गुना (मध्य प्रदेश) — भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के विधायक पन्ना लाल शाक्य ने हाल ही में दिए अपने बयान से राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर देश के युवाओं को समय रहते तैयार नहीं किया गया, तो भारत भी पड़ोसी देशों की तरह गृह युद्ध जैसी भयावह स्थिति का सामना कर सकता है।
पड़ोसी देशों के हालात का हवाला
शाक्य ने नेपाल, श्रीलंका, पाकिस्तान और अफगानिस्तान का जिक्र करते हुए कहा कि हाल ही में नेपाल में प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन और राष्ट्रपति भवन तक पर हमला कर दिया, कई सरकारी इमारतों में आग लगा दी गई और नेताओं को पद छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा। श्रीलंका और बांग्लादेश भी उथल-पुथल से गुजर चुके हैं। पाकिस्तान और अफगानिस्तान लगातार आतंकवाद और अस्थिरता से जूझ रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर सतर्कता नहीं बरती गई, तो भारत भी ऐसे हालात में फंस सकता है।
युवाओं को मिलिट्री ट्रेनिंग का प्रस्ताव
बीजेपी विधायक ने कहा कि देश को सुरक्षित और मजबूत बनाने के लिए 18 से 30 साल तक के सभी युवाओं को अनिवार्य रूप से सैन्य प्रशिक्षण (Military Training) दिया जाना चाहिए। उनका कहना था कि शिक्षा, खेल और विकास के साथ-साथ देश की सुरक्षा भी सर्वोपरि है। उन्होंने गुना के जिलाधिकारी से अपील की कि उनका यह प्रस्ताव लिखित रूप में दिल्ली भेजा जाए और गृह मंत्रालय व रक्षा मंत्रालय को सुझाव दिया जाए कि मिलिट्री ट्रेनिंग की व्यवस्था जल्द से जल्द शुरू की जाए।
ऐतिहासिक उदाहरणों से दी सीख
विधायक ने इतिहास का हवाला देते हुए कहा कि नालंदा विश्वविद्यालय, जिसमें कभी 12 हजार विद्यार्थी और 1200 शिक्षक थे, चंद आक्रांताओं द्वारा जला दिया गया और उसका विशाल पुस्तकालय छह महीने तक धधकता रहा, लेकिन उसे बचाने कोई नहीं आया। इसी तरह सोमनाथ मंदिर को भी आग में झोंक दिया गया। शाक्य का तर्क था कि अगर तब लोग संगठित होते और सुरक्षा के लिए तैयार रहते, तो इतनी बड़ी क्षति नहीं होती।
“अभी से युवाओं को तैयार करना होगा”
विधायक शाक्य ने कहा —
“आज पूरी दुनिया की निगाह हिंदुस्तान पर है। अगर हमने समय रहते युवाओं को मिलिट्री ट्रेनिंग देकर तैयार नहीं किया, तो देश में भी गृह युद्ध जैसी स्थिति बन सकती है। इसलिए राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर हर नागरिक को गंभीर होना होगा।”
पन्ना लाल शाक्य का यह बयान जहां युवाओं को सैन्य प्रशिक्षण देने की दिशा में एक सुझाव माना जा रहा है, वहीं उनके ‘भारत में भी गृह युद्ध की आशंका’ वाले कथन ने सियासी बहस को तेज कर दिया है। अब देखना यह होगा कि क्या उनका यह प्रस्ताव केवल बयान बनकर रह जाता है या केंद्र सरकार इस पर किसी ठोस कदम की दिशा में आगे बढ़ती है।