
Waqf Amendment Bill: जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी ने केंद्र और राज्य सरकारों पर गंभीर आरोप लगाते हुए वक्फ संपत्तियों और मुसलमानों के हितों के संरक्षण के लिए कड़े कदम उठाने की मांग की है। उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और लोक जनशक्ति पार्टी के नेता चिराग पासवान से वक्फ संशोधन बिल का विरोध करने की अपील की। उनका कहना है कि यदि ये नेता इस बिल का विरोध करते हैं, तो केंद्र की मोदी सरकार मुश्किल में पड़ सकती है।
वक्फ संपत्तियों पर सरकार के रवैये पर सवाल
मौलाना मदनी ने वक्फ एक्ट का हवाला देते हुए कहा कि वक्फ मुसलमानों के धार्मिक और सामाजिक मूल्यों का अभिन्न हिस्सा है। मुसलमान अपनी संपत्तियों को आख़िरत के पुण्य के लिए वक्फ करते हैं। उन्होंने कहा,
“यह वक्फ संपत्तियां किसी सरकार या बादशाह की नहीं, बल्कि मुसलमानों की ओर से दी गई सौ प्रतिशत संपत्तियां हैं। लेकिन सरकारें दशकों से इन संपत्तियों को बर्बाद होते देख रही हैं।”
उन्होंने आरोप लगाया कि वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन और संरक्षण बेहद लचर है। जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने बार-बार सरकारों से एसजीपीसी (शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी) की तर्ज पर वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन करने की मांग की, लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
सरकार पर गंभीर आरोप और सांप्रदायिकता का मुद्दा
मौलाना मदनी ने वर्तमान राजनीतिक हालात को चिंताजनक बताते हुए कहा कि देश में एक विशेष वर्ग का वर्चस्व स्थापित करने और अन्य वर्गों को हाशिये पर धकेलने की साजिशें हो रही हैं। उन्होंने कहा,
“मुसलमानों को कानूनी रूप से असहाय, सामाजिक रूप से अलग-थलग और आर्थिक रूप से कमजोर करने की कोशिशें हो रही हैं। सरकारें खुद इस घृणित अभियान को संरक्षण दे रही हैं।”
वक्फ बिल में संशोधन पर आपत्ति
मौलाना मदनी ने वक्फ अधिनियम में प्रस्तावित संशोधनों को लेकर कड़ी आपत्ति जताई। उन्होंने आरोप लगाया कि इन संशोधनों का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों पर सरकारी नियंत्रण बढ़ाना है। उन्होंने कहा,
“हम किसी भी ऐसे संशोधन को स्वीकार नहीं करेंगे, जो वक्फ के उद्देश्यों को खत्म करने या सरकार के हस्तक्षेप को बढ़ाने की कोशिश करे।”
मदनी ने साफ किया कि यदि सरकार धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप बंद नहीं करती, तो जमीयत उलेमा-ए-हिंद संविधान के दायरे में रहते हुए इसके खिलाफ अंतिम दम तक लड़ाई लड़ेगी।
नीतीश कुमार और चिराग पासवान से अपील
सभा में वक्फ संशोधन बिल को मुसलमानों के लिए खतरनाक बताया गया और इसे वापस लेने की मांग की गई। मौलाना मदनी ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और लोक जनशक्ति पार्टी के नेता चिराग पासवान से इस बिल का पुरजोर विरोध करने की अपील की।
“हम चाहते हैं कि धर्मनिरपेक्ष नेता मुसलमानों के हितों को ध्यान में रखते हुए इस बिल का विरोध करें और इसे खारिज करवाने में हमारी मदद करें,” मदनी ने कहा।
मस्जिदों और धार्मिक स्थलों की सुरक्षा पर जोर
सभा में मस्जिदों और अन्य धार्मिक स्थलों के खिलाफ चल रहे कथित सांप्रदायिक अभियानों पर गहरी चिंता व्यक्त की गई। पूजा स्थलों के विशेष संरक्षण अधिनियम, 1991 के तहत मामलों के शीघ्र निपटारे के लिए सुप्रीम कोर्ट से संविधान पीठ गठित करने की मांग की गई।
सभा में यह भी कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट अनुच्छेद 142 और 139ए के तहत त्वरित निर्णय दे, ताकि मस्जिदों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
जमीयत का संकल्प: आखिरी दम तक लड़ाई
सभा के अंत में मौलाना मदनी ने कहा,
“हम अपने धर्म और संपत्तियों की सुरक्षा के लिए आखिरी दम तक लड़ाई जारी रखेंगे। हम सरकारों से अपील करते हैं कि वे हमारे धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप बंद करें।”
निष्कर्ष
मौलाना मदनी का यह बयान और उनकी अपील मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य में एक बड़ा मुद्दा बन सकती है। वक्फ संपत्तियों और मुसलमानों के हितों की सुरक्षा को लेकर सरकारों पर दबाव बनाने की यह कवायद कितनी प्रभावी होगी, यह देखने वाली बात होगी। लेकिन यह साफ है कि वक्फ संपत्तियों और धार्मिक स्वतंत्रता का मुद्दा अभी लंबे समय तक सुर्खियों में रहेगा।