
भोपाल | मध्य प्रदेश के जनजातीय कार्य मंत्री विजय शाह एक विवादित बयान के चलते गंभीर आलोचना और कानूनी कार्रवाई के घेरे में आ गए हैं। सेना की कर्नल सोफिया कुरैशी को लेकर दिए गए बयान पर न केवल राजनीतिक बवाल मचा है, बल्कि अब मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने भी इस पर स्वत: संज्ञान लेते हुए मंत्री के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है।
हाई कोर्ट की सख्ती: 4 घंटे में दर्ज हो एफआईआर
हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच, जस्टिस अतुल श्रीधरन की अध्यक्षता में हुई सुनवाई में अदालत ने डीजीपी मध्य प्रदेश को निर्देश दिया कि मंत्री विजय शाह के खिलाफ चार घंटे के भीतर एफआईआर दर्ज की जाए।
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अगली सुनवाई गुरुवार सुबह होगी और उससे पहले एफआईआर हर हाल में दर्ज हो जानी चाहिए।
महाधिवक्ता प्रशांत सिंह को इस आदेश के पालन की जिम्मेदारी दी गई है।
माफी के बाद भी नहीं थमा विवाद
हालांकि मंत्री विजय शाह ने अपना बयान वापस लेते हुए माफी मांग ली है, लेकिन विवाद थमता नहीं दिख रहा।
कांग्रेस इस मामले को लेकर आक्रामक रुख अपनाए हुए है। पार्टी नेताओं ने श्यामला हिल्स थाने पहुंचकर जोरदार प्रदर्शन किया और मंत्री पर देशद्रोह का मामला दर्ज करने की मांग की।
कांग्रेस का प्रदर्शन और इस्तीफे की मांग
वरिष्ठ कांग्रेस नेता जीतू पटवारी ने पुलिस से सीधे सवाल किया—”क्या आपको मंत्री का बयान आपत्तिजनक नहीं लगा?” उन्होंने कहा, “हम आम नागरिक की तरह आए हैं, एफआईआर दर्ज करने में पुलिस को क्या दिक्कत है?”
लगभग तीन घंटे के दबाव के बाद पुलिस ने अंततः प्राथमिकी दर्ज कर ली। कांग्रेस ने ऐलान किया है कि वह राज्य के सभी थानों में शिकायतें दर्ज करवाएगी।
पटवारी ने कहा कि मुख्यमंत्री मोहन यादव को पत्र भेजकर मंत्री को बर्खास्त करने की मांग की गई है। “सेना का अपमान करने वाले मंत्री को एक मिनट भी पद पर रहने का हक नहीं,” उन्होंने कहा।
भाजपा का बयान: चेतावनी दी गई
मामले को लेकर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने सफाई दी कि पार्टी ने मंत्री विजय शाह को कड़ी चेतावनी दी है।
उन्होंने कहा, “भाजपा नेतृत्व इस मामले में संवेदनशील है। ऐसी बयानबाज़ी को पार्टी कतई स्वीकार नहीं करती।”
शर्मा ने कहा, “कर्नल सोफिया कुरैशी पूरे देश की बेटी हैं,” और कांग्रेस क्या कर रही है उस पर टिप्पणी करने की आवश्यकता नहीं है।
पृष्ठभूमि: कौन हैं कर्नल सोफिया कुरैशी?
कर्नल सोफिया कुरैशी भारतीय सेना की प्रतिष्ठित अधिकारी हैं, जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय सैन्य अभ्यासों में भारत का प्रतिनिधित्व किया है। वे देश की पहली महिला अधिकारी हैं जिन्होंने विदेश में भारतीय सेना की एक टुकड़ी का नेतृत्व किया था।
मंत्री के विवादित बयान ने सिर्फ राजनीतिक गलियारों में हलचल नहीं मचाई, बल्कि अब यह मामला न्यायपालिका के दायरे में भी प्रवेश कर चुका है। आने वाले दिनों में यह देखना अहम होगा कि क्या मुख्यमंत्री मोहन यादव अपने मंत्री पर कार्रवाई करते हैं या नहीं।