
मैहर: मां शारदा देवी मंदिर प्रबंध समिति के सदस्य तारकेश्वर तिवारी ने दामोदर रोपवे प्रबंधन पर गंभीर अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए 1590.30 लाख रुपये की रिकवरी की मांग की है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि इस राशि को मंदिर समिति के खाते में समायोजित नहीं किया गया, तो वे फिर से हाईकोर्ट की शरण में जाएंगे।
तिवारी ने बताया कि उन्होंने रोपवे प्रबंधन की वित्तीय अनियमितताओं को लेकर मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय, जबलपुर में रिट याचिका दायर की थी। इस पर न्यायालय ने 6 अप्रैल 2023 को शारदा देवी मंदिर अधिनियम 2002 की धारा 25 के तहत संभागीय कमिश्नर रीवा को जांच और निराकरण का निर्देश दिया था।
कमिश्नर की जांच रिपोर्ट में बड़ा खुलासा
न्यायालय के आदेश के अनुपालन में संभागीय कमिश्नर रीवा ने एक विशेष जांच दल गठित किया, जिसने रोपवे प्रबंधन की ऑडिट रिपोर्ट की समीक्षा कर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। रिपोर्ट में कई गंभीर वित्तीय अनियमितताएँ उजागर हुईं, जिससे मंदिर समिति को आर्थिक नुकसान हुआ।
कमिश्नर के आदेश और निर्देश
संभागीय कमिश्नर ने मां शारदा देवी मंदिर समिति के अध्यक्ष एवं प्रशासक को निम्नलिखित निर्देश दिए:
1. आडिट आपत्तियों का निराकरण कर वसूली योग्य राशि मंदिर समिति के खाते में समायोजित कराएं।
2. दोषी अधिकारियों एवं कर्मचारियों के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही करें।
3. भविष्य में मंदिर समिति की स्वीकृति के बाद ही वित्तीय निर्णय लिए जाएं।
4. रोपवे प्रबंधन से आय-व्यय की विस्तृत जानकारी प्राप्त कर विशेष ऑडिट कराया जाए।
5. यदि ऑडिट रिपोर्ट में यह पाया जाता है कि अनुबंध का पालन नहीं किया गया, जिससे मंदिर समिति को आर्थिक हानि हुई, तो गणना के अनुसार उक्त राशि रोपवे प्रबंधन से वसूली जाए।
1590.30 लाख की रिकवरी का मुद्दा
संभागीय कमिश्नर द्वारा गठित जांच दल की रिपोर्ट में दामोदर रोपवे मैहर पर 1590.30 लाख रुपये की अनियमितता सामने आई। तारकेश्वर तिवारी ने इस रिपोर्ट का हवाला देते हुए मंदिर प्रशासन से तत्काल इस राशि की रिकवरी की मांग की। उन्होंने कहा कि यदि मंदिर समिति द्वारा इस आदेश का अनुपालन नहीं किया जाता, तो वे पुनः जबलपुर हाईकोर्ट में याचिका दायर करेंगे।
न्याय की लड़ाई जारी रहेगी – तारकेश्वर तिवारी
तिवारी ने कहा कि मां शारदा देवी मंदिर समिति को किसी भी प्रकार का आर्थिक नुकसान नहीं होने देंगे। “यह भक्तों और श्रद्धालुओं की आस्था से जुड़ा मामला है और इसमें किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।”
अब देखना यह होगा कि मंदिर प्रशासन और रोपवे प्रबंधन इस मामले में 1590.30 लाख रुपये की राशि को समायोजित करने के लिए क्या कदम उठाते हैं, या यह मामला फिर से हाईकोर्ट के दरवाजे तक पहुंचेगा।

VIKAS TRIPATHI
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