
देश की आर्थिक हालत और आम नागरिक की बदहाल ज़िंदगी पर शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) के मुखपत्र ‘सामना’ ने एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह पर तीखा हमला बोला है। सामना ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था भले ही कागज़ पर चौथी सबसे बड़ी बन गई हो, लेकिन ज़मीन पर आम लोगों की हालत लगातार बिगड़ती जा रही है।
“अगर भारत वाकई दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है, तो फिर किसानों की खुदकुशी, बेरोजगारी, और ग्रामीण इलाकों में बच्चों का सड़क पर जन्म क्यों हो रहा है?” — सामना
“चौथे नंबर की अर्थव्यवस्था, लेकिन गरीब भूखा मर रहा है”
सामना ने लिखा कि गृह मंत्री अमित शाह जब मुंबई में बोले कि “मोदी ने भारत को 10वें से चौथे स्थान पर ला खड़ा किया,” उसी समय हरियाणा में एक ही परिवार के 6 लोगों ने आर्थिक तंगी के चलते आत्महत्या कर ली।
“अडानी-अंबानी, और सत्ता से जुड़े अमीर नेताओं का भारत अलग है। 140 करोड़ की इस आबादी में उनका सुखद भारत शामिल नहीं है।” — सामना
“ये आंकड़े भारत के लिए शर्मनाक हैं”
सामना ने कहा कि IMF के अनुसार भारत की प्रति व्यक्ति आय सिर्फ ₹2.45 लाख है, जबकि अमेरिका, चीन, जर्मनी और जापान हमसे कहीं आगे हैं।
“प्रति व्यक्ति आय के मामले में भारत 143वें स्थान पर है, और सरकार जापान से तुलना कर गर्व कर रही है। अगर तुलना करनी ही है तो चीन से करो, जो आबादी, भूगोल और भूख—तीनों में तुलनीय है।” — सामना
“मोदी सरकार ने झूठों का गंवार विश्वविद्यालय खड़ा किया”
सामना ने व्यंग्य करते हुए कहा कि मोदी सरकार ‘झूठों का गंवार विश्वविद्यालय’ बन गई है और अमित शाह को उसका कुलपति बना दिया गया है।
“हर साल 2 करोड़ रोजगार देने का वादा कहां गया? लाडली बहनों को हर महीने ₹2100 देने का वादा क्यों अधूरा है? अगर भारत चौथी महाशक्ति है, तो मनरेगा के लिए फंड क्यों खत्म हो गए?” — सामना
“नोटबंदी और जीएसटी ने तोड़ी कमर”
सामना ने लिखा कि नोटबंदी और जीएसटी जैसे निर्णयों ने भारत की रीढ़ तोड़ दी। लाखों लोग बेरोजगार हो गए, 5 लाख मझोले कारोबारी देश छोड़कर विदेश चले गए।
“GST ने छोटे व्यापारियों का जीना हराम कर दिया है, रसोई गैस से लेकर सब्ज़ी तक महंगी हो गई है। लोग खेत-खलिहान और घर में आत्महत्या कर रहे हैं।”
“अब सोने की मशीन बना रही सरकार!”
सामना ने यूपी के मंत्री धर्मपाल सिंह के उस बयान पर भी तंज कसा, जिसमें उन्होंने कहा कि “हम कचरे से सोना बनाने की मशीन लगाएंगे।” सामना ने पूछा—
“क्या अब पीएम मोदी भी कोई ऐसी मशीन बनाएंगे, जो बेरोजगारों को नौकरी दे, महंगाई घटाए और प्रति व्यक्ति आय बढ़ाए?”
विकास की तस्वीर सिर्फ कागज़ पर सुंदर है
सामना का स्पष्ट आरोप है कि मोदी सरकार की अर्थनीति ने सिर्फ कारपोरेट मित्रों को लाभ पहुंचाया, जबकि किसान, गरीब, महिलाएं और युवा अंधेरे में धकेल दिए गए।
“ये कैसा विकास है, जहां भारत ‘चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था’ बना है, लेकिन देश का नागरिक रोज़ाना अपनी ज़िंदगी के लिए संघर्ष कर रहा है?”

VIKAS TRIPATHI
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