
नई दिल्ली/पहलगाम – कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने देशभर को झकझोर दिया है, और अब इस पर व्यवसायी रॉबर्ट वाड्रा ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इस जघन्य कृत्य की कड़ी निंदा करते हुए इसे “कायरतापूर्ण” और “निरर्थक हिंसा” करार दिया है।
एएनआई से बातचीत में वाड्रा ने कहा, “इस तरह के हमले किसी मुद्दे को जन्म नहीं देते, बल्कि यह नागरिकों पर हमला कर उन्हें डराने का एक कायरतापूर्ण तरीका है।” उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि धर्म और राजनीति को अलग रखा जाना चाहिए, क्योंकि दोनों का घालमेल देश को विभाजित करने का कार्य करता है।
“पहचान देखकर हत्या – यह चिंता की बात है”
वाड्रा ने बताया कि जानकारी के अनुसार आतंकियों ने पीड़ितों की पहचान पत्र देखकर उन्हें निशाना बनाया, जिससे साफ होता है कि यह हमला किसी विचारधारा या धार्मिक मतभेद के आधार पर किया गया।
“यह बेहद चिंताजनक है कि अब आतंकी यह सोच रहे हैं कि भारत में मुसलमानों को दबाया जा रहा है। यदि हमारे देश में ऐसा वातावरण बना है, तो हमें गहराई से आत्ममंथन करना चाहिए,” वाड्रा ने कहा।
“जब तक हम एकजुट नहीं होंगे, हम कमजोर रहेंगे”
रॉबर्ट वाड्रा ने इस हमले को भारत की धार्मिक एकता और सेक्युलरिज़्म पर सीधा हमला बताया। उन्होंने केंद्र सरकार से अपील की कि वह पीड़ितों और आतंक से प्रभावित क्षेत्रों के नागरिकों की हरसंभव मदद करे।
“जब तक हम देश में एकजुट और धर्मनिरपेक्ष नहीं होंगे, तब तक हमारी कमजोरियां हमारे शत्रु देशों को नजर आएंगी, और वो उनका फायदा उठाएंगे।”
उन्होंने यह भी कहा कि आतंकी हमलों के बाद सीमावर्ती इलाकों में बेरोजगारी और असुरक्षा की भावना बढ़ जाती है, जिससे विकास की प्रक्रिया भी प्रभावित होती है।
“प्रधानमंत्री को एक स्पष्ट संदेश”
वाड्रा ने कहा कि यह घटना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए भी एक संदेश है कि देश के मुसलमान खुद को असुरक्षित और हाशिए पर महसूस कर रहे हैं।
“अगर कोई आतंकवादी व्यक्ति की पहचान देखकर उसे मार रहा है, तो यह दिखाता है कि हमारे देश के भीतर धार्मिक विभाजन पनप रहा है – और ये बात प्रधानमंत्री तक जरूर पहुंचनी चाहिए।”
“हमें ऐसा देश चाहिए जहां हर धर्म सुरक्षित हो”
अपनी बात समाप्त करते हुए रॉबर्ट वाड्रा ने कहा कि भारत को ऐसा राष्ट्र बनाना होगा जहां हर नागरिक धर्म, जाति, या वर्ग की परवाह किए बिना खुद को सुरक्षित और समान महसूस करे।
“हमारा देश तभी मजबूत बनेगा जब यहां अल्पसंख्यक भी सुरक्षित और आत्मविश्वास से भरपूर महसूस करेंगे। हमें ऐसे कृत्यों की पुनरावृत्ति नहीं देखनी चाहिए।”
रॉबर्ट वाड्रा की टिप्पणी सिर्फ निंदा नहीं है, बल्कि यह एक राजनीतिक और सामाजिक चेतावनी भी है — कि यदि भारत को एकजुट और समृद्ध रखना है, तो धर्मनिरपेक्षता और संवेदनशीलता ही उसकी असली ढाल है।

VIKAS TRIPATHI
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