे का सामना करना पड़ा था, जिसमें उन्हें बरी कर दिया गया था।
याचिका के प्रमुख तर्क
- “डबल जेपर्डी” का दावा: राणा की याचिका में कहा गया है कि भारत उसी अपराध के लिए उन्हें दोबारा मुकदमे में घसीटना चाहता है, जिस पर शिकागो कोर्ट में सुनवाई हो चुकी है।
- मौत की सजा का खतरा: राणा ने कहा कि अगर उन्हें भारत प्रत्यर्पित किया गया, तो उन्हें दोबारा मुकदमे का सामना करना पड़ेगा, जिसमें दोषी साबित होने पर उन्हें मौत की सजा का सामना करना पड़ सकता है।
- वैश्विक आपराधिक कानून का प्रभाव: राणा ने यह भी तर्क दिया है कि अपराध कानूनों के बढ़ते वैश्वीकरण और अंतरराष्ट्रीय सहयोग के कारण बढ़ रही प्रत्यर्पण की घटनाएं भविष्य में अन्य व्यक्तियों और देशों को भी प्रभावित करेंगी।
मुंबई हमलों में ताहव्वुर राणा की भूमिका
ताहव्वुर राणा पर लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के आतंकवादी और पाकिस्तानी-अमेरिकी डेविड कोलमैन हेडली के साथ षड्यंत्र रचने का आरोप है। हेडली मुंबई हमलों का मुख्य साजिशकर्ता था, जिसने भारत के आर्थिक केंद्र मुंबई पर 60 घंटे तक चले आतंकी हमले की योजना बनाई थी।
26/11 हमले में 10 पाकिस्तानी आतंकवादियों ने मुंबई के प्रतिष्ठित और रणनीतिक स्थानों को निशाना बनाया था, जिसमें 166 लोग मारे गए थे, जिनमें 6 अमेरिकी नागरिक भी शामिल थे।
राणा का प्रत्यर्पण भारत के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?
भारत में राणा पर आरोप है कि उन्होंने लश्कर-ए-तैयबा की मदद करते हुए डेविड हेडली के लिए भारत दौरे की सुविधाएं प्रदान कीं, जिनका इस्तेमाल हमलों की साजिश के लिए किया गया था। भारत का मानना है कि राणा का प्रत्यर्पण आतंकवाद के खिलाफ उसकी कानूनी लड़ाई में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।
आगे की संभावनाएं
अगर अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट राणा की याचिका स्वीकार नहीं करता है, तो उनका प्रत्यर्पण भारत के लिए संभव हो जाएगा। हालांकि, इस मामले में अंतिम फैसला आने तक कानूनी प्रक्रिया जारी रहेगी।