
महाशिवरात्रि को लेकर देशभर के शिव मंदिरों में लोगों का तांता लगा हुआ है, काशी विश्वनाथ, प्रयागराग, अयोध्या, नासिक, देवघर से लेकर उज्जैन तक मंदिरों में भक्त बम-बम भोले के जयकारे लगा रहे हैं. आधी रात से ही भोलेनाथ की भक्ति में श्रद्धालु डूबे हुए हैं. दरअसल, महाशिवरात्रि केवल एक पर्व नहीं, बल्कि सृष्टि के संतुलन और नवसृजन की रात है। यही वह पावन क्षण था जब महादेव और माता पार्वती का विवाह संपन्न हुआ। इस दिन को प्रकाश-लिंग के प्राकट्य का दिवस भी माना जाता है, जब शिव ब्रह्मांड में अपनी ऊर्जा के रूप में प्रकट हुए थे।
शिव और पार्वती का दिव्य मिलन
पुराणों के अनुसार, माता पार्वती ने शिव को पति रूप में पाने के लिए घोर तपस्या की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भोलेनाथ ने उन्हें स्वीकार किया और इस दिन उनका विवाह संपन्न हुआ। कहते हैं कि यह विवाह केवल दो आत्माओं का नहीं, बल्कि सृष्टि के संतुलन का मिलन था। शिव, जो वैराग्य और तपस्या के प्रतीक थे, और पार्वती, जो प्रेम और सृजन की देवी थीं, उनके मिलन से सृष्टि चक्र पूर्ण हुआ।
देशभर के शिवालयों में भक्तों का उमड़ा सैलाब
इस पावन दिन पर काशी विश्वनाथ, उज्जैन महाकाल, देवघर के बैद्यनाथ धाम, नासिक के त्र्यंबकेश्वर और अयोध्या सहित देशभर के शिव मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ी। वाराणसी में मंगला आरती, महाकालेश्वर में भस्म आरती, और अयोध्या में सरयू स्नान के साथ श्रद्धालु हर-हर महादेव के जयकारे लगा रहे हैं।
शिव की आराधना का महत्व
महाशिवरात्रि पर व्रत, मंत्र जाप, रात्रि जागरण और जलाभिषेक विशेष फलदायी माने जाते हैं। शिवपुराण के अनुसार, बिल्वपत्र अर्पण, धतूरा, भांग, रुद्राक्ष और पंचामृत से अभिषेक करने से भोलेनाथ शीघ्र प्रसन्न होते हैं।
कैसे करें शिव को प्रसन्न?
✔ स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें
✔ शिवलिंग पर जल और पंचामृत से अभिषेक करें
✔ धतूरा, भांग और बिल्वपत्र अर्पित करें
✔ ऊं नमः शिवाय मंत्र का जाप करें
✔ रात्रि जागरण कर शिवपुराण का पाठ करें

शिव-पार्वती विवाह: प्रेम, त्याग और तपस्या की कहानी
महाशिवरात्रि का संदेश सिर्फ पूजा तक सीमित नहीं, बल्कि यह त्याग, प्रेम और धैर्य का प्रतीक भी है। यह वह दिन है जब शिव और पार्वती ने संसार को यह सिखाया कि प्रेम में समर्पण और संयम जरूरी है। माता पार्वती ने वर्षों की तपस्या से शिव को प्राप्त किया, और शिव ने वैराग्य छोड़कर संसार के कल्याण के लिए गृहस्थ जीवन को स्वीकार किया।
देश के इन मंदिरों में भी उमड़े भक्त
- लखनऊ के मनकामेश्वर मंदिर में महादेव के दर्शन के लिए लगी भक्तों की भीड़ उमड़ी है.
- दिल्ली के चांदनी चौक में गौरी शंकर मंदिर में भक्तों की लंबी कतारें लगी हुई हैं और श्रद्धालु पूजा-अर्चना कर रहे हैं.
- कोलकाता में महाशिवरात्रि से एक दिन पहले से ही श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ने लगी थी. भूतनाथ मंदिर मे दर्शन के लिए लोग पहुंचे.
- भुवनेश्वर के लिंगराज मंदिर में जश्न का माहौल है. श्रद्धालु भगवान के दर्शन कर रहे हैं.
- नासिक के त्र्यंबकेश्वर मंदिर में भक्तों की भीड़ है. हर हर महादेव के जयघोष लगाकर बाबा के दर्शन कर रहे हैं.
- काठमांडु के पशुपतिनाथ मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ है. भारतीय सेना के 6 पूर्व प्रमुखों ने पूजा की.
महाशिवरात्रि का क्या है महत्व?
महाशिवरात्रि पर व्रत, उपवास, मंत्र जाप और रात्रि जागरण का महत्व है. ये फाल्गुन कृष्ण पक्ष चतुर्दशी को मनाई जाती है. इस दिन तत्काल प्रसन्न होने वाले भगवान शिव के मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. भगवान के जलाभिषेक, पंचामृत अभिषेक का विधान है. साथ ही साथ धतूरा, बिल्वपत्र, रुद्राक्ष, भस्म, गंगाजल, फल-फूल से पूजा की जाती है. भोलेनाथ की उपासना से संपूर्ण सुख की प्राप्ति होती है.
महाशिवरात्रि कैसे होंगे महादेव प्रसन्न?
- स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
- भगवान शिव को जलाभिषेक करें.
- दूध, घी, दही, शहद, जल से अभिषेक.
- सिर्फ जलाभिषेक से भी प्रसन्न होते हैं महादेव.
- धतूरे के फल और भांग चढ़ाने की भी परंपरा.
- शिव महापुराण में बिल्वपत्र अर्पण का विधान.
- पवित्र शिवलिंग का चंदन से तिलक करें.
- ऊं नमः शिवाय या किसी मंत्र का जाप करें.
आज भी, जब कोई भक्त श्रद्धा और भक्ति के साथ शिव की आराधना करता है, तो भोलेनाथ उसकी हर मनोकामना पूरी करते हैं। महाशिवरात्रि का पर्व हमें यह सिखाता है कि जब प्रेम में धैर्य और तपस्या हो, तो स्वयं महादेव भी प्रसन्न हो जाते हैं।

VIKAS TRIPATHI
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