
Kejriwal Faces Crushing Defeat in Delhi, AAP Out of Power: दिल्ली की राजनीति में 11 साल तक राज करने वाली आम आदमी पार्टी (AAP) को 2025 के विधानसभा चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल समेत पार्टी के कई दिग्गज नेता चुनाव हार गए हैं। बीजेपी ने 48 सीटें जीतकर आम आदमी पार्टी को सत्ता से बाहर कर दिया, जबकि AAP महज 22 सीटों पर सिमट गई।
इस हार के साथ न सिर्फ दिल्ली में केजरीवाल के विकास मॉडल पर सवाल खड़े हो गए हैं, बल्कि AAP के राष्ट्रीय विस्तार की योजना पर भी तगड़ा झटका लगा है। अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या आम आदमी पार्टी इस हार के बाद फिर से उठ पाएगी, या यह उसका राजनीतिक अंत साबित होगा?
AAP को झटका – केजरीवाल भी नहीं बचा पाए अपनी सीट
दिल्ली विधानसभा चुनाव में न सिर्फ आम आदमी पार्टी सत्ता से बाहर हो गई, बल्कि खुद अरविंद केजरीवाल भी अपनी सीट हार गए। उनके अलावा मनीष सिसोदिया, सौरभ भारद्वाज जैसे दिग्गज नेता भी चुनाव हार चुके हैं।
गौरतलब है कि 2013 में AAP ने 28 सीटें जीती थीं, 2015 में 67 सीटों के साथ ऐतिहासिक जीत दर्ज की, 2020 में 63 सीटें जीतकर फिर से सत्ता में लौटी। लेकिन 2025 में जनता ने AAP को पूरी तरह नकार दिया और बीजेपी को 27 साल बाद दिल्ली की सत्ता सौंप दी।
इससे यह साफ हो गया कि जनता ने केजरीवाल के विकास मॉडल को पूरी तरह से खारिज कर दिया है।
BJP की ऐतिहासिक वापसी – 27 साल बाद सत्ता पर कब्जा
बीजेपी ने 48 सीटें जीतकर 27 साल बाद दिल्ली की सत्ता में वापसी की है। लगातार तीन चुनाव हारने के बाद बीजेपी इस बार AAP को सत्ता से बाहर करने में कामयाब रही।
बीजेपी की जीत से यह भी साफ हो गया कि जनता ने AAP के कथित ‘दिल्ली मॉडल’ को खारिज कर दिया है और बीजेपी के नेतृत्व को अपनाने का फैसला किया है।
क्या AAP अब बच पाएगी? – अंदरूनी कलह और नेताओं के टूटने का खतरा
AAP को अब सिर्फ विपक्ष में बैठकर सरकार को घेरने का मौका मिलेगा, लेकिन यह भी आसान नहीं होगा। पार्टी के कई प्रमुख चेहरे हार चुके हैं, जिससे सदन में बीजेपी सरकार के खिलाफ मुखर विरोध करना मुश्किल होगा।
इसके अलावा, AAP के सामने अपने विधायकों को बचाए रखने की भी चुनौती होगी। पार्टी का कोई ठोस वैचारिक आधार नहीं है, और सत्ता में न रहने पर विधायकों और कार्यकर्ताओं के टूटने का खतरा बढ़ गया है।
AAP के लिए सबसे बड़ी चुनौती यह होगी कि क्या वह विपक्ष में रहकर भी पार्टी को एकजुट रख पाएगी या फिर नेताओं के पलायन का सिलसिला शुरू हो जाएगा?
केजरीवाल की सियासी जमीन खिसकी – अब क्या करेंगे?
दिल्ली हारने के बाद अरविंद केजरीवाल के राष्ट्रीय राजनीति में आगे बढ़ने का सपना भी ध्वस्त हो गया है। पंजाब में भले ही AAP की सरकार है, लेकिन दिल्ली की हार के बाद वहां भी अस्थिरता बढ़ सकती है।
इसके अलावा, AAP के खिलाफ भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप भी हैं। शराब नीति घोटाले में कई नेताओं की गिरफ्तारी पहले ही पार्टी को कमजोर कर चुकी है, और अब केजरीवाल की खुद की साख भी दांव पर लग गई है।
केजरीवाल की रणनीति हमेशा ‘सत्ता में रहने’ पर आधारित रही है, लेकिन अब जब वह सत्ता से बाहर हो चुके हैं, तो क्या वह अपनी पार्टी को बचा पाएंगे?
क्या AAP अब सड़क की राजनीति कर सकेगी?
AAP का राजनीतिक अस्तित्व दिल्ली से ही शुरू हुआ था, और अब दिल्ली में हार के बाद उसके भविष्य पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
• क्या AAP अब सड़क पर संघर्ष कर पाएगी?
• क्या AAP के विधायक और कार्यकर्ता पार्टी से जुड़े रहेंगे?
• क्या AAP भ्रष्टाचार के आरोपों से खुद को बचा पाएगी?
अब अरविंद केजरीवाल के लिए अग्निपरीक्षा शुरू हो चुकी है। दिल्ली चुनाव में हारने के बाद AAP के पास खोने को कुछ नहीं बचा, लेकिन पार्टी को बचाने की सबसे बड़ी चुनौती जरूर है।
अगर AAP ने जल्द कोई ठोस रणनीति नहीं बनाई, तो यह हार उसके राजनीतिक अंत की शुरुआत भी साबित हो सकती है।

VIKAS TRIPATHI
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