
नोएडा। राज्य कर विभाग के नोएडा जोन में नव नियुक्त अपर आयुक्त से एमएसएमई इंडस्ट्रियल एसोसिएशन, नोएडा के प्रतिनिधिमंडल ने शिष्टाचार भेंट की और उन्हें पदभार ग्रहण करने पर बधाई दी। साथ ही, नोएडा के व्यापारियों और उद्यमियों को जीएसटी व्यवस्था में आ रही प्रमुख समस्याओं से भी उन्हें अवगत कराया।
एसोसिएशन अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह नाहटा के नेतृत्व में महासचिव शिव कुमार राणा, उपाध्यक्ष मेहंदी हसन नकवी व दिलशाद अहमद, सचिव सुबोध कुमार व दिलीप मिश्रा समेत कई प्रतिनिधि सेक्टर-148 स्थित कार्यालय पहुंचे। प्रतिनिधियों ने कहा कि नोएडा, प्रदेश के प्रमुख औद्योगिक क्षेत्रों में से एक है, जहां राजस्व संग्रहण में बड़ी भूमिका निभाई जाती है, लेकिन विभागीय प्रक्रियाओं में कुछ जटिलताएं व्यापार में बाधा बन रही हैं।
प्रतिनिधिमंडल ने निम्न समस्याएं उठाईं:
- जीएसटी पंजीयन में अनावश्यक अड़चनें: पंजीकरण प्रक्रिया को “फेसलेस” बनाए जाने के बावजूद नोएडा में व्यापारियों को दफ्तर बुलाने की प्रवृत्ति बढ़ रही है, जिससे पंजीयन में देरी होती है और भ्रष्टाचार को भी बढ़ावा मिलता है।
- कार्यालयों में अधिकारियों की अनुपस्थिति: लंबी दूरी तय कर कार्यालय पहुंचने के बावजूद अधिकारी समय पर नहीं मिलते, जिससे व्यापारियों और अधिवक्ताओं को समय और संसाधनों का नुकसान होता है।
- अपीलीय इकाइयों की कमी: अपील सुनवाई व्यवस्था अस्त-व्यस्त है, वादों की संख्या क्षमता से अधिक होने के कारण सुनवाई समय पर नहीं हो पाती। प्रतिनिधिमंडल ने अपीलीय अधिकारियों की संख्या बढ़ाने की मांग की।
- पुराने वैट मामलों की वसूली: 15–20 साल पुराने मामलों में बैंक खातों को सील कर वसूली की जा रही है, जबकि अधिकांश मामलों में व्यापारी पहले ही भुगतान कर चुके हैं। विभाग को अभिलेखों के सत्यापन के बाद ही वसूली करनी चाहिए।
- आईटीसी अंतर पर बार-बार नोटिस: बहुत कम राशि के अंतर पर बार-बार नोटिस देकर व्यापारियों को परेशान किया जा रहा है, जिससे समय की बर्बादी होती है।
- एएसएमटी-10 उत्तर अस्वीकार कर सीधे धारा 73/74 में मामला भेजना: उत्तर असंतोषजनक कहकर सीधे मांग बनाना न्यायसंगत नहीं है।
- धारा 161 के अंतर्गत पुनः विचार याचिकाओं की अनदेखी: बिना तथ्यों पर विचार किए ही प्रार्थना पत्र अस्वीकार किए जा रहे हैं।
- वैट रिफंड को जीएसटी मांग से समायोजित न करना: यह प्रक्रिया अव्यवस्था को जन्म देती है और व्यापारियों को दोहरी परेशानी में डालती है।
- मासिक बैठकें बंद: पूर्व में व्यापारियों और अधिकारियों के बीच समस्याओं के समाधान हेतु होने वाली मासिक बैठकें अब नहीं हो रही हैं, जिन्हें पुनः शुरू किया जाना चाहिए।
- सचल दल की कार्यप्रणाली पर प्रश्न: छोटे-मोटे कागजी त्रुटियों के आधार पर वाहन रोककर व्यापारियों को परेशान किया जाता है। वाहन कार्यालय लाकर खड़ा कर दिए जाते हैं और अधिकारी अगली सुबह तक उपलब्ध नहीं होते।
- नोटिस/आदेश की केवल पोर्टल पर अपलोडिंग: व्यापारी समय पर सूचना नहीं देख पाते, जिससे उन्हें एकतरफा आदेशों का सामना करना पड़ता है और अपील की समयसीमा भी चूक जाती है।
इन सभी बिंदुओं पर अपर आयुक्त महोदय ने प्रतिनिधिमंडल की बात गंभीरता से सुनी और समस्याओं के समाधान का पूरा भरोसा दिलाया।
प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे एमएसएमई इंडस्ट्रियल एसोसिएशन, नोएडा के अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह नाहटा ने कहा कि व्यापारिक समुदाय की ओर से सहयोग की पूरी अपेक्षा है, और विभाग यदि इन मुद्दों को प्राथमिकता दे तो कारोबारी माहौल और बेहतर हो सकता है।
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