महाराष्ट्र राज्य निर्वाचन आयोग ने 4 नवंबर 2025 को घोषणा की कि राज्य की 246 नगर परिषदों और 42 नगर पंचायतों के लिए निकाय चुनाव 2 दिसंबर 2025 को होंगे। वोटों की गिनती 3 दिसंबर को होगी। कुल 6,859 सदस्य चुने जाएंगे, जिनमें से 3,492 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हैं। चुनाव घोषणा के साथ ही पूरे राज्य में राजनीतिक माहौल गरमाता जा रहा है, और आरोप–प्रत्यारोप का दौर तेज हो गया है।
राज ठाकरे की कड़ी चेतावनी—“मराठी लोग सावधान रहें, नहीं तो BMC चुनाव आखिरी साबित होंगे”
MNS अध्यक्ष राज ठाकरे ने रविवार को MNS कोंकण महोत्सव के उद्घाटन कार्यक्रम में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित किया।
उन्होंने बेहद तीखे लहजे में कहा:
“अपनी सावधानी कम मत करो, नहीं तो नुकसान तय है। अगर मराठी सावधान नहीं रहे तो आने वाले BMC चुनाव उनके लिए आखिरी चुनाव होंगे। नतीजे काबू से बाहर हो जाएंगे।”
राज ठाकरे का यह बयान निकाय चुनावों से पहले मराठी वोटरों में चेतना जगाने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।
वोटर्स लिस्ट पर भी उठाए सवाल
राज ठाकरे ने मतदाता सूची में गड़बड़ियों के मुद्दे पर भी सवाल खड़े किए।
हाल ही में वे विपक्ष द्वारा आयोजित यूनाइटेड मार्च में भी शामिल हुए थे, जो मतदाता सूची में कथित धांधली के खिलाफ निकाला गया था।
उन्होंने कहा कि मतदाता सूची की पारदर्शिता चुनाव की सबसे पहली शर्त है, और इसमें किसी भी प्रकार की गड़बड़ी लोकतांत्रिक प्रक्रिया को नुकसान पहुंचाती है।
अजित पवार के बयान पर चुनावी तूफान
इसी बीच, निकाय चुनाव को लेकर डिप्टी CM अजित पवार के बयान ने नया विवाद खड़ा कर दिया है।
मालेगांव में प्रचार के दौरान उन्होंने कहा:
“आपके पास वोट है, तो मेरे पास निधि है। अब क्या करना है, आप समझ लें। अगर आप किसी और को वोट देंगे तो फंड में कटौती होगी।”
उनके इस बयान को विपक्ष ने धमकी करार देते हुए चुनाव आयोग से कठोर कार्रवाई की मांग की है।
अजित पवार ने बाद में अपने बयान का बचाव किया और कहा:
“मैंने किसी को धमकाया नहीं। चुनाव के दौरान नेता वादे करते ही हैं—बिहार में भी देखा है। मैंने सिर्फ यह कहा कि हमें जिताएंगे तो विकास के लिए निधि देंगे।”
चुनाव से पहले उठा धुआंधार पहाड़
महाराष्ट्र में निकाय चुनाव भले स्थानीय स्तर के हों, लेकिन सियासी उठा–पटक और नेताओं की बयानबाजी ने इसे राज्य की बड़ी राजनीतिक लड़ाई में बदल दिया है।
एक तरफ मराठी पहचान का मुद्दा गरमाया है, तो दूसरी ओर सरकारी फंड और मतदाता सूची को लेकर विवाद तेज होता जा रहा है।
2 दिसंबर के मतदान से पहले राज्य की राजनीति में और आक्रामक तेवर देखने को मिल सकते हैं।














