
Defence Deals: भारत सरकार ने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने और सेना की ताकत में इजाफा करने के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। रक्षा मंत्रालय ने 10,147 करोड़ रुपये के रक्षा सौदों पर हस्ताक्षर किए हैं, जिनके तहत भारतीय सेना के लिए अत्याधुनिक हथियार और तकनीक विकसित की जाएंगी।
पिनाका रॉकेट सिस्टम होगा और घातक
इन समझौतों के तहत भारतीय सेना के पिनाका मल्टीपल लॉन्च रॉकेट सिस्टम को अपग्रेड किया जाएगा। इसके लिए एरिया डिनायल ऑर्डिनेंस टाइप-1 और हाई एक्सप्लोसिव कैपेबिलिटी रॉकेट्स की खरीद की जाएगी, जिससे भारतीय सेना की मारक क्षमता में जबरदस्त बढ़ोतरी होगी। इसके अलावा, इकोनॉमिक एक्सप्लोसिव्स लिमिटेड (EEL) और म्यूनिशंस इंडिया लिमिटेड (MIL) के साथ समझौते किए गए हैं, जिससे हाईटेक रॉकेट और हथियारों का निर्माण देश में ही किया जाएगा।
फायरिंग रेंज और विनाशक क्षमता में इजाफा
पिनाका रॉकेट सिस्टम भारतीय सेना के लिए बेहद अहम हथियार प्रणाली है, जिसे स्वदेशी तकनीक से विकसित किया गया है। इस अपग्रेड के बाद इसकी फायरिंग रेंज और विनाशक क्षमता और अधिक बढ़ जाएगी, जिससे सेना को सामरिक बढ़त मिलेगी और युद्धक क्षमताओं में सुधार होगा।
नेवी के लिए भी बड़ा कदम, ‘शक्ति’ सॉफ्टवेयर होगा अपग्रेड
इसके अलावा, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) के साथ भारतीय नौसेना के युद्धपोतों के लिए अत्याधुनिक ‘शक्ति’ सॉफ्टवेयर के अपग्रेडेशन का भी करार किया गया है। यह सॉफ्टवेयर नौसेना के रक्षा प्रणालियों को और अधिक कुशल बनाएगा, जिससे समुद्री सुरक्षा मजबूत होगी।
रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर मजबूती से बढ़ता भारत
इन रक्षा सौदों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ योजनाओं के तहत एक अहम कदम माना जा रहा है। इस पहल से भारत की रक्षा जरूरतों को स्वदेशी उद्योगों के माध्यम से पूरा किया जाएगा, जिससे विदेशी हथियारों पर निर्भरता घटेगी और रक्षा उत्पादन में देश को एक नई ऊंचाई मिलेगी।
नई दिल्ली में रक्षा सचिव की मौजूदगी में हुए समझौते
नई दिल्ली में रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह की उपस्थिति में इन समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए। इन करारों से भारत के रक्षा उद्योग को मजबूती मिलेगी और सेना को अत्याधुनिक हथियारों से लैस करने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगा।
निष्कर्ष:
सरकार का यह फैसला भारतीय सेना की ताकत को कई गुना बढ़ाएगा और देश की रक्षा क्षमताओं को और अधिक मजबूत करेगा। इससे न केवल भारत की सैन्य शक्ति में इजाफा होगा बल्कि स्वदेशी रक्षा उत्पादन को भी नया आयाम मिलेगा, जिससे भारत रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर मजबूती से कदम बढ़ाएगा।