
नई दिल्ली: वक्फ संशोधन बिल को लेकर देश की सियासत गरमा गई है। इस मुद्दे पर बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने केंद्र सरकार और बीजेपी पर तीखा हमला बोला है। एम्स (AIIMS), दिल्ली में भर्ती लालू यादव के सोशल मीडिया अकाउंट से एक पोस्ट किया गया, जिसमें उन्होंने सरकार पर अल्पसंख्यकों, गरीबों और मुसलमानों के खिलाफ साजिश रचने का आरोप लगाया। वहीं, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने विपक्ष पर पलटवार करते हुए विधेयक को देशहित में बताया और इसे भूमि माफियाओं पर लगाम लगाने वाला कानून करार दिया।
लालू यादव का BJP पर हमला: “अगर संसद में होता, अकेला ही काफी था”
दिल्ली के एम्स में पीठ के ऑपरेशन के बाद ICU से सामान्य वार्ड में शिफ्ट किए गए लालू यादव भले ही स्वास्थ्य लाभ ले रहे हों, लेकिन उनकी राजनीतिक धार बरकरार है। उनके सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) से किए गए पोस्ट में बीजेपी और संघ पर सीधा वार किया गया। पोस्ट में लिखा गया:
“संघी-भाजपाई नादानों… तुम मुसलमानों की जमीनें हड़पना चाहते हो, लेकिन हमने हमेशा वक्फ की जमीनें बचाने के लिए सख्त कानून बनाया और इसे लागू कराने में मदद की है।”
इसी पोस्ट में आगे लिखा गया:
“मुझे अफसोस है कि इस कठिन दौर में, जब अल्पसंख्यकों, गरीबों, मुसलमानों और संविधान पर हमला हो रहा है, मैं संसद में नहीं हूं। अन्यथा अकेला ही काफी था। लेकिन मैं सदन में न होकर भी आप लोगों के ख्यालों, ख्वाबों, विचारों और चिंताओं में हूं, यह देखकर अच्छा लगा। मेरी विचारधारा, नीति और सिद्धांत ही मेरी सबसे बड़ी पूंजी हैं।”
लालू यादव ने अपने पोस्ट में #WaqfAmendmentBill और #WaqfBill जैसे हैशटैग का इस्तेमाल कर विधेयक के खिलाफ अपनी नाराजगी जाहिर की।
जेपी नड्डा का जवाब: “विपक्ष मुद्दे को भटकाने की कोशिश कर रहा है”
राज्यसभा में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने विपक्ष पर हमला बोलते हुए कहा कि वक्फ संशोधन विधेयक देशहित में है और इसका मकसद भूमि माफियाओं की साजिशों को रोकना है। उन्होंने कहा:
“यह बिल किसी विशेष समुदाय या वोट बैंक को ध्यान में रखकर नहीं लाया गया है, बल्कि इसका उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के उचित प्रबंधन और जवाबदेही को सुनिश्चित करना है। मौजूदा कानून का दुरुपयोग हो रहा था, जिससे मुसलमानों को नुकसान और भूमि माफियाओं को फायदा हो रहा था।”
“मोदी सरकार ने पूरी प्रक्रिया का पालन किया”
विपक्ष द्वारा लोकतांत्रिक प्रक्रिया की अनदेखी के आरोप पर भी नड्डा ने पलटवार किया। उन्होंने बताया कि संयुक्त संसदीय समिति (JPC) में इस विधेयक पर विस्तृत चर्चा की गई। उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा:
“2013 में यूपीए सरकार के दौरान गठित JPC में सिर्फ 13 सदस्य थे, जबकि मोदी सरकार ने 31 सदस्यीय JPC बनाई, जिसमें सभी पहलुओं पर व्यापक चर्चा हुई। विपक्ष जानबूझकर इस मुद्दे को भटकाने की कोशिश कर रहा है।”
विपक्ष की रणनीति और धार्मिक नेताओं का विरोध
वक्फ बिल के विरोध में विपक्षी दलों के साथ-साथ कई मुस्लिम धर्मगुरु भी सामने आए हैं। मौलाना कल्बे जवाद जैसे धार्मिक नेताओं ने इसे मुसलमानों के अधिकारों पर हमला बताया और इस बिल को कोर्ट में चुनौती देने की बात कही।
वहीं, कांग्रेस और समाजवादी पार्टी भी बीजेपी पर अल्पसंख्यकों के खिलाफ साजिश रचने का आरोप लगा रही हैं। सियासी जानकारों का मानना है कि 2024 लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए यह मुद्दा चुनावी रंग ले सकता है।
क्या है वक्फ संशोधन विधेयक?
वक्फ बोर्ड अब तक 57,792 सरकारी संपत्तियों पर दावा कर चुका है, जिनमें से उत्तर प्रदेश की 98% संपत्तियां विवादित हैं। इन संपत्तियों का राजस्व रिकॉर्ड में कोई उल्लेख नहीं है, जिसकी वजह से इन पर लंबे समय से विवाद बना हुआ है।
इस विधेयक के लागू होने के बाद, सरकारी संपत्तियों पर वक्फ बोर्ड का दावा खत्म हो जाएगा, और इनका मालिकाना हक तय करने का अधिकार जिलाधिकारियों (DM) के पास होगा। यानी, अब सरकारी जमीन को वक्फ संपत्ति के रूप में दर्ज नहीं किया जा सकेगा।
कहां कितने मामले?
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, यूपी में अकेले 58 हजार से ज्यादा सरकारी संपत्तियों पर वक्फ बोर्ड का दावा है। इनका कुल क्षेत्रफल 11,712 एकड़ बताया जा रहा है।
क्या होगा आगे?
अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या यह विधेयक संसद में सुचारू रूप से पारित हो पाता है या फिर विपक्ष इस पर और हंगामा करता है। फिलहाल, यह मुद्दा राजनीतिक और धार्मिक विवादों के केंद्र में आ चुका है, और इसका असर आने वाले चुनावों में भी देखने को मिल सकता है।