
Maharashtra Cabinet Expansion: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के 23 दिन बाद 15 दिसंबर, रविवार को नागपुर में देवेंद्र फडणवीस सरकार ने मंत्रिमंडल का विस्तार किया। इस विस्तार में 33 कैबिनेट मंत्री और 6 राज्य मंत्रियों ने संविधान की शपथ ली। अजित पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) ने विधानसभा में 41 सीटें जीती थीं, लेकिन उन्होंने सबसे अधिक मंत्रिमंडल की सीटें अपने पक्ष में कीं। अजित पवार ने अपने 40 विधायकों के आधार पर मंत्रिमंडल में 8 कैबिनेट और 1 राज्य मंत्री पद हासिल किया।
शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) ने 57 सीटें जीतीं और उन्हें मंत्रिमंडल में 9 कैबिनेट और 2 राज्य मंत्री पद मिले। वहीं, बीजेपी ने 133 सीटें जीतकर महाराष्ट्र की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। बीजेपी को मंत्रिमंडल में 16 कैबिनेट और 3 राज्य मंत्री पद मिले हैं।
अजित पवार का राजनीतिक कद बढ़ा
अजित पवार ने पहले ही घोषणा की थी कि वे बीजेपी के मुख्यमंत्री का समर्थन करेंगे। इसका फायदा उन्हें मंत्रिमंडल में अधिक पद लेकर मिला। उनकी पार्टी ने अनुभवी नेताओं को दरकिनार कर नए चेहरों को मौका दिया है। NCP के छगन भुजबल, धर्मराव बाबा आत्राम और संजय बनसोडे जैसे बड़े नेताओं को इस बार मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली।
अजित पवार ने कहा था कि अगर केंद्र उनकी पार्टी को छोटे राज्यों के राज्यपाल का पद देता है, तो यह एक बड़ी उपलब्धि होगी। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि छगन भुजबल महाराष्ट्र में सक्रिय राजनीति में बने रहेंगे या उन्हें राज्यपाल की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी।
शिवसेना और बीजेपी में भी नए चेहरे
एकनाथ शिंदे की शिवसेना से तानाजी सावंत और अब्दुल सत्तार जैसे अनुभवी नेताओं को भी इस बार बाहर रखा गया। वहीं, बीजेपी के रवींद्र चव्हाण और सुधीर मुनगंटीवार, जो फडणवीस के करीबी माने जाते हैं, को भी मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली।
यह रणनीति स्पष्ट रूप से नए और युवा चेहरों को अवसर देने की ओर इशारा करती है। महाराष्ट्र की राजनीति में ऐसा पहली बार हुआ है कि 50% नए चेहरों को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया।
संतुलन और सर्वसमावेशी कैबिनेट
देवेंद्र फडणवीस ने एक संतुलित मंत्रिमंडल बनाने का प्रयास किया है, जिसमें SC, ST, OBC, मराठा, और जैन समुदायों को प्रतिनिधित्व दिया गया है। सतारा जिले को मंत्रिमंडल में 4 सीटें मिलीं, जो अपने आप में ऐतिहासिक है।
महाराष्ट्र की नई राजनीतिक दिशा
महाराष्ट्र मंत्रिमंडल का यह विस्तार न केवल सत्ता संतुलन को दर्शाता है, बल्कि महायुति सरकार की विकास केंद्रित सोच को भी रेखांकित करता है। नए चेहरों को मौका देकर सरकार ने एक मजबूत संदेश दिया है कि राजनीति में बदलाव और नवाचार को प्राथमिकता दी जा रही है। अब देखना होगा कि महायुति सरकार आगे किस तरह से राज्य की राजनीति और प्रशासनिक संतुलन को साधती है।