
Maharashtra cabinet expansion: महाराष्ट्र की देवेंद्र फडणवीस सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर सियासी गतिरोध अभी भी जारी है। महायुति के शीर्ष नेताओं की बैठक में कोई ठोस नतीजा नहीं निकल पाया। सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे और अजित पवार जल्द ही गृह मंत्री अमित शाह से मिलने दिल्ली जा सकते हैं।
मंत्रिमंडल विस्तार की तारीख पर संशय
मंत्रिमंडल विस्तार कब होगा, इसे लेकर चर्चा गर्म है। संभावना जताई जा रही है कि अगले तीन-चार दिनों में विस्तार हो सकता है। बीती रात मुंबई में मेघदूत बंगले पर मुख्यमंत्री फडणवीस, शिंदे और पवार के बीच लगभग डेढ़ घंटे चली बैठक में मंत्री पदों के बंटवारे और विभागों के आवंटन पर विचार हुआ। हालांकि, कोई अंतिम सहमति नहीं बन पाई।
सूत्रों की मानें तो फडणवीस, शिंदे और पवार आज दिल्ली रवाना हो सकते हैं। अगर बातचीत सफल रही, तो मंत्रिमंडल विस्तार 14 या 15 दिसंबर को हो सकता है। महायुति के नेताओं का दावा है कि शीतकालीन सत्र शुरू होने से पहले विस्तार जरूर हो जाएगा।
शिवसेना के 13 विधायक ले सकते हैं मंत्री पद की शपथ
खबर है कि शिवसेना के 13 विधायकों को मंत्री पद मिल सकता है। इनमें गुलाबराव पाटिल, उदय सामंत, दादा भूसी, शंभूराजे देसाई, तानाजी सावंत, दीपक केसरकर, भरतशेठ गोगांव, संजय शिरसाट, प्रताप सरनाईक, अर्जुन खोतकर, विजय शिवतरे, प्रकाश सुर्वे और आशीष जयसवाल के नाम शामिल हैं।
मंत्री पदों का बंटवारा: कौन-कितना मजबूत?
सूत्रों के अनुसार, बीजेपी से 20 मंत्री, शिवसेना से 12 और एनसीपी से 10 मंत्री बनाए जा सकते हैं। गठबंधन में शक्ति संतुलन बनाए रखने के लिए यह फॉर्मूला तैयार किया गया है। फडणवीस ने 5 दिसंबर को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी, जबकि एकनाथ शिंदे और अजित पवार ने डिप्टी सीएम के रूप में शपथ ली थी। उस समय घोषणा हुई थी कि मंत्रिमंडल का विस्तार विधानसभा के शीतकालीन सत्र से पहले होगा।
गृह मंत्रालय फडणवीस के पास, वित्त अजित पवार को
माना जा रहा है कि गृह मंत्रालय देवेंद्र फडणवीस के पास रहेगा, जबकि वित्त मंत्रालय अजित पवार को सौंपा जाएगा। शहरी विकास मंत्रालय शिंदे के खाते में जाने की संभावना है। शिवसेना ने गृह विभाग की मांग की थी, लेकिन बीजेपी ने स्पष्ट कर दिया कि उन्हें गृह या शहरी विकास में से किसी एक का चुनाव करना होगा।
महायुति के सूत्रों का कहना है कि शिवसेना को अपेक्षा से कम विभाग मिले हैं, जबकि एनसीपी को 10 विभाग मिलने की सहमति बन चुकी है। बीजेपी फिलहाल सबसे मजबूत स्थिति में है, क्योंकि उसके पास 132 विधायक हैं, जबकि शिवसेना और एनसीपी के पास क्रमशः 57 और 41 विधायक हैं।